ब्यूरो, पटना
पटना, 03 सितम्बर। जनसंख्या पर एक कठोर कानून की आवश्यकता देश को है। भारत में जिस दर से मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि हो रही है, वह एक नए विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार कर रही है. भारत में मुस्लिम और ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि का दर अत्यंत चिंताजनक है. यह स्वाभाविक वृद्धि नहीं है. सिर्फ प्रजनन दर के कारण यह वृद्धि नहीं हो रही है, बल्कि धर्मांतरण के कारण भी यह वृद्धि हो रही है. बिहार का कोई भी ऐसा प्रखंड नहीं जहां हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक है. यह विचार राज्यसभा के पूर्व सांसद एवं चिंतक राकेश सिन्हा ने व्यक्त किए।
पटना के विधान परिषद सभागार में बबुआजी स्मृति एवं शोध संस्थान स्मृति एवं शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘जनसांख्यिकी असंतुलन और बिहार’ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए राकेश सिन्हा ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि की चिंता सिर्फ संसाधनों की कमी ही नहीं है बल्कि यह सभ्यताओं को भी प्रभावित करती है. 1941 में भारत में 74% हिंदू थे, 1951 की जनगणना में हिंदुओं की आबादी 84% हो गई क्योंकि भारत से पाकिस्तान अलग हो चुका था. 2011 की जनगणना में हिंदू आबादी घटकर 79.8% हो गई है।
उन्होंने बिहार का उल्लेख करते हुए कई जिलों की जनसंख्या में हुए परिवर्तन की जानकारी दी. 2001-11 में मधेपुरा में मुस्लिम वृद्धि दर 39% वही हिंदू वृद्धि दर 29% रही. अररिया और सुपौल में यह वृद्धि दर 35% मुस्लिम और 26% हिंदू की रही। पूर्णिया और कटिहार में 34% मुस्लिम वृद्धि दर और 25% हिंदू वृद्धि दर रिकॉर्ड की गई थी. पश्चिम चंपारण और खगड़िया में यह अनुपात 33% और 28% का था। मुजफ्फरपुर और बेगूसराय में 29% की दर से मुसलमानों के वृद्धि हो रही थी जबकि हिंदुओं की वृद्धि 27% थी।
एक और मुसलमान की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है वहीं ईसाइयों की जनसंख्या का वृद्धि दर तो विस्फोटक है. ईसाइयों का प्रजनन दर कम होता है फिर भी बिहार के जिलों में ईसाइयों की संख्या 100% से अधिक तो कई जिलों में तो हजार प्रतिशत से अधिक है. वैशाली में 2001 की जनगणना में 205 ईसाई थे जो 2011 की जनगणना में बढ़कर 2205 हो गए. इस कालखंड में गोपालगंज में 158 से बढ़कर 3353 ईसाई की जनसंख्या हो गई. गया में इनकी वृद्धि दर 353% वहीं नवादा में 88.6% रही.
उन्होंने हिंदू समाज को सचेत करते हुए कहा कि अपने बीच बराबरी का अधिकार सबको देना पड़ेगा. मंदिर बनाने के साथ-साथ बराबरी का उचित हिस्सा सबको देना चाहिए, अगर हम नहीं संभले तो जिस प्रकार पाणिनि का जन्म पाकिस्तान में हुआ जयंती भारत में मनाई जाती है. वह हालात हमारे अन्य महापुरुषों की भी होगी. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह ने बबुआजी के साथ अपने संस्मरणों को साझा किया. कार्यक्रम का विषय प्रवेश संस्था के न्यासी डॉ मोहन सिंह ने किया। न्यासी राजकुमार सिंह ने बबुआ जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।संस्था के अध्यक्ष और बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव ने संस्था के भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी। मंच संचालन न्यासी चंद्र मोहन खन्ना ने किया. धन्यवाद ज्ञापन संस्था के सचिव आनंद प्रकाश नारायण सिंह ने दिया। मंच पर न्यासी अनिल ठाकुर और जसवंत कुमार भी उपस्थित थे।