Yogesh suryawanshi 05 मई, सोमवार
सिवनी/आमगांव : सिवनी से 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम आमगांव में दिनांक 28 अप्रैल से दिनांक 6 में तक नवनिर्मित भव्य मंदिर में अक्षय तृतीया के पुण्य पवित्र
शुभ मुहुर्त में जगज्जननी जगदम्बा माता की अतिसुन्दर प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा आचार्य श्री सनत कुमार उपाध्याय जी के आचार्यत्व में शास्त्रोक्त विधि विधान के साथ की गई जिसकी पूर्णाहुति 6 मई को होगी । प्रतिदिन प्रातः काल से ही दुर्गा सप्तशती के मंगलमय वेदमन्त्रों की गूंज से चारों ओर का वातावरण पवित्र हो रहा है । इन शुभ कार्यों के साथ द्वारका से पधारे विद्वान व्यास आचार्य श्री क्षितिज जी के मुखारविंद से माता जगदंबा की पुण्य मयी महिमा देवी भागवत महापुराण के माध्यम से दूर-दूर से आए भाविक भक्तों को श्रवण करा रहे हैं आसपास के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त कथा श्रवण कर रहे हैं । आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि जीव ईश्वर का अंश है । देवी भागवत महापुराण के अनुसार शुकदेव जी का विवाह पितरों की कन्या पीवरी के साथ हुआ आज के कथा प्रसंग में व्यास जी ने मधुकैटभ दैत्यों के उद्धार की विस्तृत व्याख्या की । जीवन में गुरु की आवश्यकता गुरु के लक्षण एवं शिष्य के कर्तव्यों के विषय में भी आचार्य श्री के द्वारा उद्बोधन किया गया ।
बड़े बड़े ज्ञानियों को जो माया मोह में फंसा देती है उसे माया कहा गया है। देवी भागवत पढ़ने सुनने के बाद मनुष्य की स्त्रियों के बारे में विचार करने की बुद्धि बदल जाएगी। महाप्रलय के समय नारायण के कान में माता भगवती ने आधे श्लोक द्वारा.देवी भागवत का उपदेश किया । नित्य, नैमित्तिक प्राकृतिक आत्यन्तिक ये चार प्रकार के प्रलय शास्त्रों में वर्णित है। जो सर्वत्र और सर्वदा है वहीं मां भगवती हैं। कलियुग में भगवान बड़ी आसानी एवं अनायास प्राप्त हैं।
अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का नाम योग है। जैसे दूध में से घी प्रकट करने की एक विधि होती है। उसी प्रकार जगत में व्याप्त ईश्वर को प्रकट करने के विधि का नाम प्रेम है।