विजय शंकर
पटना : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने आज पेगासस विवाद पर विपक्ष की जम कर धज्जियां उडायीं. उन्होंने लिखा की जब किसी की खिलाफ़त में सारे हथकंडे फ़ेल हो जाते है, तब विरोधियों के लिए झूठ-प्रपंच और दुष्प्रचार ही एक सहारा होता है. आज भारत के विपक्षी दल अपने आचरण से इसी बात को चरितार्थ कर रहे हैं. फर्जी तथ्यों और कुतर्कों के सहारे मानसून सत्र का लगातार दूसरा दिन बर्बाद करना उनकी इसी रणनीति का नमूना है.
डॉ जायसवाल ने फेसबुक पर लिखा कि पूर्व के संसद सत्रों को याद करें तो ऐसे बहुतेरे मसले याद आएंगे जिनका जन्म सत्र की शुरुआत से ठीक कुछ दिन पहले हुआ और उनके आधार पर विपक्ष ने हो-हल्ला मचा कर संसदीय काम-काज को रोकने में अपना एड़ी-चोटी का जोड़ लगा दिया था. लेकिन असत्य की बुनियाद पर टिका उनका काल्पनिक महल हर बार भरभरा कर धराशायी हुआ है. दरअसल देश में बहुत सारे प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर संसद में सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए पर कांग्रेस अच्छे से जानती है कि चाहे वह कृषि कानून हो अथवा कोरोना का मसला या फिर अन्य मुद्दे, अंत में वह स्वयं अपने बुने जाल में फंस जाएगी और इसलिए इस बार भी ‘पेगासस’ के नाम पर एक बार फिर से कुचक्र रचा जा रहा है.
उन्होंने लिखा कि सत्र के ठीक एक दिन पहले फेक न्यूज़ फैलाने में कुख्यात साबित हो चुका एक वेब पोर्टल, किसी दुसरे के हवाले से सरकार पर फोन टेपिंग का आरोप लगाते हुए एक खबर प्रकाशित करता है, जिसे मोदी सरकार को बदनाम करने में जुटा गिरोह हाथोंहाथ लेता है और बाद में कांग्रेस और उसके सहयोगी इसके आधार पर संसद को बाधित करने में अपना पसीना बहाने लगते हैं. इनके रवैए से ऐसा प्रतीत होता है कि अभियोजक, जांचकर्ता और ज्यूरी, इन तीनों का किरदार यही अदा करना चाहते हैं. दूसरी तरफ इनके सवालों को देखें कमज़ोर रिसर्च और ठोस तथ्यों का अभाव साफ़ दिखाई देता है. इससे यह बात साफ़ हो जाती है कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों का मकसद सिर्फ हंगामा खड़ा करना है.
कांग्रेस पर बरसते हुए उन्होंने लिखा कि यह मसला कांग्रेस की सीना ठोक कर झूठ बोलने की हिम्मत को भी दिखाता है. जिस पार्टी के हाथ खुद फोन टेपिंग में रंगे हो, वह किसी और पर ऐसा झूठा आरोप लगाने से पहले सौ बार सोचेगी. लेकिन अपनी ढिठाई से कांग्रेस ने अपने मानसिक दिवालियेपन को फिर से उजागर कर दिया है. याद करें तो यूपीए कार्यकाल में खुद तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने अपने दफ्तर की जासूसी और फोन टेपिंग के मामले को उजागर किया था. इसके अतिरिक्त अमर सिंह, सीताराम येचुरी, जयललिता, ममता बनर्जी जैसे दिग्गजों ने भी ऐसे आरोप लगायें थे. वर्तमान में राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर तो उनके खुद के विधायक ऐसे लांछन लगा चुके हैं. इससे साफ़ है कि फोन टेपिंग और स्नूपिंग के पापों की भरी-पूरी गठरी अपने माथे पर ढो रही कांग्रेस ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ की राह पर ही चल रही है.
उन्होंने लिखा कि बहरहाल कांग्रेस चाहे लाख अपनी छाती पीटे, वास्तविकता बदलने वाली नहीं. हकीकत यही है कि वर्तमान सरकार अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है. भारत के इलेक्ट्रॉनिक ओर आईटी मंत्री इस विषय में विस्तार से संसद में भी बोल चुके हैं कि सरकारी एजेंसियों द्वारा इस प्रकार का कोई अनधिकृत इंटरसेप्शन नहीं की जाती है. सभी सरकारी एजेंसियों की इसे लेकर कुछ नियमावली होती है, जिसमें राज्य और केंद्र के स्तर पर बैठे कई उच्च स्तरीय अधिकारियों से अनुमति लेना आवश्यक होता है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के इंटरसेक्शन को लेकर कानून बनाए गए हैं जिन पर चलकर ही इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सार्वजनिक हितों में उपयोग किया जाता है. इनका उपयोग भारतीय कानूनों का पालन करते हुए जैसे इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी अमेंडमेंट एक्ट 2000 के सेक्शन 69 पर चलकर ही किया जाता है.
डॉ जायसवाल ने लिखा कि याद करें तो इससे पहले भी कई ऐसे दावे हुए थे जिनमें सरकार द्वारा पेगासस का उपयोग कर व्हाट्सएप जैसे एप्स को निगरानी में रखने की बातें कहीं गईं थीं, लेकिन जाँच में यह दावे पूरी तरह फ़र्ज़ी एवं तथ्यों से कोसों दूर पाए गए थे. यह रिपोर्ट भी बिलकुल उसी तरह की प्रतीत हो रही है. बहरहाल अब पेगासस की पैरेंट कंपनी एनएसओ ने भी इन सभी बातों को बेबुनियाद बताते हुए, रिपोर्ट प्रकाशित करने वाले वामपंथी मीडिया संस्थान पर मुकदमा करने का ऐलान कर दिया है. जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.