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पति और चांद को निहारकर व्रत पूरा किया,
Yogesh Suryawanshi 22 अक्टूबर,मंगलवार
सिवनी/बरघाट :जिले में सुहागिन महिलाओं ने पति को लंबी आयु की कामना के लिये महिलाओं ने रविवार को दिन भर निर्जला व्रत रखा और शाम को चांद निकलने का इंतजार किया। वहीं चांद निकलने पर अपने चांद (पति) का चलनी की ओट में दीदार कर चंद्र देव को अर्घ्य दिया और अपना व्रत पूरा किया। करवाचौथ रविवार को आसमान पर बादल छाए रहे, निर्धारित समय 7.30 बजे तक चंद्रदेव के दर्शन नहीं हुये. 8 बजे के आसपास चंद्र देव ने दर्शन दिये, इंतजार के बाद चंद्रदर्शन के उपरांत महिलाओं ने अपना व्रत पूरा किया, करवा चौथ पर बाजारों में काफी चहल-पहल रही। उपहारों की खरीददारी हुई और महिलाओं ने नए-नए परिधान खरीदे और हाथों में मेंहदी सजाई। चूड़ी, बिंदी से श्रृंगार किया और विधि-विधान से करवा की पूजा कर अपने पति के दीर्घ आयु होने की कामना की। पंडित हरिकुमार तिवारी ने बताया कि यह व्रत दाम्पत्य जीवन में मनमुटाव को दूर करने के साथ चंद्रमा के प्रभाव से मन को शीतलता भी प्रदान करता है। करवा चौथ के व्रत में मिट्टी से बने करवा में पूजन सामग्री रखकर भगवान चंद्र देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान भोले शंकर पूजन का विधान है। करवा चौथ कार्तिक मास की चतुर्थी को होता है। इस दिन करवे की पूजा की जाती है। यह पर्व माता पार्वती की आराधना का पर्व है। ग्रंथों के मुताबिक माता सीता ने भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को पति के रूप में प्राप्त करने के बाद माता पार्वती की आराधना करते हुए सर्वप्रथम कार्तिक चतुर्थी का व्रत कर पति की मंगल कामना की गई।