सुबोध,
किशनगंज । बिहार के किशनगंज जिला के बेदान्ता अस्पताल का स्वास्थ्य विभाग के रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने पर ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) किशनगंज जिला प्रतिनिधियों ने स्वास्थ्य विभाग पर लगाया आरोप वेदान्ता अस्पताल के रजिस्ट्रेशन रद्द होना जायज नही। बिना किसी पूर्व सूचना एवं तथ्यहीन आरोप के आधार पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा शहर के बेदान्ता अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द किए जाने पर दर्जनों डॉक्टरों ने सिविल सर्जन कार्यालय का किया घेराव और सीएस से रजिस्ट्रेशन पुनः बहाल करने की मांग की है। अन्यथा आईएमए जिला इकाई द्वारा चरणवद्ध आन्दोलन की दी चेतावनी।आईएमए के जिला सचिव डॉ जकी अतहर ने कहा कि वेदान्ता अस्पताल का रजिस्ट्रेशन वेद आर्या के नाम से है‌। रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक कागजात के आधार पर ही रजिस्ट्रेशन मिला है‌। आईवीएफ के आधार पर रजिस्ट्रेशन नहीं है। डॉ. वेद आर्या एवं डॉ स्वेता आर्या रिश्ते में पति -पत्नी है। दोनों ही डॉक्टर गायनोलोजिस्ट है और वेदान्ता अस्पताल में मरीजों का इलाज करते हैं । विषेश परिस्थिति में जब कोई पेसेन्ट का आग्रह होता है‌ तो आईवीएफ की सुविधा कोलकाता से उपलब्ध कराई जाती है।यहां पर आईवीएफ की सुविधा नहीं है । अस्पताल में प्रशासनिक टीम के जांच में भी आईवीएफ की सुविधा नहीं होने की पुष्टि हो चुकी है । उन्होंने कहा कि अस्पताल में आईवीएफ सुविधा नहीं रहने कारण अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दी गयी । जबकि आईवीएफ सुविधा के आधार पर वेदान्ता अस्पताल रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले कोई सूचना भी नहीं दिया गया और एकाएक रजिस्ट्रेशन रद्द कर देने की सूचना दी जाती है । जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस बाबत स्वास्थ्य विभाग के उपाध्यक्ष डॉ अनवार हुसैन ने मंगलवार को कहा कि मेरा व्यक्तिगत राय है कि स्वास्थ्य विभाग से रजिस्ट्रेशन रद्द करने से पहले नोटिस जारी करना चाहिए था।फिर जब नोटिस का कोई जबाव नहीं मिलता तो भी एक -दो बार नोटिस भेजा जाता है अगर फिर भी जबाव ही दी जाती है तो‌ ऐक्शन होना चाहिए।अब पता नहीं इस मामले सीएस सर का आधार क्या है यह तो वही बता सकते हैं।

मामले में सीएस से संपर्क करने का प्रयास असफल रहा है । उनके मोबाइल नंबर पर भी संपर्क नहीं हो सका । सुत्र बताते हैं कि बीते कल ही पटना गयें है।
उल्लेखनीय है कि बच्चें प्राप्ति की चाह में दम्पति हिना प्रवीण पति शाहबाज आलम निवासी सारोगोरा ,थाना व जिला किशनगंज के निवासी ने डीएम को एक आवेदन में कहा था कि टेस्ट ट्यूब बेबी (आईवीएफ) तकनीक की सुविधा जानकर शहर के नामचीन वेदान्ता अस्पताल पहुंची थी मगर निराशा हाथ लगी और करीब पांच साल तक लाखों रूपया अस्पताल के अनुसार गंवाया ।मगर परिणाम कुछ नहीं निकला और ठगा-सा रह गया हूं । उन्होंने अस्पताल के एक कर्मी पर भी गंभीर आरोप लगाया है कि डॉ.तारा स्वेता आर्या के अनुपस्थिति में उसके पर्सनल सेकेट्री मो.आसिफ, जो न तो कोई डाक्टर हैं और लेडी डॉक्टर या नर्स के अनुपस्थिति में ही वह अकेले में ही जांच किया करता था। मेरे मना करने पर भी वह बंद कमरें में जांच के नाम पर बेड टंच किया करता था ।इस अस्पताल में इलाज के दौरान करीब नौ लाख रुपये गवां चुकी हूं। इन सभी कारणों से पीड़ित ने डीएम से न्याय की गुहार लगायी थी।इन गंभीर आरोप के आलोक में जिलाधिकारी तुषार सिंगला के निर्देश पर गठित पांच सदस्यीय टीम द्वारा जांच के द्वारा जांच की गयी । जिस टीम में जिला स्वास्थ्य विभाग के प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ . देवेन्द्र प्रसाद , जिला स्वास्थ्य समिति के उपाध्यक्ष डॉ.अनवार हुसैन, डॉ . उर्मिला कुमारी, जिला प्रशासन के परिवहन पदाधिकारी अरूण कुमार एवं डी. आई.ओ.रंजीत कुमार शामिल हैं।

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