नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पटना : जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने पर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आभार प्रकट करते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज कहा कि कर्पूरी ठाकुर देश के उन चुनिन्दा नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन गरीबों, वंचितों की सेवा में अर्पित कर दिया. उनके सेवाभाव के कारण ही समाज के हर जाति, हर वर्ग में आज भी उनके प्रशंसक विद्यमान हैं. इसीलिए उन्हें जननायक भी कहा जाता है. उनके कामों और उनकी महानता को देखते हुए उन्हें काफी पहले ही भारत रत्न मिल जाना चाहिए था, लेकिन राजद-कांग्रेस की काली राजनीति के कारण यह अभी से पहले मुमकिन नही हो पाया.
उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे जिन्होंने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार से मांग की थी, जिसे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने पूरा कर दिया. इसके लिए बिहार की तमाम जनता उनकी आभारी है.
कर्पूरी ठाकुर जी की ही तरह नमो-नीतीश को पिछड़े-अतिपिछड़ों का सच्चा हितैषी बताते हुए उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर जी के बाद नमो-नीतीश ही ऐसे राजनेता हुए हैं जिन्होंने सही मायनों में गरीबों व अतिपिछड़ों की सुध ली है. नीतीश कुमार ने अतिपिछड़े समाज के तेज विकास के लिए कर्पूरी ठाकुर जी द्वारा दिए गये आरक्षण को बढ़ाकर पहले 18ः किया और अब जातिगत गणना के बाद इसे बढ़ाकर 25ः कर दिया. उन्होंने ही अतिपिछड़ा समाज की नेतृत्व क्षमता को निखारने के लिए उन्हें नगर निकाय चुनावों में में 20ः आरक्षण का लाभ भी दिया हुआ है.
उन्होंने कहा कि यह कर्पूरी ठाकुर जी ही थे जिन्होंने आर्थिक रूप से कमजोर उच्च जाति के पुरुषों के लिए तीन प्रतिशत और महिलाओं के लिए तीन प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी. उनके बाद प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी जी ही हैं जिन्होंने गरीब सवर्णों को 10ः आरक्षण का अधिकार दिया. इसी तरह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी सत्ता संभालते ही महिलाओं के नेतृत्व पर विश्वास किया और उन्हें शिक्षा विभाग में 50ः अन्य सरकारी नौकरियों तथा पोस्टिंग में 35ः तथा मेडिकल, इंजिनियरिंग काॅलेजों आदि के दाखिले में 33ः आरक्षण का अधिकार दिया. नीतीश सरकार के कारण महिलाओं को उनकी आधी आबादी के अनुरूप पंचायत चुनावों में 50ः आरक्षण मिल रहा है. जिसके कारण आज गांव-टोलों में भी महिलाएं कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं.
कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि गाँधी परिवार के तीन-तीन सदस्यों को भारत रत्न देने वाली कांग्रेस ने हमेशा ही देश के महापुरुषों को इतिहास को नकारने का काम किया है. इसीलिए इन्होने सरदार पटेल और बाबा साहब अम्बेदकर को भी भारत रत्न नहीं दिया. उन्हें भी 1991 में जनता पार्टी की सरकार में यह सम्मान मिला. यह दिखाता है कि कांग्रेस की संस्कृति में वह संवेदनशीलता नहीं जो दूसरों को सम्मान दे सके और दूसरों की संवेदनाओं का सम्मान करे।