सुबोध,

किशनगंज 20नवम्बर । किशनगंज से शिव शिष्य परिवार के गुरूभाई- बहन कटिहार जिला के बार्सोई अनुमंडल में नरेंद्र लाल दास के निज निवास पोस्ट आफिस के निकट आयोजित एक दिवसीय शिवगुरू महोत्सव में साहब श्री हरीन्द्ररानंदजी के” आओ चलें शिव की ओर संदेश लेकर पहुंचे मंच से कहा गया कि शिव शिष्यता मात्र एक विश्वास हैं,अंधविश्वास नहीं है।
वही महोत्सव के मंच से शिव शिष्यों ने कहा कि वास्तविकता यही है कि अगर मानव जीवन को समझना चाहते हैं तो शिव की ओर‌ चलने की आवश्यकता है।यानि जीवन में एक अध्यात्मिक गुरु की आवश्यकता है।वक्त रहते ही किसी सबल गुरू के शिष्य बनें।अन्यथा इस जीवन को समझे बिना ही यूं गुजार देंगे। शिव शिष्यता ही एक सफल विकल्प है। क्योंकि इस कालखंड में करीब चार -पाच दशक पहले ही एक प्रशासनिक अधिकारी जिनका नाम हरीन्द्ररानंद मिश्र था।अब शिव में लीन हो चुके हैं उन्होंने ही शिव की ओर चलने की प्रेरणा जन -जन को दिया है। इसलिए उनकी ही बात आप सबों से करने आया हूं। जीवन क्या है जाने । आसमान से बारिश होती है तो धरती में गिरता है फिर नदी में मिल जाता तो नदी का जल समुंद्र में चला जाता है फिर वापस धरती पर वह जल आ सकता है क्या ? क्योंकि समुंद्र का दायरा विशाल है । वहां से वापस छोटे दायरा में आना ही नहीं चाहेगा। जीवन इसी “जल” की तरह है। यानि मानव जीवन को मुक्ति मिल जाती है। मुक्ति हमें (जीवन )एक सफल गुरू के शरण में ही मिल सकता है।
यह अनुभूति उसी प्रशासनिक पदाधिकारी को हुयी थी और उन्होंने ही अपने अनुभूति को जन-जन को बताया कि शिव को गुरू मान लें जीवन सफल हो जाएंगा। बिना शर्त शिव को गुरू बनाने के लिए मात्र तीन सुत्र ही माध्यम है । उन्होंने ही शिव को गुरू मानने की बातें बताया ।शिव घर -घर के बाबा है। लेकिन गुरू रूप नहीं ।शिव की शिष्यता मात्र विश्वास, अंधविश्वास नहीं ।
इस अवसर पर शिव शिष्य नागेश्वर मंडल के शिव गुरू भजन से श्रद्धालु को शिव शिष्यता का आनंद में बांधे रखा।
वही इस अवसर पर किशनगंज से वरिष्ठ शिष्य कैलाश चौधरी, सुबोध साहा, भारती,रूबी,रूबी महिला सिपाही,विक्रम ,रामनाथ शर्मा इत्यादि प्रमुख गुरू भाई बहन शिव चर्चा एवं‌ भजन के माध्यम से अपने -अनुभव और विचार से शिव‌ गुरू संदर्भित बातें बतायी गयी।

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