Vijay shankar
पटना । जद(यू) पार्टी मुख्यालय में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधानपार्षद श्री नीरज कुमार और प्रवक्ता डाॅक्टर सुनील कुमार ने मीडिया को संबोधित किया। मीडिया को संबोधित करने के दौरान माननीय सांसद श्री चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी भी मौजूद थे। इस दौरान आंकड़ों के आधार पर दोनों प्रवक्ताओं ने स्वास्थ्य से जुड़ी केंद्रीय परियोजनाओं में गड़बड़ी एवं बिहार के साथ भेदभाव का आरोप लगाया और बीजेपी से सीधे सवाल पूछे। प्रवक्ताओं ने बीजेपी से सवाल पूछते हुए कहा कि:-
1- क्या यह सही है कि पीएम राहत कोष में बिहार के मात्र चार अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, जबकि सीएम द्वारा संचालित सीएम चिकित्सा सहायता कोष में बिहार के 43 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। तो आखिर पीएम राष्ट्रीय सहायता कोष में इतने कम अस्पताल सूचीबद्ध क्यों हैं?
।- प्रवक्ताओं ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या 39 अस्पतालों में सनातन धर्म मानने वाले इलाज नहीं कराते? आखिर इन अस्पतालों को सूचीबद्ध क्यों नहीं किया गया?
2- पीएम राहत कोष में इतनी राशि पड़ी हुई है फिर वो राशि जरूरतमंदों के लिए केंद्र सरकार खर्च क्यों नहीं कर रही? जबकि कोविड और कोविड के बाद गंभीर चुनौती सबों के सामने है।
।- बीजेपी से सवाल पूछते हुए दोनों प्रवक्ताओं ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार श्वेत पत्र जारी करे, और ये बताए कि बिहार के कितने लोगों को लाभ मिला और कितनों को राशि मिली?
3- पीएम केयर फंड में जमा रुपयों से कितना ब्याज प्राप्त हुआ, उस फंड में कितने रुपए बचे हुए हैं और बचे हुए रुपए जरूरतमंदों के लिए खर्च क्यों नहीं हुए?
।- सनातन धर्म में सूद कमाना अपराध है, ऐसे में पीएम केयर फंड से सरकार ने कितना सूद कमाया।
4- मुख्यमंत्री चिकित्सा राहत कोष में अगर कोई भी शख्स 100 रुपए की भी सहायता देता है तो उसकी पूरी डिटेल राज्य सरकार के वेबसाइट पर उपलब्ध रहती है ऐसे में पीएम राष्ट्रीय चिकित्सा राशि में सहायता करने वाले लोगों की सूची वेबसाइट पर क्यों नहीं है?
5- राष्ट्रीय आरोग्य निधि में 2022-23 के लिए आवंटन 40 करोड़ का होता है जबकि अभी तक खर्च केवल 2.42 करोड़ रुपए ही हुए हैं। वहीं अगर 2002-03 में इस निधि के लिए आवंटन 310 करोड़ हुआ जबकि खर्च 420 करोड़ हुए। 2003-04 में अटल जी की सरकार में आवंटन 414 करोड़ रुपए हुआ जबकि खर्च 480 करोड़ हुए। प्रवक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि 2004 -05 में यूपीए सरकार के दौरान आवंटन 450 करोड़ हुआ जबकि खर्च 675 करोड़ हुए। ऐसे में 2022-23 इतना कम आवंटन और कम खर्च क्यों?
।- प्रवक्ताओं ने बीजेपी से सवाल पूछते हुए कहा कि आखिर इन योजनाओं में बिहारियों के साथ फर्जीवाड़ा क्यों?
6- जद(यू) प्रवक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि हेल्थ मिनिस्टर कैंसर फंड, रेयर डिजीज फंड जैसे योजनाओं के खर्च का जिम्मा स्वास्थ्य मंत्री के पास होता है लेकिन इन फंड में भी जरूरतमंदों को मदद नहीं की गई। बीजेपी सरकार में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चैबे से सवाल पूछते हुए दोनों प्रवक्ताओं ने कहा कि क्या प्रधानमंत्री के डर के चलते इन फंडों में से जरूरतमंदो को मदद नहीं मिल पा रही है?
7- जद(यू) प्रवक्ताओं ने कहा कि हेल्थ मिनिस्टर कैंसर फंड में 40 करोड़ का आवंटन हुआ जबकि खर्च महज 78 लाख ही हुए।
।- उसी तरह रेयर डिजीज फंड में 25 करोड़ का आवंटन हुआ जबकि अभी तक उस फंड से कोई राशि खर्च नहीं की गई।