sanjay verma

पटना। शिवहर में महागठबंधन से राजद उम्मीदवार रितु जायसवाल की हार के एकमात्र खलनायक तेली जाति है । रितु की हार महज 28 हजार वोट से हुई। इस चुनाव में तेली जाति उम्मीदवार महंथ जी खड़े थे जिन्हें तेली का 30000 वोट पड़ा । यह वोट रितु जायसवाल के खाते में चली जाती तो वैश्य समाज की बेटी रितु जायसवाल आज सांसद बन जाती , वैश्य समाज उसपर गर्व करता पर तेली जाति ने उनकी जीत पर पानी फेर दिया । ऐसा स्पष्ट होता है कि महंथ तेली जाति का वोट काटने और रितु जायसवाल को हराने के लिये ही खड़े हुए । समझ नहीं आता कि ऐसा करने में इस समाज को किस प्रकार का आनन्द आया ऐसा अमूमन देखा समझा जा रहा कि तेली अतिपिछड़ी और वैश्य समाज दोनों का लाभ लेना चाहती पर वह लगभग 3%आवादी के सहारे वैश्य समाज को ही अपनी दादागिरी का शिकार बनाती रही है । हालांकि एनडीए के किसी घटक जदयू भाजपा या अन्य ने एक भी लोकसभा का टिकट नही दिया फिर भी इसने इस गठबंधन की ही कहारी की। अन्य दलों के वैश्य उम्मीदवार को वोट नहीं दिया ।

उसकी इस दुष्ट रवैये ने वैश्य समाज की 56 उपजातियों को यह सोंचना पड़ रहा कि तेली जाति का सामूहिक रूप से सामाजिक, राजनीतिक तौर पर वाहिष्कार क्यों नही किया जाए । बहिष्कार करने की सामाजिक घोषणा क्यों न की जाय। चुनावो में वैश्य समाज के अन्य जातियों को तेली स्पोर्ट की बजाय विरोध करता है, वोटकटवा बनता है तो फिर वैश्य समाज तेली उम्मीदवारों के खिलाफ हो जाय तब परिणाम क्या होगा इसकी कल्पना तेली समाज ने नहीं किया होगा । शायद सीतामढ़ी में एक समय समीर महासेठ भारी वोट पाकर सांसद बन गए होते पर तेली जाति ने एक वोट नहीं दिया।

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