15 वर्षों से सिवनी में जमे राजस्व निरीक्षक रतन शाह उईके और 10 वर्षों से जमे राकेश दीक्षित पर न प्रशासन का जोर, न राजनीतिक दबाव का असर
स्थानांतरण आदेश के बाद भी नहीं हो सकी कार्यमुक्ति, सिवनी से कुरई से छपारा हुआ तबादला फिर भी बने हुए हैं पद पर यथावत
Yogesh suryawanshi 09 जुलाई, बुधवार
सिवनी/कुरई : जिले में एक बार फिर से प्रशासनिक प्रणाली पर प्रशन खड़े हो रहे हैं, जहां राजस्व निरीक्षक रतन शाह उईके और राकेश दीक्षित का 17 जून 2025 को सिवनी से कुरई स्थानांतरण आदेश जारी हुआ, लेकिन हफ्तों बाद भी वे अपने मूल पद पर डटे हुए हैं। यह पहला मौका नहीं है, जब उईके, का तबादला हुआ हो और उसे अमल में नहीं लाया गया हो। 3 वर्ष पूर्व भी स्थानांतरण आदेश निर्गत हुआ था, लेकिन अधिकारियों की ‘मिलीभगत’ और ‘राजनीतिक पकड़’ के चलते वे यथावत बने रहे।
रतन शाह उईके पिछले 15 वर्षों से ओर राकेश दीक्षित एक ही स्थान पर पदस्थ हैं, जो साफ तौर पर स्थानांतरण नीति और प्रशासनिक पारदर्शिता का मज़ाक उड़ाता है। क्षेत्र में लोग इन्हें ‘अंगद के पैर’ की संज्ञा दे रहे हैं, जिन्हें न सत्ता बदल सकी और न ही प्रशासनिक आदेश।
प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो कलेक्टर द्वारा स्थानांतरण सूची में इनका नाम शामिल किया गया था, लेकिन न तो संबंधित विभाग ने रिलीविंग आदेश जारी किया, न ही कोई स्पष्ट जवाब दिया जा रहा है कि आखिर उन्हें स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया।
जनता के उठते सवाल:
1. क्या रतन शाह उईके और राकेश दीक्षित पर कोई विशेष राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण है?
2. यदि स्थानांतरण अमल में लाना ही नहीं था, तो उसे प्रसारित क्यों किया गया?
3. स्थानांतरण नीति का पालन न करना क्या कलेक्टर की कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाता?
इस मामले ने प्रशासनिक कार्यशैली, निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप पर गहरे प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। लोगों में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या वाकई कुछ अधिकारी ‘सबसे ऊपर’ होते हैं ।
यदि प्रशासन ऐसे मामलों में गंभीर नहीं हुआ, तो यह उदाहरण अन्य अधिकारियों के लिए भी अनुचित स्थायित्व का आधार बन सकता है, जिससे भ्रष्टाचार और जनहित की उपेक्षा को बल मिलेगा।

इनका कहना है कि – कुरई आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है इस स्थित में खाली नहीं रखा जा सकता है। कोई आ जाए तो रिलीव कर दिया जाएगा कुरई तहसीलदार एस के चौधरी।
