सुबोध,
किशनगंज । बिहार के सीमावर्ती जिला किशनगंज की ह्रदय रेखा माने जाने वाली रमजान नदी आज अपने बदहाली पर मजबूर हैं। भू-माफियाओं के सक्रियता से रमजान नदी के स्तित्व पर मंडरा रहें हैं खतरा।
इस नदी का ठहरा पानी में शहर भर के नालें का गंदा पानी समेटें और नदी की सतह पर तैरता कचरा सड़ते- गलते रहते हैं।इस नदी के किनारे जगह -जगह छठ घाट भी बनें है। जहां अगले रविवार को छठमहापर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य उपासना में व्रतियों के द्वारा नदी में उतर कर अराधना किए जाएंगे। हालांकि छठ पर्व के शुभारंभ पूर्व ही यहां के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन के आलाधिकारियों के द्वारा जगह -जगह छठ घाट पर साफ- सफाई एवं सुरक्षा के मद्देनजर तथा अन्य व्यवस्थाओं का जायजा लिया जाता है और इस नदी के किनारे सभी विभिन्न स्थलों के घाट पर पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश इस नदी के ठहरे पानी जिसमें शहर भर से नाले का गंदा पानी जमा होता हैऔर नदी के जल का बहाव क्यों नहीं हो रहा है?इस सवाल पर भी जिला प्रशासन का गंभीरता पूर्वक ध्यान जाना भी जरूरी हो जाता है। लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की शिकार यह रमजान नदी अपने बदहाली पर मजबूर हैं। जबकि दशकों पूर्व इस नदी का बहता पानी अपने साथ गंदगी को बहा ले जाया करता था । किन्तु वर्तमान में इस नदी के पानी का स्थिर है और पानी से बदबू निकलती है। इस नदी की भूमि पर अवैध कब्जा है।जबकि दशकों पूर्व यह नदी चौड़ी हुआ करती थी और नदी की धारा में कहीं भी रूकावट नहीं था।अब नदी के दोनों किनारे पर अतिक्रमण है।जिसके कारण नदी नालें की शक्ल में बह रही है। इस नदी के बदहाली का प्रमुख कारण भू-माफियाओं की सक्रियता है। नदी किनारे बसे है गांव, बड़े -बड़े मकान और कारोबारी संस्थान बने पड़े हैं ।नदी किनारे बसने वाले घरों से नाले का गंदा पानी नदी में जमा हो रहा है।और नदी का बहाव ही रूका पड़ा है। जिसके कारण जल विषाक्त हो रहा है।वही इस नदी के जलजीवों के लिए भी संकट बना हुआ है।
जानकारी के मुताबिक वर्ष 2008 में रमजान नदी के भूमि का अतिक्रमण मामले तत्कालीन जिलाधिकारी फेराक अहमद के संज्ञान में आया था।फिर डीएम के निर्देश पर शहर के बीचोंबीच बहने वाली रमजान नदी के भूमि की नापी कराई गयी । जिसमें ढकसरा से मझिया तक नदी की भूमि पर करीब तीन सौ से अधिक अतिक्रमणकारियों को चिन्हित किया गया। लेकिन कार्रवाई होने से पहले ही वर्ष 2010 में डीएम का तबादला हो गया ।इसी तरह कई जिलाधिकारी आते रहें और बदलते रहें । मगर रमजान नदी की सूरत नहीं बदली है ।इस दौरान, लोकसभा एवं बिहार विधानसभा एवं विधान परिषद में भी यहां के जनप्रतिनिधियों के द्वारा रमजान नदी के सौन्दर्यीकरण का मुद्दा सदन में गुंजीं थी।
वही एक जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज दीक्षित के निर्देश पर सभी चिन्हित तीन सौ से अधिक अतिक्रमणकारियों पर नोटिस जारी हुआ था। लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला। क्योंकि तीन सौ नोटिस के विरुद्ध में 72 याचिका के मामलें हाईकोर्ट पहुंच गयी।
वर्ष 2022 में 11मई में तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के द्वारा भी रमजान के सौंदर्यीकरण का मामला संज्ञान में लिया गया था और इसी साल क्षेत्रीय सांसद मोहम्मद जावेद के पहल पर बुडकों के द्वारा रमजान नदी के सौन्दर्यीकरण के लिए नापी कराया गया थाऔर बीते सितंबर माह में ही जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री का तबादला हो गया।
अब वर्तमान जिलाधिकारी तुषार सिंगला से जिलावासियों की उम्मीद है कि शायद इस रमजान नदी का उद्धार हो जाऐ , नदी के अतिक्रमणकारी एवं भू-माफियाओं से नदी की भूमि को बचाया जा सके। अन्यथा रमजान नदी का स्तित्व ही मिटने के कगार पर है। कगार पर है।