विजय शंकर
पटना : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय, पटना द्वारा आज संविधान दिवस के अवसर पर “संविधान और नागरिकों के अधिकार एवं दायित्व” विषय पर वेब-गोष्ठी का आयोजन किया गया।
पत्र सूचना कार्यालय और रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस.के.मालवीय ने वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि भारतीय संविधान हम भारतवासियों के लिए सम्मान की बात है। हम सब भाग्यशाली भी है कि इसके द्वारा हमें अपने अधिकार एवं दायित्व प्राप्त हुए । उन्होंने कहा कि देश जब आजाद हुआ तो हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती देश के लिए एक संविधान बनाना और सभी नागरिकों के अधिकारों एवं दायित्व को बनाए रखना था। संविधान निर्माताओं के अथक मेहनत से यह संविधान हमें प्राप्त हुआ है और इसके प्रति लोगों का विश्वास ही इसकी सबसे बड़ी सफलता है ।
पत्र सूचना कार्यालय, पटना के निदेशक दिनेश कुमार ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि भारत का संविधान हमें गरिमा से जीने का अधिकार प्रदान करता है और साथ ही हमारे प्रजातंत्र को सुचारू रूप से संचालित करने का मैनुअल (निर्देशिका) भी है । इसके माध्यम से विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका अपना काम करती है । वही मौलिक अधिकार के बारे में उन्होंने कहा कि यह संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जिसके माध्यम से नागरिकों के अधिकार को संरक्षण मिलता है। इससे संविधान में नागरिकों की आस्था बढ़ती है।
अतिथि वक्ता के रूप में बोलपुर, बीरभूम, प.बंगाल के सिविल जज, श्री सुरंजन चक्रवर्ती ने संविधान और उसके प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, नागरिकों के दायित्व और न्यायपालिका के बारे में इस वेब- गोष्ठी में विस्तार से अपनी बात रखी । उन्होंने कहा कि संविधान हमारे सभी कानूनों का आधार है। कोई कानून जो संविधान के अनुरूप नहीं है तो न्यायपालिका को उसे सिरे से खारिज करने का अधिकार भी इसी संविधान से प्राप्त होता है । उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि संविधान के विभिन्न भागों जैसे प्रस्तावना, नागरिकता, मौलिक अधिकारों एवं दायित्व के बारे में लोगों को बताने की आवश्यकता है | तभी लोग अपने अधिकारों को जान सकेंगे |। इसमें हम सबों को आगे आना होगा |
बेगूसराय के ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट-1, राजीव कुमार ने कहा कि आज के वेब-गोष्ठी का विषय “संविधान और नागरिकों के अधिकार एवं दायित्व” चार शब्दों पर आधारित है, जिसके माध्यम से हम संविधान को आसानी से समझ सकते हैं | इसमें संविधान, नागरिकता, अधिकार और दायित्व है इन चारों का आपस मैं गहरा संबंध है । यदि नागरिकता की बात होती है, तो कहीं न कहीं देश अपने आप आ जाता है।
वेबिनार में शामिल डॉ बद्रे आलम खान, प्रिंसिपल,सी एम लॉ कालेज दरभंगा, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने संविधान की विकास यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवता की उत्पति एक मानव से हुई और धीरे- धीरे लोगों की संख्या बढती गई। पहले इन धार्मिक किताबों के जरिए उनके अधिकारों एवं दायित्व निर्धारित करने का प्रयास किया गया, लेकिन बाद में धार्मिक बाह्य आडंबरों के कारण इन किताबों की जगह संविधान की परिकल्पना की गई । इस के माध्यम से लोगों के अधिकारों एवं दायित्व को निर्धारित करने का काम किया गया ।
अतिथि वक्ता के रूप में शामिल ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट,पटना में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर, डॉ. विद्यार्थी विकास ने कहा कि संविधान द्वारा जहां सरकार के अधिकारों की रूपरेखा तय होती है , वही नागरिकों के अधिकारों को लागू करने का भी काम होता है । उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि संविधान के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए जानकार लोगों , अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और संस्थाओं को आगे आकर लोगों में संवैधानिक जागरूकता लाने का काम करना चाहिए ।
वेबिनार का संचालन पत्र सूचना कार्यालय, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन आरओबी पटना के सहायक निदेशक एन. एन. झा ने किया। वेबिनार में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की बिहार स्थिति सभी इकाईयों के साथ बड़ी संख्या में आम लोगों ने भी हिस्सा लिया।

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