सुबोध, ब्यूरो किशनगंज-
किशनगंज 24जनवरी ।ऐतिहासिक खगड़ा मेला का भव्यता के साथ देर शाम शुक्रवार को समारोहपूर्वक उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री सह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिलीप जायसवाल एवं जिलाधिकारी विशाल राज द्वारा दीप प्रज्ज्वलित एवं रेड रिबन काट कर विधिवत् खगड़ा मेला का उद्घाटन किया गया। वही इस अवसर पर गरिमामयी उपस्थिति नगर परिषद अध्यक्ष इंन्द्रदेव पासवान, सम्मानित अतिथियों में प्रमुख उपविकास आयुक्त स्पर्श गुप्ता एडीएम , एसडीएम लतीफपुर रहमान,डीटीओ अरूण कुमार एवं जिला जन संपर्क पदाधिकारी कुन्दन कुमार सहित नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी प्रवीण कुमार सहित जिला अन्य प्रमुख पदाधिकारी सहित सम्मानित अतिथि उपस्थित रहें।
मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि नगर परिषद अध्यक्ष इन्द्रदेव जी का सुझाव उचित है । मंत्री डॉ दिलीप जायसवाल ने जिलाधिकारी को कहा कि आप एक पत्र के माध्यम मेला क्षेत्र की आवश्यकता पर विवरण एवं बजट भेजिए। जितनी भी आवश्यकता होगी उसकी पूर्ति मंत्रालय से अनुदान स्वरूप दी जाएगी। उन्होंने ऐलान किया कि तत्काल जिलाधिकारी को दो-तीन के भीतर 25से 30 लाख की राशि मेले के विकास के लिए भेज दिया जाएगा। जो अनुदान राशि से जिलाधिकारी द्वारा मेला क्षेत्र के विकास में खर्च किया जाएगा।
जिलाधिकारी विशाल राज ने मेला आयोजक सहित मेला में उपस्थित पर्यटकों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह मेला एतिहासिक है और इस साल मेले को नवीन स्वरूप में लगाया गया है। सब लोग अनुशासित तरीके से मेले का आनंद लें।
वहीं नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने कहा कि 143 वर्षीय खगड़ा मेला का आज बजूद ख़तरे में है। यह मेला लुप्त होने के कगार पर है। मेला क्षेत्र अतिक्रमित होकर संकुचित हो गया है। उन्होंने डीएम एवं मंत्री ध्यानाकृट कर कहा कि आज इस मेला क्षेत्र को संरक्षित ,सुरक्षित एवं संवर्धित करने की आवश्यकता है।
इसके पूर्व मेला संवेदक बबलू साहा की टीम द्वारा ने समारोह में आमंत्रित अतिथियों का भव्य स्वागत किया और आभार व्यक्त कर कहा कि मेला को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी हर संभव कोशिश की है । जिसमें मेले में पर्यटकों के लिए विभिन्न प्रकार के आकर्षक सामग्री की दुकानें,झुले, सर्कस एवं खेल तमाशे दुर-दराज से लाया गया है।आशा है पर्यटकों को जरूर लुभाएगी एवं आनंदित करेगा। इसके साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से जगह-जगह बत्तीस सीसी टीवी कैमरे निगरानी में लगें हैं। इस वर्ष खगड़ा मेला का आयोजन बिल्कुल ही अलग स्वरूप में है।
बता दें कि किशनगंज जिले में खगड़ा मेला का 143वां वर्ष है
एसिया का बहु चर्चित ऐतिहासिक खगड़ा मेला के नाम से ही आज भी किशनगंज जिले की पहचान हुआ करती हैं। जब ब्रिटिश शासन काल में 1882 ई. यहां के नवाब सैयद जैनुदीन हुसैन मिर्जा ने अपने रियासत में यहां एक मेला लगाने की योजना बनाई तो नाम क्या होनी चाहिए ?इस सवाल के चिंतन में तर्क दिया जाता है कि तत्कालीन बुद्धिजीवियों एवं नवाब के सलाहकारों ने मेला क्षेत्र के घने जंगल में खगड़ा नामक घास के नाम पर ही “खगड़ा मेला” नामकरण पर हुई थी और तब खगड़ा नाम से यह मेला स्तित्व में आया था।उस वक्त से विराट क्षेत्रफल में फैला खगड़ा मेला इतना चर्चित हो गया कि बिहार के सोनपुर मेला के बाद यह एसिया का दुसरा मेला माना जाने लगा।तब के पूर्वी पाकिस्तान यानि आज का बंगलादेश,भुटान , नेपाल राष्ट्र जैसे कई देश सहित भारत के विभिन्न प्रदेशों के पर्यटक एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों का बहुत बड़ा बाजार इस मेले में हुआ करता था।वही विभिन्न प्रकार के खेल तमाशा सहित एसिया के चर्चित सर्कस एवं थियेटर इत्यादि मेले की शान हुआ करता थी।लेकिन आज मेला का विराट क्षेत्रफल सिमट कर रह गयी है। मेला क्षेत्र का सरकारी अधिग्रहण एवं अतिक्रमण के कारण मेला का पुराना क्षेत्रफल घटकर नाममात्र का मेला क्षेत्र बच गया है। जिसमें बड़े नामचीन सर्कस या खेल तमाशा के लिए प्रयाप्त स्थान ही नहीं बच सका है। पुराने मेला के स्वरूप में मेला क्षेत्र के बड़े क्षेत्र में लगने वाले पशु बाजार जिसमें ऊंट, हाथी , घोड़े एवं विलायती कुत्ते इत्यादि अन्य पशुओं का बहुत बड़ा बाजार मेले में हुआ करती थी। लेकिन वर्तमान समय मेले में वह विभिन्न पशुओं विराट लुप्त हो गया है। भारत की आजादी के बाद मेला 1952 में पूर्णिया जिला अंतर्गत किशनगंज अनुमंडल प्रशासन के अधीन हो गया। इस मेला क्षेत्र से प्राप्त राजस्व पर राज्य सरकार का एकाधिकार हो गया। उसके बाद खगड़ा मेला क्षेत्र की भूमि सरकारी अधिग्रहण और अतिक्रमण से मेला क्षेत्र संकुचित हो गया है। खगड़ा मेला मात्र एक नाम बनकर रह गया है।मानों वह पुराने समय के मेले का स्तित्व भविष्य की चर्चा मात्र शेष है।
