भाजपा और कांग्रेस की आर्थिक नीतियां एक, फिर क्यों गए कन्हैया

विश्वपति 

पटना। विभिन्न वामपंथी दलों एवं वहां विचारकों ने कांग्रेस में शामिल हुए जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार से कई सवाल पूछे हैं और उनका जवाब भी सार्वजनिक करने की मांग की है।
इन दलों और विचार को ने पूछा है कि कन्हैया आप ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली है। वहां जाने का बहाना बनाया है कि बड़ा जहाज ही देश को डूबने से बचा सकता है छोटी-छोटी नावों से देश नहीं बच सकता।
मिस्टर कन्हैया ये केवल बहाने हैं, आप किन शर्तों पर कांग्रेस में गए हैं यह तो आप जानें, मगर किसी भी देश या समाज को बचाया और बनाया जाता है आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक नीतियों से।
आपने इन तमाम नीतियों का कोई खुलासा नहीं किया है, आपने इन्हें जान पूछ कर छिपा लिया है। आप कितने भोले और मासूम बन कर दिखा रहे हैं? आज जिस पीड़ा और संकटों से हमारा देश और समाज गुजर रहे हैं,
इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी, जब नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह समेत सारी कांग्रेस ने, देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियां शुरू की थी।
कांग्रेस उदारीकरण और निजीकरण की नीतियों को धीरे धीरे लागू कर रही थी, भाजपा आज उन्हीं नीतियों को बहुत ही तेज गति से लागू कर रही है और देश की हर संपत्ति और संसाधनों को चंद पूंजीपतियों के हाथों में सौंप रही है।
आपको पता होना चाहिए कि कांग्रेसी और बीजेपी की आर्थिक नीतियों में कोई फर्क नहीं है, जब कांग्रेस की सरकार सत्ता में होती है तो बीजेपी उसकी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है और अब जब बीजेपी सत्ता में है तो कांग्रेस भी बीजेपी की आर्थिक नीतियों को सपोर्ट कर रही है।
क्या आपको यह हकीकत पता नहीं थी? आज आपको भी इन्हीं जनविरोधी नीतियों को सपोर्ट करना पड़ेगा तो फिर आप नया क्या करोगे?
आप नारे लगाते थे,,,, पूंजीवाद से आजादी, साम्राज्यवाद से आजादी, सामंतवाद से आजादी, हम लेके रहेंगे आजादी। आपने क्या कमाल किया, आप तो आजादी के नारे लगाते लगाते पूंजीवाद, साम्राज्यवाद और सामंतवाद की शरण में जा पहुंचे उन्हीं की गोद में जा कर बैठ गए।
अब आप किस मुंह से आजादी की मांग करेंगे? आपने कांग्रेसी नेतृत्व के सामने सबको शिक्षा, सबको काम, सबको घर, सबको इलाज, सब की सामाजिक सुरक्षा, सभी वृद्धों को पेंशन और सब को रोजगार की कोई शर्त रखी है क्या? अभी तक ऐसी कोई जानकारी प्रकाश में नहीं आई है।
सबको मालूम है कि केंद्र सरकार 7 साल से कारपोरेट के पक्ष में धड़ाधड़ निर्णय ले रही है लेकिन उसके खिलाफ कांग्रेस कभी सड़क पर नहीं आई है । कांग्रेस ने कोई आंदोलन भी नहीं किया है केवल वह बयानबाजी करके सरकार की आलोचना करके अपना रस्म निभा लेती है । कांग्रेस कागजी पार्टी बन चुकी है।
कन्हैया याद रखना, कांग्रेसी इन जनविरोधी नीतियों को बदलने नहीं जा रही है, उसका ऐसा कोई एजेंडा भी नहीं है। कांग्रेस आज भी बडे पूंजीपतियों की पार्टी है और भविष्य में भी ऐसी ही रहेगी। जनकल्याण की नीतियां उसके एजेंडे में नहीं हैं। आपने तो सीपीआई से भी नहीं सीखा, जिसने आपातकाल के समर्थन को अपनी गलती और भूल मानकर, देश में वामपंथी मोर्चे का निर्माण किया था और इसे बनाने में मदद की थी और आज भी उन्हीं जनकल्याण की नीतियों पर चल रही है।
आपको सीपीआई या उसके नेताओं से परेशानी हो रही थी तो आप किसी दूसरे वामपंथी दल में जा सकते थे।
कांग्रेस में आप इंकलाब तो करने से रहे। वहां आप जनकल्याण की नीतियों का पालन भी नहीं करा सकते। कांग्रेस की जनविरोधी नीतियों को बदलने की कोई कुव्वत भी आप में नहीं है। हां विधायक, सांसद या मंत्री बनने की चाह या बहुत जल्द धनवान बनने की चाह, आपको वहां खींच कर ले गई।
लेफ्ट को बड़ा धक्का तो नही लगेगा , मगर हां दुश्मनों को आपने कम्युनिस्टों का उपहास उड़ाने का मौका जरूर दे दिया।
वैसे आपकी अपरिपक्वता का पता तो तभी चल गया था जब आपने तत्कालीन परिस्थितियों को जाने बगैर, कॉमरेड स्टालिन की कटु और अनावश्यक आलोचना की थी। आपकी उस हरकत ने आपका कद छोटा किया था और अब तो आप जीरो पर खड़े हैं।
युगांतरकारी क्रांतिकारी बनकर ही आप युवकों, समाज और देश को दिशा दे सकते थे, कांग्रेस में जाकर नही। कांग्रेस कोई युगांतरकारी या क्रांतिकारी पार्टी नहीं है।कन्हैया आपने यह क्या किया?आने वाली पीढ़ियां आप को कभी भी माफ नहीं करेंगी।
इन विचारकों ने कहा है कि कन्हैया ने सिर्फ अपना मतलब साधना ,अपने राजनीतिक गोटियां को साधने के लिए ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं । वह समझते हैं कि राहुल गांधी को मूर्ख बनाकर उनसे मनमाने फैसले कराए जा सकते हैं। कांग्रेस पार्टी का बड़ा फंड भी है , वहां से उनको काफी पैसे भी चुनावी राजनीति के नाम पर मिल जाएंगे । कहीं ना कहीं निहित स्वार्थों के कारण है कन्हैया उस पार्टी में शामिल हुए हैं।

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