भगवान केवल प्रेम और भक्ति से ही होते हैं प्रसन्न — पं. दिनेश मिश्रा

 

Yogesh suryawanshi 28 अक्टूबर, मंगलवार

 

सिवनी/डूंडा

सिवनी : श्रीकृष्ण की ममतामयी लीलाओं के माध्यम से भक्तों को यह संदेश मिला कि भगवान केवल प्रेम और भक्ति से ही प्रसन्न होते हैं। नगर के कबीर वार्ड डूंडासिवनी केंद्रीय विद्यालय के समीप स्थित साईं नगर दिलबाग नगर में क्षेत्र की समस्त महिला मंडलों के संयुक्त तत्वावधान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन मंगलवार को कथा व्यास पंडित दिनेश मिश्रा ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण जन्म, नंदोत्सव और बाल लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन सुनाया।

 

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि बाल्यकाल से ही भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए पूतना, अघासुर, तृणावर्त, धेनुकासुर, बकासुर और केशी जैसे राक्षसों का अंत किया।

 

पं. मिश्रा ने माखन चोरी लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि यह केवल एक बाल लीला नहीं, बल्कि भगवान और भक्त के मधुर प्रेम का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि माखन मेहनत और स्नेह का प्रतीक है, और भगवान को भोग के रूप में अत्यंत प्रिय है। बालकृष्ण अपने सखाओं के साथ गोपियों के घरों में माखन चुराने जाते थे, जिससे उनके प्रति गोपियों का प्रेम और बढ़ जाता था।

 

कथावाचक ने कहा कि श्रीकृष्ण का बाल रूप प्रेम, आनंद और स्नेह का प्रतीक है। उनकी शरारतें गोकुलवासियों के हृदय में आज भी जीवित हैं और भक्तों के जीवन में आनंद का संचार करती हैं।

 

कथा के समापन पर गिर्राज पूजा प्रसंग का उल्लेख करते हुए पं. मिश्रा ने बताया कि श्रीकृष्ण ने इंद्र पूजा को बंद करवा कर गिर्राज जी की पूजा आरंभ कराई। उन्होंने कहा कि गिर्राज महाराज कलयुग के प्रत्यक्ष देवता हैं, और जो सच्चे हृदय से उनका पूजन व भोग लगाता है, उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।

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