तेजस्वी के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे लालू: सीएम नीतीश से की एक घंटे तक मुलाक़ात
सीट शेयरिंग में विलंब के कारण काफी नाराज चल रहे हैं सीएम
जदयू के सभी विधायकों के 23 से 25 जनवरी तक पटना में जमा रहने के निर्देश से भी सियासी पारा चढ़ा
विश्वपति
नव राष्ट्र मीडिया
पटना।
बिहार में भले ही कंपकंपाती ठंड के कारण पारा नीचे जा रहा हो, लेकिन सियासी तापमान अभी बेहद गर्म हो गया है । यह चर्चा बेहद तेज हो गई है कि इंडिया गठबंधन से नाराज नीतीश कुमार पुनः अपना पाला बदल सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान से भी इन कयासों को काफी बल मिला है। अमित शाह ने दो दिन पूर्व कहा था कि अगर यदि जदयू से कोई प्रस्ताव आता है तो एनडीए के दरवाजे नीतीश कुमार के लिए खुले हुए हैं । इसके बाद सरगर्मियां तेज हो गईं । इधर जदयू के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक सीएम ने भी 23 जनवरी से 25 जनवरी के बीच अपने सभी विधायकों को पटना में जमा होने को कह दिया । इस सूचना के बाद महागठबंधन के अंदर अफरा तफरी मच गई। पुनः बात फैली कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर कुछ बड़ा करने जा रहे हैं। इसी सियासी घमासान के बीच शुक्रवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने सीएम आवास पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच लगभग एक घंटे तक बातचीत हुई। माना जा रहा है कि श्री कुमार के संभावित पाला बदल को रोकने तथा उनको मनाने के लिए ही लालू प्रसाद , बाप बेटे वहां पहुंचे थे। हालांकि सूत्रों का मानना है कि लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को काफी हद तक मना लिया है। फिर भी देखना है कि 25 जनवरी तक श्री कुमार क्या गुल खिलाते हैं।
दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी निकलकर सामने नहीं आई। लेकिन लालू का अचानक सीएम हाउस जाना काफी महत्वपूर्ण है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सीट शेयरिंग के साथ-साथ बिहार की बदलती सियासत पर बातचीत हुई है। इसके पहले मंत्री अशोक चौधरी ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल से मुलाकात की थी। वहीं, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा के आवास पर बीजेपी विधायकों की आपात बैठक हुई है। बीजेपी की गठबंधन सहयोगी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतनराम मांझी ने भी अपने सभी विधायकों से 25 जनवरी तक पटना में ही रहने के लिए कहा है। जीतनराम मांझी ने नीतीश कुमार को पलटू राम बताते हुए कहा कि जब एक बार पलट चुके हैं तो दूसरी और तीसरी बार पलटने में क्या दिक्कत है?
उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर जेडीयू एनडीए में आती है तो हम इसका विरोध नहीं करेंगे। मांझी ने साथ ही यह भी दावा किया कि नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव को सीएम बनाने के वादे के साथ महागठबंधन में शामिल हुए थे। मुझे पहले से मालूम था कि वह तेजस्वी को सीएम के रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। मांझी का यह बयान लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के घर हुए राजनीतिक जुटान के ठीक बाद आया है। मांझी के साथ ही उपेंद्र कुशवाहा भी चिराग के घर पहुंचे थे। चिराग ने भी अब जेडीयू के एनडीए में शामिल होने की संभावना जता दी है। इधर, तेजस्वी कि दावा किया कि लालू यादव और नीतीश कुमार एक ही हैं। हम सभी लोग नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम कर रहे हैं. तेजस्वी ‘ऑल इज वेल’ का संदेश दे रहे हैं तो वहीं आरजेडी और जेडीयू के बीच क्रेडिट वार भी छिड़ा हुआ है। इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग में देरी से नाराज़ चल रहे हैं मुख्यमंत्री।
बताया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर हो रही देरी के कारण बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ-साथ जदयू के कई नेता भी कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं। नीतीश के साथ उनके कई करीबी मंत्री भी खुले मन से यह कह चुके हैं कि अब सीट शेयरिंग में ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए नहीं तो इसका फायदा बीजेपी को सीधे तौर से होगा।
वैसे यह तेज चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री एक बार फिर पलटी मार कर भाजपा के साथ जा सकते हैं। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव इसी सूचना पर उनकी नाराजगी को कम करने के लिए सीएम आवास पहुंचे थे। उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाकात कर आगे की रणनीति को लेकर उनको अवगत कराया। दो दिन पहले बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह भी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे और सीट शेयरिंग और कैबिनेट विस्तार पर चर्चा की थी। लेकिन असली हालत यही है कि कई दौर की बैठक के बाद भी सीट शेयरिंग नहीं हो पाई है। हो रही देरी पर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने संकेत दिया है कि अगर सीट शेयरिंग पर गठबंधन में शामिल दलों के बीच सहमति नहीं बन पाती है तो यह एलायंस के लिए खतरा है। उन्होंने यह भी कहा है कि इसे समय रहते जल्दी कर लेना चाहिए। उन्होंने कहा है कि इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में जल्दी सहमति नहीं बनती है तो कुछ दल एक अलग ग्रुप बनाने की कोशिश कर सकते हैं। उधर , कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व इस मुद्दे पर अपनी गंभीरता नहीं दिखा रहा है । उसके नेता राहुल गांधी विपक्षी दलों से बातचीत करने के बदले पद यात्रा पर ही अधिक ध्यान दे रहे हैं।