मनीष कुमार
मुंगेर की बेटी लगातार सफलता की सीढ़ी चढ़ रही हैं एडवोकेट की बिटिया बनी ऑफिसर ,
पहले ही प्रयास में दिब्या मिश्रा ने BPSC ट्रेक कर बनी स्कुटीब पदाधिकारी नगर निगम में,
परिबार में है खुशी का माहौल, जिले का किया नाम रौशन
मुंगेर । शहर के वार्ड नंबर 34 ,मोहल्ला पुरानीगंज के निवासी एडवोकेट रामगुलाम मिश्रा की छोटी बेटी दिब्या मिश्रा (23)वर्षीय ने पहली प्रयास में बिहार लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित 67वी परीक्षा में 371वा रैंक लाकर सफलता प्राप्त कर अपने मुंगेर शहर का नाम रौशन की।दिब्या मिश्रा को 371वा रैंक मिला और( MEO,) नगर निगम में स्कुटीब पदाधिकारी पद प्राप्त हुई है।उसके चयन से मोहल्ले वाशियो और परिवार में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है,मोहल्ले के लोग और परिजनों ने उनके घर पर पंहुचकर दिब्या मिश्रा तथा उनके माता नीलम मिश्रा पिता रामगुलाम मिश्रा को मिठाई खिलाकर बधाई देते नजर आ रहे है।दिब्या ने कही हमारी बचपन से पढ़ाई मुंगेर के सरस्वती शिशु मंदिर और विद्यामंदिर मे इंटर तक हुई थी फिर BHU बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री 2020 में हासिल की फिर मुंगेर घर पर रहकर बाइजुज़ फाउंडेशन से ऑनलाइन कोर्स की जो हमारे शिक्षा की गाइड लाइन प्रशांत कुमार मिश्रा जी ने किए,और थोड़ी कड़ी मेहनत कर आज यह सफलता पहली बार मे हासिल कर ली है। दिब्या ने कही हम तीन बहन है और तीनों बहन को मेरी माँ नीलम मिश्रा और पिता रामगुलाम मिश्रा ने पूरा सपोर्ट किए कभी किसी भी तरह का भेदभाव नही किए इसलिए आज हम तीनों बहन एक अच्छी मुकाम पर पंहुचकर माता पिता का नाम रौशन किए है,मेरी बड़ी बहन एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है,मेरी दूसरी बहन सेंट्रल बैंक में पीओ के पद पर है और आज मैं BPSC में 371वा रैंक लाकर नगर निगम में स्कुटीब के पद हासिल किए है।हम तीनों बहन अपने माता पिता को बेटे की कमी कभी महसूस नही होने दिए है।हमारे माता पिता बेटा बेटी की कोई भेदभाव नही रखी हमलोगो को बेटे जैसे स्वभाव हमेशा देती रही और हमलोग भी माता पिता के लिए खड़ी उतरकर माता पिता की स्वाभिमान बढ़ाया है।हम समाज के सभी लोगो से अपील करती हूं कि वह भी बेटी को पढ़ाए उसे सम्मान दे तो वह भी आपकी मान मर्यादा को ख्याल रखकर आपकी स्वाभिमान को बढ़ाएगी,हम हर उस लड़की को कहते है की पढ़कर अपने आपको इतना काबिलियत कर लो कि समाज तुम्हारी कदम चूमेगी।
वही दिब्या के पिता रामगुलाम मिश्रा एक मिडिल क्लास फेमिली से है वह एक पेसे से मुंगेर सिविल कोर्ट में एडवोकेट है उसी से उनका रोजी रोटी चलता है और अपने बच्चों को सही मुकाम तक पंहुचाने में कोई कसर नही छोड़ी है।इन्होंने कहा मेरी तीन पुत्री है पुत्र नही है मै पुत्री को पुत्र समझ कर उसे सही दिशा निर्देश पर रखा मेरी बड़ी बेटी अर्चना मिश्रा जो सॉफ्टवेयर इंजीनियर है,दूसरी बेटी भावना मिश्रा जो सेंट्रल बैंक में पीओ पद पर कार्यरत है और आज तीसरी छोटी बेटी दिब्या ने BPSC में सफलता हासिल कर मेरे और समाज तथा जिले का नाम रौशन की है।मै कभी भी बेटी बेटे में भेदभाव नही रखा हमेशा तीनो बेटी को आगे बढ़ाने का काम किया है,समाज मुझे बेटे का ताना भी देते थे मगर जब मेरी बड़ी बेटी सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनी और उसकी शादी किए तो वही समाज मुझे सम्मान देने लगे फिर मेरी दूसरी बेटी ने बैंक पीओ निकालकर मुझे गर्व महसूस करा डाली फिर आज सबसे छोटी बेटी ने यह सफलता हासिल कर पूरे जिले से मुझे बधाई की सूचना देने लगी मुझे जानने बाले हम आज बहुत खुश है इसका अंदाजा मुझे खुद मालूम नही है।हम समाज को कहते है और अपील करते है आप भी बेटी बेटे मे कोई भेदभाव नही रखे बेटी को पढ़ाए और उसे एक अच्छी ऑफिसर बनाए। दिब्या के पिता ने कहा मुझे अपने आपको भी बेचना पड़े मेरे शरीर के एक एक अंग को भी बेचना पड़े तो भी उसे बेचकर अपने बच्चियों को पढ़ाएंगे और एक अच्छा ऑफिसर बनाने का संकल्प लिया था जो आज मेरा संकल्प पूरा हुआ है ।
वही दिब्या की माँ नीलम मिश्रा जो गृहणी है और एक मध्यम परिवार को लेकर चली उन्होंने कहि मुझे आज बहुत ही फक्र महसूस कर रही हु की मेरी तीनो बेटी एक से बढ़कर एक ऑफिसर बनकर मे्रे और समाज तथा जिले का सम्मान मर्यादा बढ़ाया है,में दुख सुख काटकर भी बेटी को पढ़ाई है उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नही होने दी कभी भी, और मेरी बेटी भी इसके लिए खड़ी उतरी छोटी बेटी दिब्या थोड़ी बहुत बचपन से ही गाना सुनना गाना गाना डांसिंग अपने पहनावा पर ज्यादा ध्यान देती थी मगर मेरी बड़ी बेटी और दूसरी बेटी की सफलता देखकर दिब्या के मन मे भी कुछ कर दिखाने की जज्बा जगी और खेलते धुपते अपनी पढ़ाई को बरकरार रखते हुए आज BPSC की सफलता हासिल कर मेरी मान मर्यादा सम्मान को बढ़ाई है।हम समाज से कहते है कि आपलोग भी बेटी बेटा में भेदभाव नही रखे अगर बेटी है तो उसे खूब पढ़ाए ताकि वह कुछ आगे जाकर ऑफिसर बन जाए।और अपने पैरों पर खड़ा होकर समाज को एक आईना दिखाने का काम कर सके।
दिब्या मिश्रा एक बहुत ही मीडियम क्लास से बिलांग करती है , पिता जो पेसे से मुंगेर सिविल कोर्ट में एक एडवोकेट है आमदनी की कोई और रस्ता नही थी ऐसे में रामगुलाम मिश्रा ने अपने तीनो बच्ची को एक सही दिशा निर्देश देकर तीनो बेटी को एक ऑफिसर बनाकर उन्होंने समाज को भी आईना दिखाने का काम किए है और तीनों बच्चियों ने अपने माता पिता की सपनो को सही सपना को सजग बनाकर उन्हें समाज मे एक अलग पहचान दे दी गई है।इस परिवार से लोगो को एक अलग सिख भी मिली है।