विजय शंकर
पटना । जनता दल (यू0) के प्रदेश प्रवक्ता, विधान पार्षद नीरज कुमार एवं प्रवक्ता अरविन्द निषाद ने आज चौथे दिन वर्चुअल माध्यम से बिहार में कानून के राज विषय पर पार्टी की ओर से बात रखी। जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम को आम जनता के लिए जनउपयोगी एवं कारगर करार दिया है। कार्यक्रम को पुनः आरंभ करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया है।
प्रवक्ताद्वय ने कानून की परिभाषा बताते हुए कहा कि कानून आम हो या खास सभी लोगों पर समान रूप से लागू होती है। राजा हो या निर्धन कानून के समक्ष सभी लोगों की समता ही कानून का राज कहलाता है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कानून का राज सुचारू रूप से चलाने की दिशा में व्यवस्थात्मक सुधार किये है।
मुख्यमंत्री नीतीश ने बिहार में अनवेषन और कानून की व्यवस्था के लिए अलग विंग की स्थापना की हैं। प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर थाना से लेकर पुलिस महानिदेशक की व्यवस्था है। रजिस्टर्ड पोस्ट के माध्यम से थाना से लेकर डी0जी0पी0 को आम जनता अपनी शिकायत कर सकता है। देशभर में पहली बार बिहार में आरंभ हुई लोक शिकायत कोषांग, अनुमंडलीय कार्यालय में दर्ज करा समस्या से आम जनता निदान पा सकते है।
बिहार गवाह सुरक्षा योजना 2018 बिहार में लागू है। इस मामले में किसी भी तरह के गवाहों द्वारा अपनी जान की खतरे की आशंका जताने पर सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए बिहार गवाह सुरक्षा योजना लागू की गई है।
भूमि विवाद निपटारा का अधिकार पुलिस के पास नही है, बिहार सरकार ने भूमि विवाद निपटारे के लिए सिर्फ भूमि उपसमाहर्ता नामित है। बिहार में भूमि विवाद में खूनी संघर्ष को रोकने के लिए आम जनात की सहुलियत के लिए यह कानून बनाया गया है।
विधान पार्षद, प्रवक्ता नीरज कुमार एवं अरविन्द निषाद ने कहा कि पिछले 16 वर्षो से बिहार मे कानून का राज स्थापित है। लालूवाद में 1990 से 2005 के बीच 67,249 आम लागों की हत्या कर दी गई। डकैती 32,344 रोबरी 41,934, सेंधमारी 82,304, दंगा 1,67,866, फिरौती के लिए अपहरन 5243, सड़क डकैती 5157, रोड राॅबरी 19477, बैंक डकैती 331, बैंक राॅबरी 318 की घटनाए हुई।
1990 से 2005 के बीच बिहार में 118 नरसंहार में 859 लोगों की नृसंश हत्या की गई। मृतकों में 15 महिला, 9 बच्चे, 470 दलित, 18 महादलित, 12 अल्संख्यक, 78 पिछड़ा, 47 अतिपिछड़ा, 167 सवर्ण, 16 थारू जनजाति एवं 27 अन्य लोगों की हत्या हुई। इन सभी घटनाओं में लालूवाद में कार्यवाई के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया। राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (छब्त्ठ) के आॅंकड़ों के अध्ययन से भी साफ है कि शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज हुई है। वर्ष 2015 की अपेक्षा 2019 में प्रति
01 लाख जनसंख्या परः- हत्या में 16.13 प्रतिशत की कमी, डकैती में 25 प्रतिशत की कमी, गृह भेदन में 13.64 प्रतिशत की कमी, फिरौती हेतु अपहरण में 64.20 प्रतिशत की कमी, दंगा में 53.49 प्रतिशत की कमी, राज्य के विरूद्ध अपराध की 100 प्रतिशत की कमी एवं बलात्कार में 38.10 प्रतिशत की कमी, दहेज हत्या में 17.39 प्रतिशत की कमी, ैमगनंस भ्ंतंेेउमदज में 50 प्रतिशत की कमी, ।ेेंनसज वद ॅवउमद में 25 प्रतिशत की कमी, ब्तनमसजल इल भ्नेइंदकध्त्कसंजपअमे 44.74 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासन व्यवस्था संभालने के बाद बिहार में कानून का राज स्थापित करते हुए अपराधियों पर कार्यवाई के तहत अप्रैल 2006 से 2021 तक 29 लाख 73 हजार 323 विभिन्न मामलों के अपराधी गिरफ्तार किये गये। राज्य सरकार ने 1 लाख 14 हजार 420 अपराधियों को सजा दिलाई गई।
राष्ट्रीय अपराध अभिलेख व्यूरो के अनुसार बिहार अपराध के मामले में देश में 24वे स्थान पर है। ए0न0आर0बी0 के मानक के अनुरूप प्रति 1 लाख की आबादी पर अपराध में मामलों में 2005 की अपेक्षा 2019 में हत्या में 33.33 प्रतिशत की कमी, डकैती में 76.92 प्रतिशत की कमी लूट में 23.08 प्रतिशत की कमी दंगा में 29.41 प्रतिशत की कमी एवं बलात्कार की दर भी 2005 के बराबर है।