Ex mlc ranbir nandan

vijay shankar

पटना: पूर्व विधान पार्षद और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणबीर नंदन ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाने की कोशिश में लगे विपक्ष को करारा जवाब दिया है। डॉ. नंदन ने कहा कि संसद की सुरक्षा में चूक के बहाने अपराधियों को संरक्षण देने वाले विपक्ष के नेता यह कह रहे हैं कि बेरोजगारी के कारण यह हमला हुआ है। इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ हो ही नहीं सकता, जब देश का विपक्ष सत्ता में जगह बनाने के लिए अपराध और अपराधियों को संरक्षित करने की कोशिश करे। इसके बावजूद अगर विपक्ष ने ऐसा आरोप लगाया है तो उन्हें यह भी जानना चाहिए कि मोदी सरकार गारंटियों की सरकार है, जिसमें हर हुनरमंद को रोजगार हमारा वादा है।

डॉ. नंदन ने कहा कि विपक्ष को पीएलएफएस के उस सर्वेक्षण का अध्ययन थोड़ा दिमाग और आंख खोल कर करना चाहिए, जिसमें बेरोजगारी की वर्तमान दर की बात की गई है। उसी सर्वेक्षण में स्पष्ट है कि 15 साल और उससे अधिक उम्र के स्नातकों के बीच बेरोजगारी की दर 2022-23 में घटकर 13.4 प्रतिशत रह गई है, जो इससे पिछले साल में 14.9 प्रतिशत थी। यही नहीं एनएसएसओ का सर्वे भी बता रहा है कि देश में जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की बेरोजगारी दर छह साल के निचले स्तर, 3.2 प्रतिशत पर रही। यानि कि देश में बेरोजगारी की समस्या भी नरेंद्र मोदी की सरकार में विपक्ष की लोकसभा में सीटों की तरह सिमट रही है।

डॉ. नंदन ने कहा कि पीएलएफएस की वार्षिक रिपोर्ट 2022-2023 के अनुसार जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए सामान्य स्थिति में बेरोजगारी दर 2021-22 में 4.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.2 प्रतिशत हो गई। ऐसा नहीं है कि यह दर सिर्फ इस साल कम हुई है। बल्कि 2017-18 के मुकाबले यह दर लगभग 3 फीसदी कम हुई है। बेरोजगारी की दर साल 2020-21 में 4.2 फीसदी, 2019-20 में 4.8 फीसदी, 2018-19 में 5.8 फीसदी और साल 2017-18 में छह फीसदी थी। लेकिन जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच यह दर 3.2 फीसदी दर्ज की गई है। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि गांवों में बेरोजगारी कम है। यहां 2017-18 में 5.3 प्रतिशत बेरोजगारी थी, 2022-23 में यह महज 2.4 प्रतिशत रह गई। शहरों में इसी दौरान बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत से घट कर 5.4 प्रतिशत पर आई। यानी गांवों में सुधार भी ज्यादा आ रहा है।

वहीं बिहार सरकार को आइना दिखाते हुए डॉ. रणबीर नंदन ने कहा कि नियुक्ति पत्र बांटने का स्वांग रचने वाली बिहार सरकार अभी एनडीए सरकार के दौरान किए कार्यों का श्रेय लेने में जुटी है। लेकिन यह जानना चाहिए कि एक तरफ जहां देश का बेरोजगारी दर कम हो रहा है। वहीं दूसरी ओर बिहार में बेरोजगारी दर आसमान में है। इसी साल आई सीएमआईई की रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार में बेरोजगारी दर 17.6 प्रतिशत पहुंच गई है। जबकि उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में 0.8-0.8 प्रतिशत, पुडुचेरी में 1.5 प्रतिशत, गुजरात में 1.8 प्रतिशत, कर्नाटक में 2.3 प्रतिशत और मेघालय व ओडिशा में 2.6-2.6 प्रतिशत रही है। झारखंड भी बेरोजगारी दर के मामले में बिहार से बेहतर है। ऐसे में नीतीश कुमार को यह सोचना होगा कि उनका गवर्नेंस मॉडल बिहार में क्या काम कर रहा है।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *