संदेशखाली हिंसा के बाद 180 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए पलायन कर रहे हैं छात्र

बंगाल ब्यूरो

कोलकाता, 20 फरवरी । उत्तर 24 परगना के संदेशखाली इलाके में हुई हिंसा का असर बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर पड़ रहा है। गत पांच जनवरी को स्थानीय तृणमूल नेता शेख शाहजहां के घर छापेमारी करने गई ईडी की टीम पर एक हजार से अधिक लोगों ने हमले किए थे। उसके बाद से लगातार कई घटनाक्रम इलाके में हुए हैं। पिछले एक पखवाड़े से पूरे क्षेत्र में महिलाएं सड़कों पर हैं। आगजनी हुई है, तोड़फोड़ विरोध प्रदर्शन और देश भर से नेताओं का आना-जाना लगा हुआ है। कुल मिलाकर कहें तो आज संदेशखाली पूरी दुनिया में सुर्खियों में है और इस माहौल का सबसे अधिक असर बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर पड़ रहा है। हालात किस कदर बिगड़े हैं इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाइए कि यहां से 180 किलोमीटर दूर पूर्व मेदिनीपुर में पठन-पाठन के लिए बच्चों के एक ग्रुप को अभिभावकों ने भेजा है। महिषादल के नटशाला में एक आवासिक स्कूल में संदेशखाली के कई बच्चे जाकर रह रहे हैं और पढ़ाई लिखाई कर रहे हैं। यहां के एक‌ अभिभावक ने कहा कि लंबे समय से यह क्षेत्र गुंडागर्दी और अपराध का गढ़ रहा है। ऐसा नहीं है कि इस तरह से माहौल पहली बार बना है बल्कि एक डर का साया हमेशा यहां रहता है। इसलिए बच्चों को दूसरी जगह पलायन करना पड़ा है। अधिकतर छात्र पास के जिले दक्षिण 24 परगना के डायमंड हार्बर में नूरपुर जेटी घाट के पास स्कूल में पढ़ने जाते हैं। यह 12 किलोमीटर दूर है। यहां जाने के लिए बच्चों को नदी पार करके जाना पड़ रहा है लेकिन शांति की खोज में इलाका छोड़कर यहां भी बड़ी संख्या में छात्र पढ़ने जाते हैं। नटशाला रामकृष्ण मिशन आश्रम के अध्यक्ष सुभाजित माइती ने कहा कि संदेशखाली में रामकृष्ण मिशन की एक शाखा है। वहां नौ छात्र और एक अभिभावक को ठहरने की जगह दी गई है। 15 दिन पहले से छात्रों का हुजूम यहां उमड़ रहा है, जिन्हें पठन-पाठन की व्यवस्था की गई है। नटशाल हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक विप्र नारायण पांडा ने कहा कि पांचवी से लेकर नौंवी तक करीब 30 छात्र संदेशखाली से ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेकर आए हैं और उनका एडमिशन हो रहा है।

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