बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी और बिहार राजभाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन

अकादमी का वेबसाइट बनाने का सुझाव, कहा पुस्तकों की सूची वेब पर डाली जाए , ताकि प्रकाशित पुस्तकों की पठनीयता बढ़ सके : शिक्षा मंत्री

 

 

विजय शंकर

पटना : बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी और बिहार राजभाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस समारोह का आयोजन फणीश्वर नाथ रेणु सभागार में आयोजित किया गया । हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है ।

मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री डॉ. प्रो चन्द्रशेखर ने कहा कि प्रशानिक शब्दावली को संवृद्ध करने में अकादमियों को प्रयास करना होगा । बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी और बिहार राजभाषा परिषद के निदेशक को एक वेबसाइट बनाने का सुझाव दिया और कहा कि उसमें पुस्तकों की सूची डाली जाए , ताकि प्रकाशित पुस्तकों की पठनीयता बढ़ सके । उन्होंने लोगों से कहा कि हृदय से नफरत का भाव मिटा दें तो हिंदी का विकास संभव हो सकेगा । उन्होंने कहा , किसी धर्मशास्त्र में नफरत की बात नहीं है । इंसानियत जिंदा रहनी चाहिए , जिसके अंदर नफरत नहीं हो । उन्होंने कहा कि ईश्वर ने जातियां नहीं बनाई है । चिंपांजियों में जातियां ढूंढो तो नहीं मिलेगी । जाति के प्रसंग में सूत पुत्र कर्ण की चर्चा की । कर्मठता जाति से नहीं आती ।

उन्होंने कहा, हर पांच हिंदू के घर में से एक घर जरूर मिलेगा जहा लोगों का जुडाव इस्लाम धर्म से मिलेगा । मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की चर्चा की और कहा कि शबरी के जूठे बेर खाना , अहिल्या के तारणहार थे, वही भावना होनी चाहिए । हिंदी को तिरस्कार से देखेंगे तो भारत को ताकतवर नहीं बनाया जा सकता ।
हिंदी के विकास की बदहाली की चर्चा करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि लोगों में इंसानियत जिंदा रहे, क्षमता भर मदद हिंदी को संवृद्ध करने के लिए करें, कमजोर नहीं करें तो हिंदी समवृध हो जाएगी । जबतक गोदान के पात्र नहीं बदले जाएंगे तबतक परिस्थिति नहीं बदलेगी । उन्होंने हिंदी की संवृद्धि की चर्चा करते हुए बाबा नागार्जुन समेत बिहार के सभी बड़े साहित्यकारों की चर्चा की और कहा कि हिंदी भाषा संवृद्ध है जिसे और संवृद्ध बनाने की जरुरत है , परिस्थितियों को बदलने की जरुरत है ।

इससे पहले बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी और बिहार राजभाषा परिषद के निदेशक सत्येंद्र कुमार ने स्वागत भाषण किया। उन्होंने स्वागत भाषण में बिहार हिंदी ग्रन्थ अकादमी की स्थापना से लेकर अबतक की विकास यात्रा की गाथा बताई और कहा कि हिदी के प्रचार-प्रसार और साहित्यकारों को उनकी पहचान देने में हिदी साहित्य संस्थानों का अहम योगदान रहा है । हिदी सदैव राष्ट्रीय एकता की कड़ी रही है । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीयता के सिद्धांत के रूप में हिदी को अपनाने पर बल दिया गया था । बिहार में बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, बिहार हिदी ग्रंथ अकादमी जैसे हिदी संस्थानों की नींव रखी गई । ये संस्थाएं न केवल शहर में साहित्यिक गतिविधियों में तेजी लाई हैं, बल्कि साहित्यकारों को भी एक अलग पहचान देने में मददगार बनी हैं । हिदी को बढ़ावा देने के लिए ये संस्थाएं लगातार काम करने में लगी हैं। बिहार की धरती साहित्यकारों की धरती रही है । राष्ट्रकवि दिनकर, फणीश्वर नाथ रेणु, बाबा नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी, कविवर नेपाली आदि बड़े साहित्यकारों ने शहर में रहकर न केवल साहित्यिक गतिविधियों को तेज किया, बल्कि शहर को अपनी रचनाओं से एक नई पहचान दी है । साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित करने के साथ पुराने और नये रचनाकारों की कृतियों को छापने के साथ युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति अग्रसर करने में लगे हैं।

राज्य में पुस्तकों का प्रकाशन एवं साहित्यिक आयोजनों को नई दिशा देने के लिए बिहार हिदी ग्रंथ अकादमी की स्थापना 13 फरवरी 1970 को हुई। स्थापना का खर्च राज्य सरकार देती है और किताबो के प्रकाशन का खर्च केंद्र सरकार वहन करती है । अबतक 450 पुस्तकों का प्रकाशन कर चुकी है । 44 कर्मियों में से मात्र 8 कर्मी बचे है । सरकार से अनुदान नहीं मिल रहा है और कर्मी बदहाली में जी रहे हैं । अकादमी में सारे लोग सेवानिवृत हो चुके हैं । उन्होंने माननीय मंत्री प्रो चन्द्रशेखर को अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह प्रदान कर सम्मान दिया ।
प्रो वीरेंद्र नारायण यादव,विधान परिषद सदस्य ने हिंदी को विश्व की दूसरी संवृद्ध भाषा बताया और कहा कि हिंदी के प्रति हीन भावना नहीं होनी चाहिए। हिंदी आमजन की भाषा है, यह राममनोहर लोहिया जी ने कहा था। हिन्दी की क्षमता का हिंदी भाषा के विकास में इस्तेमाल करेंगे तो भाषा संवृद्ध होगी। बोली नहीं जाएगी तो हिंदी मर जायेगी। हिंदी को संभालकर रखने की जरुरत है ।

उच्च शिक्षा की निदेशक रेखा कुमारी ने कहा, महात्मा गांधी ने कहा था, एक राष्ट्र एक भाषा । हिंदी और उर्दू को बांटना चाहते है कुछ लोग जो नहीं होना चाहिए । हिंदी में बॉलीवुड में फ़िल्में बनती हैं । हिंदी में चुंबकीय आकर्षण है जो किसी अन्य भाषा में नहीं है । 8 अकादमी बिहार में है और काम करने वाले सभी लोग रिटायर हो चुके है । एकीकृत कर सभी अकादमी को एक कर दिया जाये , एक को मुख्य निदेशक बना दिया जाये तो चीजें बदलेगी । पुस्तकों का प्रकाशन बंद है । छपाई दर निश्चित करने की दिशा में प्रयास चल रहा है और इसके लिए कमिटी गठित करेंगे ।
पत्रकार सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, देश की जितनी भी भाषाएं है उनका विकास किया जाना चाहिए ।

अरविंद महिला कालेज के प्राचार्य डॉ प्रो ललन कुमार ने चीन की राष्ट्रभाषा के बाद दूसरे नंबर पर हिंदी को बताया और कहा कि हिंदी बोलने वाले लोग की संख्या सर्वाधिक है । हिंदी को सम्मान मिले । हिंदी पर अंग्रेजी का दबाव बढ़ रहा है । हिंदी को बढ़ाना है, आगे बढ़े हिंदी इसका प्रयास करना है ।

इस मौके पर विनय कुमार, ज्वाइंट सेक्रेटरी , बीपीएससी, मंत्री के आप्त सचिव अधिकारी संजीव कुमार सज्जन , प्रो के एन यादव, लाल बाबू समेत कई अन्य ने विचार रखे । स्वागत गीत गायिका रंजना झा ने गाया । मौके पैर साहित्य सेवा के लिए कई साहित्यकारों को सम्मानित किया गया जिसमें रंजना झा, सौरव आनंद, सुनील कुमार सिन्हा, नरेश कुमार, सुमित कुमार, अखिलेश कुमार, अमीषा कुमारी, शोमा आनंद, रजनीश प्रियदर्शी , सिन्धु कुमारी , ऋतू समेत अनेक लोग शामिल थे । धन्यवाद ज्ञापन निदेशक सत्येंद्र कुमार ने किया । संचालन अजय कुमार ने किया ।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *