बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता;
सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहेंः डीएम
विजय शंकर
पटना, 19 जुलाई ।जिलाधिकारी, पटना डॉ. चंद्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में तथा बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 के तहत प्रथम अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। कुल 11 मामलों की सुनवाई की गई।
एक मामले में अपीलार्थी श्री जितेन्द्र प्रसाद आर्य, पताः ग्राम चकबिहारी, अंचल फतुहा, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया था। अपीलार्थी की शिकायत दाखिल-खारिज वाद के निष्पादन एवं जमाबंदी के मौजा हस्तानांतरण करने से संबंधित है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फतुहा द्वारा इस मामले में कोई ईमानदार प्रयास नहीं किया गया है। साथ ही उनकी कार्य-प्रणाली भी असंतोषजनक एवं गैर-ज़िम्मेदाराना है। परिवादी द्वारा दाखिल-खारिज के लिए आवेदन देने के समय कोई टाईटल सूट नहीं था। फिर भी अंचल अधिकारी, फतुहा द्वारा राजस्व कर्मचारी के रिपोर्ट की समीक्षा किए बिना भूमि विवादित एवं न्यायालय में मामला लंबित होने को कारण बताते हुए दाखिल-खारिज वाद को अस्वीकृत कर दिया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि अंचलाधिकारी का कार्यालय-प्रबंधन मापदंडों के अनुरूप नहीं है। उनका अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक प्राधिकार अंचल अधिकारी, फतुहा द्वारा लोक शिकायत निवारण में शिथिलता बरती जा रही है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पटना सिटी के समक्ष दिनांक 26 दिसम्बर, 2023 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग सात महीना की अवधि में भी अंचल अधिकारी ने कोई सार्थक एवं प्रभावी प्रयास नहीं किया। जिलाधिकारी ने कहा कि किसी भी अधिकारी का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। यह लोक प्राधिकार की स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। जिलाधिकारी द्वारा इन आरोपों के कारण भूमि सुधार उप समाहर्ता, पटना सिटी को मामले की सम्यक जाँच कर तथ्यपरक प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निदेश दिया गया। वे इस तथ्य की भली-भाँति जाँच करेंगे कि दाखिल-खारिज वाद को अस्वीकृत करने का आधार प्रमाणित योग्य है कि नहीं। जिलाधिकारी ने कहा कि जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद तथ्यों के आधार पर अंचल अधिकारी, फतुहा के विरूद्ध प्रपत्र-‘क’ गठित किया जाएगा।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों एवं सेवा शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 एवं बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण नियमावली, 2019 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।