बंगाल ब्यूरो

कोलकाता, । नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर केंद्र सरकार की ओर से आयोजित पराक्रम दिवस के दिन भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तल्खी नजर आई है। खासकर उन अंतिम क्षणों में जब ममता बनर्जी ने जय श्रीराम के नारे को सुनने के बाद मंच से ही केंद्र सरकार पर अपमानित करने का आरोप लगाया और संबोधन करने से इनकार कर दिया। इसके बाद कार्यक्रम के समापन पर ममता बनर्जी ने आगे बढ़कर पीएम मोदी से बात करने की कोशिश की लेकिन प्रधानमंत्री ने नजरअंदाज कर दिया और दूसरे कार्यक्रम के लिए आगे बढ़ गए। दरअसल जैसे ही ममता बनर्जी का नाम संबोधन के लिए पुकारा गया, उसके बाद दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। इस पर ममता बिफर पड़ी और डाइस पर जाकर कहा कि यह एक सरकारी कार्यक्रम है राजनीतिक कार्यक्रम नहीं, इस तरह से किसी को बुला कर अपमानित करना ठीक नहीं है। इसके प्रतिवाद स्वरूप मैं संबोधन नहीं करूंगी। मंच पर ममता बनर्जी की ये बातें प्रधानमंत्री को शायद बहुत बुरी लगी हैं। दरअसल कार्यक्रम की शुरुआत से ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीएम के साथ पूरे कार्यक्रम में रहीं। कहीं भी दोनों के बीच कोई खटास नजर नहीं आई। ममता ने जब संबोधन से इनकार कर दिया, उसके बावजूद प्रधानमंत्री बड़े आराम से उठे, डायस तक गए, ममता की तरफ देखा तक नहीं। नेताजी के जीवन के हर पहलू को छुआ और देश की उपलब्धियों को गिनाया, आत्मनिर्भरता की बातें कहीं और यह भी कहा कि सोनार बांग्ला बनाने की प्रेरणा भी उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस से मिली। उसके बाद प्रधानमंत्री जब अपना वक्तव्य समाप्त कर अपनी कुर्सी की ओर बढ़ रहे थे तब ममता ने दो कदम आगे बढ़ कर उनकी ओर बढ़ी लेकिन पीएम ने उन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया, कोई बात नहीं की और दूसरे कार्यक्रम में जाने के लिए उतर गए। राजनीतिक विश्लेषकों ने इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाने शुरू कर दिए हैं। बंगाल में विधानसभा चुनाव सर पर है इसलिए प्रधानमंत्री के इस कदम को लेकर चर्चा तेज हो गई है। खबर है कि खुलेआम मंच से ममता बनर्जी ने जिस तरह का बर्ताव दिखाया और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे महानायक की जयंती पर भी किसी एक दर्शक की वजह से संबोधन से इनकार किया है उसे लेकर गलत संदेश गया है।

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