लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने कांग्रेस को नकारा
नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पटना. संसद में राहुल गांधी की बयानबाजी पर पूर्व विधान पार्षद और वरिष्ठ भाजपा नेता प्रो. रणबीर नंदन ने कड़ा प्रतिकार किया है। उन्होंने कहा कि संसद में नेता प्रतिपक्ष जैसे पद पर बैठे राहुल गांधी पूरी व्यवस्था का माखौल उड़ा रहे हैं। उनकी बातें न उनके पद के अनुरुप हैं और न ही भारत की संस्कृति और भविष्य के लिए। राहुल गांधी लगातार अपनी बातों से भारतीय संस्कृति का न सिर्फ माखौल उड़ा रहे हैं बल्कि उनका यह चरित्र भारत के भविष्य और संस्कृति के लिए निरंतर खतरनाक बना हुआ है।
प्रो. नंदन ने कहा कि लोकसभा चुनाव हुआ और भारत की जनता ने कांग्रेस को सीधे तौर पर नकार दिया। लेकिन राहुल गांधी से लोकसभा चुनावों में हार की हैट्रिक पच नहीं रही है। कभी वो महात्मा गांधी के कथन को जीसस क्राइस्ट का बता रहे हैं तो कभी उस कमल की आलोचना करने लगते हैं जो भारतीय संस्कृति का प्रधान प्रतीक है। यह निरादर सिर्फ हिंदू धर्म का नहीं है। बल्कि बौद्ध, जैन, बहाई सभी धर्मों का अनादर है। हिंदू धर्म में तो कमल की पूजा होती ही है, बौद्ध प्रतीकवाद में , कमल शरीर, वाणी और मन की शुद्धता का प्रतिनिधित्व करता है। जैन तीर्थंकर पद्मप्रभा को भी कमल के प्रतीक द्वारा दर्शाया गया है। अंतर्राष्ट्रीय बहाई आस्था समुदाय ने दिल्ली में लोटस टेम्पल के डिजाइन में कमल के प्रतीकवाद को अपनाया है।
प्रो. नंदन ने कहा कि कमल हमें अनासक्त रहना सिखाता है। कमल सिखाता है कि प्रकाश की उपासना करो, अमंगल से मंगल ग्रहण करो, तपस्या करना सीखो, सत्कर्म करो, नई-नई बातें ग्रहण करते रहो। यदि कोई पूछे कि भारतीय संस्कृति का अर्थ क्या है, तो उत्तर होगा ‘कमल’। लेकिन राहुल गांधी की समझ का दायरा इतना सीमित है कि वे उन्हीं चिट-पुर्जों की भाषा समझ पाते हैं, जिन्हें उनके सहायक मुहैया कराते हैं।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की नसों में विदेशियत ऐसे घुसी हुई है कि देश की संस्कृति, देश के इतिहास, देश की भावना और देश की जनता को समझ ही नहीं पाते। दुर्भाग्य है कि ऐसा व्यक्ति लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद पर बैठा है। नेता प्रतिपक्ष का पद सरकार को सही दिशा में ले जाने के लिए उत्तरदायी होता है लेकिन राहुल गांधी से ऐसी उम्मीद करना बेमानी ही है।