पीएम नरेंद्र मोदी ने हमेशा ईमानदार राजनीति को सराहा: डॉ रणबीर नंदन
विजय शंकर
पटना: पूर्व विधान पार्षद और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणवीर नंदन ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने को दलित, पिछड़े और वंचित समाज के सम्मान के रूप में पेश किया है। डॉ. नंदन ने कहा कि इंडी गठबंधन के नेताओं के कृत्य का विरोधाभास भी ऐसा है कि उन्हें नफरत भी नरेंद्र मोदी से है और उम्मीद भी नरेंद्र मोदी से है। इंडी गठबंधन को भी मोदी की ही गारंटी चाहिए। जबकि इसी बिहार की धरती पर जब इंडी गठबंधन की नींव रखी गई तो लालू यादव हो या कांग्रेस, सबने पहली ही बैठक में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का निर्णय क्यों नहीं लिया? दरअसल, ये लोग लेना ही नहीं चाहते, सिर्फ राजनीति करना चाहते हैं।
डॉ. नंदन ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर ने देश की राजनीति में पिछड़ों को आवाज देने वाले नेता की भूमिका निभाई। मंडल कमीशन से पहले पिछड़ों के आरक्षण के मसले पर कर्पूरी ठाकुर ने जो कदम उठाया था, उसने ही एक ऐसे वर्ग को ताकत दी, जो अपने हक की आवाज उठाने में सक्षम हो सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारत रत्न के लिए जब कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया तो लोगों में भरोसा जगा है।
डॉ. नंदन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने हमेशा ईमानदार राजनीति को सराहा है। समाजवादी आंदोलन के नेताओं के प्रति उनके दिल में अलग स्थान है। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी ने समाजवादी आंदोलन के पुरोधा नेताओं की चर्चा की तो उन्होंने तीन नाम लिए थे। वह महान नेता जननायक कर्पूरी ठाकुर, जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार थे। प्रधानमंत्री ने हमेशा नीतीश कुमार का सम्मान किया है, लेकिन हमें समझ नहीं आता कि इस प्रकार के नैसर्गिक गठबंधन को छोड़कर नीतीश कुमार ने अलग राह क्यों पकड़ ली। आज नीतीश कुमार राजनीति में परिवारवाद की खिलाफत की बात कर रहे हैं। यही बात हमने कही थी तो जदयू के सर्वोच्च पद पर बैठे नेता के अहम को ठेस लग गई थी।
डॉ. नंदन ने कहा कि आज राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने को राजनीति से जोड़ रहे हैं। उनके सुपुत्र तेजस्वी यादव बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक माननीय काशीराम को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठा रहे हैं। मैं यह पूछना चाहता हूं कि जब लालू यादव यूपीए सरकार के शासनकाल में नीति- निर्धारकों में शामिल थे, तब कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की मांग क्यों नहीं की? क्यों नहीं माननीय काशीराम को भारत रत्न देने का प्रस्ताव दिया। आज जब केंद्र की मोदी सरकार पिछड़ों के सबसे महान नेता का सम्मान कर रही है, तो उन्हें दिक्कत क्यों हो रही है। दरअसल, परिवार में फंसी पार्टी किसी भी पिछड़े, दलित का सम्मान होते कभी देखना ही नहीं चाहती है। इन लोगों को एक परिवार से बाहर कोई दुनिया नहीं दिखाई देती। इंडी गठबंधन के जरिए भी ये लोग उसी परिवार को खुश करने में जुटे हैं।