आदिवासियों से बीजेपी को इतनी चिढ़ क्यों? निर्वाचित राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराना उनका अपमान: जद(यू0)
26 मई 2023, पटना
जद(यू0) प्रदेश कार्यालय में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधानपार्षद श्री नीरज कुमार, प्रदेश प्रवक्ता श्री हिमराज राम, सुश्री अनुप्रिया, और पार्टी नेता श्रीमती सागरिका चौधरी ने पत्रकारों को संबोधित किया। इस दौरान पार्टी प्रवक्ताओं ने नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर बीजेपी की तीखी आलोचना की। पार्टी प्रवक्ताओं ने देश की महिला और आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से संसद के नए भवन का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर उनका अपमान बताया और केंद्र की बीजेपी सरकार को महिलाओं और आदिवासियों का विरोधी करार दिया।
पार्टी प्रवक्ताओं ने बीजेपी की तरफ से राष्ट्रपति की तुलना राज्यपाल से किए जाने पर सवाल उठाए और बीजेपी के सवालों पर चुटकी लेते हुए कहा कि देश का राष्ट्रपति एक निर्वाचित राष्ट्रपति होता है, जबकि राज्यपाल मनोनीत होता है। ऐसे में दोनों पदों की तुलना किया जाना गलत है।
प्रवक्ताओं ने बीजेपी को महिला और आदिवासी विरोधी बताया और राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराए जाने पर सीधे तौर पर बीजेपी की नौटंकी करार दिया। प्रवक्ताओं ने कहा कि एक महिला और आदिवासी होने के चलते भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराया। प्रवक्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सभी कामों का क्रेडिट लेने का आरोप लगाया और कहा कि 1970 में तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी ने संसद भवन की एनेक्सी बिल्डिंग का शिलान्यास और भूमि पूजन किया था जहां बाद में इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था।
पार्टी प्रवक्ताओं ने नए संसद भवन के डिजाइन और उसमें बैठने की क्षमता पर भी गंभीर सवाल उठाए। प्रवक्ताओं ने कहा कि पुराना संसद भवन पूर्वी और पश्चिमी सभ्यता के मिश्रण की एक मिसाल है जबकि नया संसद भवन त्रिकोणात्मक बनाया गया है जो किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि पुराने संसद भवन में तीन बड़े बड़े हॉल हैं जिसमें लोकसभा, राज्यसभा और सेंट्रल हॉल शामिल है जबकि नए भवन में सेंट्रल हॉल नहीं है ऐसे में संसद के संयुक्त सत्र के दौरान इतने माननीय सदस्य एक साथ कैसे बैठ पाएंगे। बिहार का उदाहरण देते हुए प्रवक्ताओं ने कहा कि बिहार विधानसभा के लिए बने नए विस्तारित भवन में भी बड़े हॉल का निर्माण हुआ है जहां विधानसभा और विधानपरिषद के सदस्य आराम से बैठते हैं।
पार्टी प्रवक्ताओं ने नए संसद भवन के निर्माण में शामिल वास्तुकार विमल पटेल की भूमिका पर सवाल उठाए और केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि आखिर उन्हें किस आधार पर नए संसद भवन का काम दे दिया गया और सरकार ने उन्हें पद्म श्री का सम्मान कैसे दे दिया। उन्होंने कहा कि विमल पटेल को गुजरात छोड़कर किसी राज्य में कोई काम नहीं मिला ऐसे में नए संसद भवन का काम कैसे दे दिया गया।
जद(यू0) प्रवक्ताओं ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर देश में जनगणना नहीं कराए जाने का आरोप लगाए और कहा कि जान बूझकर केंद्र सरकार जनगणना नहीं कराना चाहती। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में परिसीमन का काम नहीं कराना चाहती और इसके पीछे उसका मकसद लोकसभा और राज्यसभा में एससी और एसटी को मिलने वाले आरक्षण को खत्म करना है।
पत्रकारों को संबोधन के दौरान प्रवक्ताओं ने भारतीय जनता पार्टी से कुछ गंभीर सवाल पूछेः
1- जिस बेकर के डिजाइन को ब्रिटिश हुकूमत के समय रिजेक्ट कर दिया गया था उसी की त्रिकोण वाले डिजाइन पर नए संसद के निर्माण को बीजेपी ने सहमति क्यों दी?
2- वर्तमान संसद भवन में मध्यप्रदेश और राजस्थान के मंदिरों की झलक है लेकिन नए संसद भवन का डिजाइन त्रिकोणात्मक बनाने की सहमति देकर केंद्र सरकार ने सनातन धर्म का अपमान किया?
3- नए संसद भवन में सेंट्रल हॉल का निर्माण क्यों नहीं किया गया?
4- नए संसद भवन के डिजाइनर विमल पटेल में ऐसी कौन सी विशेषता है कि गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में उसे ठेका आवंटित किया जाता है, जब वो पीएम बनते हैं तब उन्हें ठेका आवंटित किया जाता है और जिस कंपनी ने वारणसी कॉरिडोर के निर्माण में भारत माता मंदिर को तोड़ दिया, 300 शिवलिंगों को तोड़ दिया आखिर केंद्र सरकार ने उसे ठेका क्यों दे दिया और अगर वो बड़े शिल्पकार हैं तो दूसरे राज्यों में उन्हें ठेका क्यों नहीं मिलता है?
5- जद(यू0) ये समझता है कि राष्ट्रपति का पद एक निर्वाचित पद होता है और उसकी तुलना अगर बीजेपी राज्यपाल से कर रही है तो वो सीधे तौर पर संविधान का अपमान कर रही है।
6- विस्तारीकरण और नए निर्माण का अंतर अगर राज्य बीजेपी के नेताओं की समझ में नहीं आता है तो उन्हें गुरुकुल जाकर शिक्षा लेनी चाहिए साथ ही अगर वो राष्ट्रपति से ना तो शिलान्यास कराती और ना तो उद्घाटन ऐसे में वो महिलाओं को अछूत मानकर संविधान का उल्लंघन क्यों कर रही है?
जद(यू0) प्रवक्ताओं ने बीजेपी नेताओं के विधानसभा मार्च पर चुटकी लेते हुए कहा कि जिस शिलापट्ट में उद्घाटन की बात लिखी गई है उस उद्घाटन समारोह में उस समय के तत्कालीन मंत्री सुशील मोदी का भी नाम लिखा हुआ है ऐसे में उनको प्रायश्चित करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं को गीता पर हाथ रखकर ये कहना चाहिए कि विधानसभा के नए विस्तारित भवन के उद्घाटन में सुशील कुमार मोदी शामिल थे या नहीं?