सुबोध,

किशनगंज। बिहार के सीमावर्ती जिला किशनगंज में शिक्षा विभाग के चर्चित अधिकारी (भा.प्र.सेवा) केके.पाठक तो इन दिनों सरकारी स्कूल में शिक्षक के परिजनों का कोपभाजन के शिकार हो रहें हैं।शिक्षक के परिजन तरह -तरह का बद्दुआ देकर केके पाठक को कोसने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहें हैं। बद्दुआएं भी ऐसी कि उसे शब्दों में जाहिर नहीं किया जा सकता है । क्योंकि जो कुछ भी सुनाती उसे कैमरे में कैद करने की मनाही होती है। चूंकि वह अपने पति के नौकरी को खतरे में नहीं डालना भी चाहती है। इसलिए जो भी बोलती उसे उजागर करने की मनाही होती है। लेकिन कुल मिलाकर यह कहना ग़लत नहीं होगा कि दबी जुवान में सही शिक्षक के परिजनों में रोष बहुत है।लेकिन मजबुरन कोई भी सामने आकर नहीं बोलना चाहती है।घर में घर शिक्षक के परिजनों की परेशानी ये है कि इस भीषण गर्मी में रात को नींद पुरी नहीं होती है और ऊपर से अहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना पड़ता है और अपने शिक्षक पतिदेव के लिए नास्ते इत्यादि का प्रबंध करती है।इधर शिक्षक महोदय जल्दी -जल्दी तैयार होकर घर से तीस किलोमीटर दूर स्कूल के लिए रवाना हो जाते हैं।वही विभागीय मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देशित आलोक में शिक्षक स्कूल पहुंचते ही पहले सेल्फी भेजकर जिला शिक्षा मुख्यालय में उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
शिक्षकों की मानें तो विद्यालय में समय पर पहुंचकर शिक्षक को ही छात्रों का इंतजार करना पड़ता है। विद्यालय में छात्र सात बजे तक ही पहुंचते हैं। शिक्षक द्वारा छात्रों का हाजरी काटने पर छात्र के अभिभावकों के रोष का सामना करना पड़ता है ।एक शिक्षक कहते हैं कि जब शिक्षक ही तनाव में रहेंगे तो विद्यार्थी को कैसे गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा कैसे दे सकते हैं ?यह बड़ा सवाल है ।अगर सरकार इस शिक्षा व्यवस्था पर चिंतित नही हो रहें हैं तो देश का भविष्य का क्या होगा।यह गंभीर विषय है।
उल्लेखनीय है कि जिले में प्रात:कालीन विद्यालय संचालित है और शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देशित आलोक में विद्यालय संचालन के लिए निर्धारित समय प्रात : समय छह बजे से दस मिनट पूर्व ही विद्यालय में शिक्षकों को पहुंच जाना है और ठीक प्रांत:छह बजे तक सेल्फी भेजकर उपस्थिति दर्ज कराना है और दोपहर 01बजे सेल्फी भेजकर विद्यालय छोड़ना शिक्षकों के लिए अनिवार्य किया गया है।

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