Vijay Shankar

पटना। जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना के कार्यों एवं योजनाओं की समीक्षा की गयी ।

1. P.M. care for children scheme- योजना के संबंध में सहायक निदेशक द्वारा बताया गया कि वैसे अनाथ बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गयी है, जिसमें से किसी एक की मृत्यु कोरोना से हुई है, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाना है। उक्त योजना में कुल 11 बच्चे पंजीकृत है।
2. मुख्यमंत्री बाल सहायता योजना – योजना के संबंध में सहायक निदेशक द्वारा बताया गया कि वैसे अनाथ बच्चे जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गयी है, जिसमें से किसी एक की मृत्यु कोरोना से हुई है, उन्हें प्रति माह 1500 रूपये का भुगतान किया जा रहा है। उक्त योजना में कुल 10 बच्चे पंजीकृत हैं ।
3. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना – मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के संबंध में सहायक निदेशक द्वारा बताया गया कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवार की कन्या को विवाह के उपरांत एक मुस्त 5000/- की राशि प्रदान की जाती है। 22959 लाभुकों को योजना का लाभ दिया जा चुका है।
4. परवरिश योजना:- परवरिश योजना के संबंध में सहायक निदेशक द्वारा बताया गया कि निकटतम रिशतेदारों के साथ रह रहे अनाथ और बेसहारा बच्चों, एच0आइ०वी० / एड्स / कुष्ट रोग से ग्रसित माता / पिता के बच्चों एवं एच०आई०वी० / एड्स / कुष्ट रोग से पीड़ित बच्चों को इस योजना का लाभ दिया जाता है। वर्त्तमान में 1354 लाभुकों को योजना का लाभ दिया जा रहा है।
5. दत्तकग्रहण से संबंधित समीक्षा:- कोई भी ऐसा दंपत्ति जिसकी शारीरिक एवं मानसिक स्थिति सुदृढ़ हो बच्चा गोद लेने के लिए पात्र हो सकता है, यदि उन्होंने कम से कम दो वर्ष का स्थिर वैवाहिक जीवन व्यतीत किया हो तथा दत्तक ग्रहण हेतु दोनों की आपसी सहमती जरुरी है। अलग-अलग उम्र वाले दंपत्ति को अलग – अलग उम्र के बच्चे की पात्रता होती है। बच्चा गोद लेने के लिए केन्द्रीय दत्तकग्रहण संसाधन प्राधिकरण के वेबसाइट www.cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है । जांचोपरांत बच्चा गोद लेने के पात्र माता -पिता को बच्चा गोद दिया जाता है । एकल पुरूष अभिभावक को केवल लड़का गोद दिया जा सकता है जबकि एकल महिला अभिभावक लड़का एवं लड़की दोनों को गोद ले सकती है । देश में किसी अन्य माध्यम से बच्चा गोद लेना और देना कानूनन अपराध है । पूर्व में दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया फैमिली कोर्ट से पूर्ण होती थी, प्रक्रिया को सुगम बनाने हेतु किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 में संशोधन करते हुए जिलाधिकारी को दत्तक ग्रहण आदेश जारी करने हेतु प्राधिकृत किया गया, जिसके तहत जिलाधिकारी महोदय द्वारा पटना जिला में कुल 16 बच्चों का दत्तकग्रहण आदेश निर्गत किया गया है ।
6. ट्रांसजेंडर योजना:- ट्रांसजेंडर प्रोटेक्शन नियमावली 2020 के प्रावधानानुसार पोर्टल पर प्राप्त आवेदन को वांछित दस्तावेजो के आधार पर निर्धारित समयावधि के अंदर ट्रांसजेंडर प्रमाणपत्र एवं आई०डी० कार्ड निर्गत कर पोर्टल पर उपलोड कर दिया गया है । वर्त्तमान में कुल 64 ट्रांसजेंडर को आई०डी० कार्ड निर्गत किया गया है । ट्रांसजेंडर समुदाय के हित में चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुँचाने एवं उनके समस्याओं के निराकरण हेतु सुविधा केंद्र (जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना) एवं कमिटी का गठन किया गया है। साथ ही The Transgender Persons (Protection of Right) Act, 2019 के प्रावधानों के उल्लंघन संबंधित शिकायत के निवारण हेतु शिकायत निवारण पदाधिकारी सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई, पटना को बनाया गया है। जिला प्रशासन, पटना द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भोजन, वस्त्र, मनोरंजन, चिकित्सा सुविधाओं और परामर्श जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ साथ आश्रय प्रदान करने हेतु गरिमा गृह के संचालन हेतु जगह उपलब्ध कराया गया है। ट्रांसजेंडर समुदाय हेतु ” गरिमा गृह” का संचालन दोस्ताना सफर (NGO) द्वारा खगौल, पटना में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के मार्गदर्शिका के अनुसार किया जा रहा है। जिलाधिकारी के अध्यक्षता में संचालित गरिमा गृह, के संचालन के लिए दोस्ताना सफर (NGO) के सफल संचालन एवं प्रबंधन हेतु जिसका मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना, सभी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों द्वारा पालन किए जाने के लिए उपयुक्त सामान्य नियमों और विनियमों को अपना कर गरिमा गृह में सौहार्दपूर्ण वातावरण की व्यापकता की पुष्टि करना एवं कौशल विकास और कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के माध्यम से एक सभ्य और सम्मानित जीवन जीने के लिए एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को सशक्त बनाना, और उन्हें अत्याचार और सामाजिक कलंक से बचाना है।

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