नेशनल ब्यूरो

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा पर रोक के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल कर दी गई। संसद के मौजूदा सत्र में भाग लेने के लिए राहुल गाँधी लोकसभा पहुंचे जिसके बाद जिंदाबाद के नारे लगाये गए ।  पूरा घटनाक्रम विपक्षी नेता को प्रोत्साहित करने में बड़ा काम कर सकता है। विपक्षी दल 2024 के चुनावों में सत्तारूढ़ पार्टी को चुनौती देना चाहते हैं। मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी के नेता 53 वर्षीय गांधी को 2019 में एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए निचली अदालत ने दो साल जेल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी। इसके साथ ही राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया। राहुल गांधी के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी संजीवनी से कम नहीं है। साथ ही साथ विपक्षी एकता को भी मजबूती देगा।

 

संसद के निचले सदन के सचिवालय ने सोमवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि चार महीने तक चली उनकी अयोग्यता रद्द कर दी गई है। वह अब संसद के मौजूदा सत्र में भाग लेने के लिए लोकसभा पहुंचे है। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संसद में उनका स्वागत करते हुए ‘राहुल गांधी जिंदाबाद’ के नारे लगाए। आने वाले दिनों में पूर्वी राज्य मणिपुर में घातक हिंसा के बाद इस सप्ताह मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी। अविश्वास मत से सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि सत्तारूढ़ गठबंधन के पास प्रस्ताव को हराने के लिए पर्याप्त सदस्य हैं। फिर भी, गांधी की कानूनी परेशानियां खत्म नहीं हुई हैं।

गुजरात राज्य की एक अदालत ने अभी तक मानहानि मामले की योग्यता पर फैसला नहीं सुनाया है। भारतीय कानून दो या अधिक साल की जेल की सजा पाने वाले किसी भी व्यक्ति को सजा खत्म होने के बाद छह साल तक चुनाव लड़ने से रोकता है। मार्च में एक निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद, गांधी को नियमों के अनुरूप एक विधायक के रूप में लगभग तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। गांधी ने खुद को मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी के लिए एक चुनौती के रूप में स्थापित किया है।

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