नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

पटना। सोशल मीडिया पर रील बनाकर अपलोड कर हम अपना प्रचार ही नही अपने क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण स्थानों मंदिरों सहित अपनी कला को स्थापित व मशहूर कर सकते है।
दिल्ली में रह रही मधुबनी के शिबीपट्टी की रहने वाली खुशबू कर्ण ने बताया कि आज प्रचार के इस महत्त्वपूर्ण भूमिका को कुछ लोग जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे है जो उचित नहीं है। चलती ट्रेन बाइक रेल लाइन नदी समुद्र में जाकर रील बनाना खतरों का घर बनता जा रहा है। सरकार को भी इस संबंध में कठोर से कठोर कानून बनाना चाहिए। परन्तु कानून के पालन हो यह जिम्मेदारी रील बनाने वाले के ऊपर ही निर्भर रहता है।

खुशबू के अनुसार रील के माध्यम से हम जहां भूल रहे अपने सभ्यता संस्कृति को जेहन में ले आते है वहीं हम अपने अगल बगल के प्राचीन काल के मंदिरों स्कूल अन्य चीजों को पूरे विश्व मे पुनः स्थापित कर पाते है। सोसल मिडिया के सभी अंगों में सबसे अधिक लोकप्रियता आज रील के माध्यम से ही हम सबों को मिलती है। यही कारण है कि रील के माध्यम से सोसल मिडिया पर कई गुमनाम कलाकारों को जो इज्जत और हौसला अफजाई मिला है वह दुनिया के सामने है।

खुशबू कर्ण न बताया कि हम आज सोशल मीडिया के युग मे प्रवेश कर चुके है जिसमे रील सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं है। हम सबको बस गुण दोष के आधार पर अपनी बाते रील के माध्यम से रखना चाहिए। साथ ही इसका भी ख्याल रहे की रील को लोकप्रियता बनाने में आज कम उम्र के युवा पीढ़ी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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