शासन-प्रशासन की उदासीनता पर व्यंग्य, सामाजिक कार्यकर्ता की अनोखी पहल
Yogesh suryawanshi 03 नवंबर

, सोमवार
सिवनी/केवलारी : सिवनी से मंडला मार्ग की जर्जर हालत और जिम्मेदार विभागों की अनदेखी के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता स्वप्निल उपाध्याय ने अनोखा तरीका अपनाया है। उन्होंने 3 नवंबर को सड़क के गड्ढों में “बेशरम” के पौधे लगाकर शासन-प्रशासन की लापरवाही पर व्यंग्यात्मक प्रहार किया।
स्वप्निल उपाध्याय का कहना है कि, “पिछले एक वर्ष से यह सड़क हादसों को न्योता दे रही है। बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब प्रतीकात्मक विरोध के माध्यम से प्रशासन को जगाना जरूरी हो गया है।”
गौरतलब है कि सिवनी से मंडला को जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग, खासतौर पर कान्हीवाड़ा से नैनपुर के बीच का हिस्सा, इस कदर खराब हो चुका है कि लोग मजाक में कहते हैं — “सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क।”
दैनिक दुर्घटनाओं और चोटों के बावजूद अब तक मरम्मत या पुनर्निर्माण की दिशा में ठोस पहल नहीं की गई है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि केवल गड्ढे भरना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है, बल्कि इस मार्ग का पुनर्निर्माण और चौड़ीकरण अत्यावश्यक है।
यह मार्ग न केवल सिवनी और मंडला जिलों को जोड़ता है, बल्कि पेंच और कान्हा राष्ट्रीय उद्यानों के बीच की कड़ी भी है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इसी रास्ते से गुजरते हैं। ऐसे में सड़क की बदहाल स्थिति राज्य की पर्यटन छवि पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंत्री, सांसद, विधायक और अधिकारी इस मार्ग से प्रतिदिन गुजरते हैं, फिर भी सड़क सुधार को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
स्वप्निल उपाध्याय की यह पहल अब आमजन की आवाज बनती जा रही है। लोगों का कहना है —
“शायद बेशरम के पौधे ही प्रशासन की बेशरमी को जगा दें।”
