नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण-सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है, ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत सिंपल होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। एक वाकया का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अपने इतने लंबे राजनीतिक सफर में उनको एक बात का मलाल है। मोदी ने जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए रविवार को देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।

आकाशवाणी के ”मन की बात कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार इस साल ”विश्व जल दिवस से 100 दिनों का अभियान भी शुरू करेगी। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है और नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है इसलिए इसका विस्तार देश में और ज्यादा मिलता है।

प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ ही दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी से उनकी बात हुई तो उन्होंने एक सवाल पूछा कि आप इतने साल पीएम रहे, सीएम रहे, क्या आपको लगता हैं कि कुछ कमी रह गई है। पीएम मोदी ने कहा कि यह सवाल जितना सहज था उतना ही मुश्किल भी। पीएम मोदी ने कहा कि मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा कि मेरी एक कमी यह रह गई कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल नहीं सीख पाया। पीएम मोदी ने कहा कि तमिल सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है, बहुत से लोगों ने मुझे तमिल साहित्य की क्वालिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान विविधताओं वाले देश की अलग-अलग भाषाओं का जिक्र किया। संस्कृत भाषा पर बात करते हुए उन्होंने वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित क्रिकेट टूर्नामेंट के दौरान संस्कृत में हुई कमेंट्री का एक हिस्सा भी सुनाया। पिछले दिनों संपूर्णानंद संस्कृत विश्ववविद्यालय में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था जिसमें धोती पहनकर स्टूडेंट्स खेलते नजर आए थे। साथ ही संस्कृत में कमेंट्री भी सुनाई गई थी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत ऐसी अनेक भाषाओं स्थली है, जो हमारी संस्कृति और गौरव का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि वाराणसी में संस्कृत महाविद्यालयों के बीच एक क्रिकेट टूर्नामेंट होता है। इसी टूर्नामेंट में हुई कमेंट्री का एक ऑडियो क्लिप सुनाते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘ये महाविद्यालय हैं–शास्त्रार्थ महाविद्यालय, स्वामी वेदांती वेद विद्यापीठ, श्री ब्रह्म वेद विद्यालय और इंटरनैशनल चंद्रमौली चैरिटेबल ट्रस्ट।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने प्रसिद्ध रेडियो कार्यक्रम ‘ मन की बात’ को संबोधित करते हुए हरिद्वार में आयोजित हो रहे कुंभ मेले का भी जिक्र किया. उन्होंने जल को आस्था और जीवन के विकास की धारा भी बताया. माघ महीने में जलाशयों में स्नान की परंपरा की भी चर्चा की. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है. पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहा जाता है कि पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श, जीवन के लिए जरूरी है, विकास के लिए जरूरी है.”प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “कल माघ पूर्णिमा का पर्व था. माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है. माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है.”

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