-दिव्यांग प्रमाणपत्र बनाने को प्रखंडवार मेडिकल बोर्ड है गठित
– दिव्यांगता जांच शिविर में 42 दिव्यांगों की जांच कर प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया
सुबोध, ब्यूरो किशनगंज
किशनगंज, 03 अगस्त।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की अतिमहत्त्वाकांक्षी यूडीआईडी परियोजना के तहत सूबे में दिव्यांगजनों का कार्ड बनाया जा रहा है । जिलाधिकारी तुषार सिंगला के दिशा- निर्देश के आलोक में सभी प्रखण्डों के वरीय पदाधिकारी यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए विभिन्न तरह के आयोजन कर अधिक से अधिक कार्डधारी दिव्यांगजनों को आधार से लिंक करने के लिए अपने-अपने प्रखंडों में ऑनलाइन कराना सुनिश्चित कर रहे हैं। जिसमे शनिवार को सदर अस्पताल में दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर दिव्यांग व्यक्तियों को प्रमाण पत्र प्रदान करने और उन्हें सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस शिविर में डॉ राहुल कुमार, डॉ स्वाति कुमारी एवं श्री अविनाश राय, कोऑर्डिनेटर और कर्मचारियों की व्यापक भागीदारी रही।
दिव्यांगता जांच शिविर में 42 दिव्यांगों की जांच कर प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया-
दिव्यांगता मेडिकल बोर्ड के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ राहुल कुमार ने बताया कि 03 अगस्त दिन शनिवार को को सदर अस्पताल में दिव्यांगता जांच शिविर में 63 दिव्यांगों की जांच की गई । जिसमे 42 को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया गया है। जिसमे 37 दिव्यांग का शारीरिक परिक्षण एवं 6 दिव्यांग का नेत्र परिक्षण कर दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया में हैं! साथ ही 09 ऐसे दिव्यांग जो कान मुँह से थे उनको डॉक्टर सचिन प्रसाद, ई एनटी , माता गुजरी मेडिकल कॉलेज अस्सेस्मेंट के लिए रेफर किया गया !यह आयोजन सिविल सर्जन की देखरेख में किया गया है। गौरतलब हो कि नाक,कान, गला, मूक -बधिर एवं मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चे का अपने सम्बंधित रोग का एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जांच कराकर जांच रिपोर्ट दिव्यांग आवेदन के साथ संग्लन करना आवयश्क है।
यूडीआईडी कार्ड को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया में आई तेजी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि यूडीआईडी कार्ड बनाने के लिए प्रतिदिन कार्य किया जा रहा है। अभी तक जिनलोगों का यूडीआईडी कार्ड बन गया है लेकिन आधार से जोड़ा नहीं गया, उसको जोड़ने का कार्य तेजी के साथ किया जा रहा है। जिनका कार्ड नहीं बना है, उनलोगों को निम्नलिखित दस्तावेज को अपने साथ लाना पड़ेगा। जिसमें मुख्य रूप से दिव्यांगता प्रमाणपत्र, आधारकार्ड या आवासीय प्रमाणपत्र, पहचानपत्र, फोटो के साथ उनकी विवरणी, आवासीय एवं पहचानपत्र से संबंधित भारत सरकार या बिहार सरकार द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र जैसे: मतदाता पहचान पत्र, विद्यालय पहचानपत्र, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, बैंक पासबुक इत्यादि सक्षम पदाधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाणपत्र मान्य होगा।
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने शिविर के उद्देश्य और लाभ बताये
– *सशक्तिकरण:*
शिविर का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करना था।
– *सरकारी योजनाओं का लाभ:*
दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने से दिव्यांग व्यक्ति विभिन्न सरकारी योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होगा।
– *समुदाय की भागीदारी:*
शिविर ने समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाने का कार्य भी किया। इस तरह के शिविरों का आयोजन भविष्य में भी नियमित रूप से किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को इसका लाभ मिल सके। सदर अस्पताल का यह प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
– शिविर में उपस्थित लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं, लाभों और उनके आवेदन की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई।
– इसके साथ ही, उन्हें आवश्यक दस्तावेजों और अन्य प्रक्रियाओं के बारे में मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया।
प्रमाण पत्र से जीवन में नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता का संबल मिला है।
सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया की सदर अस्पताल में प्रत्येक माह के 03 एवं 28 तारीख को दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने शिविरों का आयोजन नियमित रूप से किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को इसका लाभ मिल सके। यह प्रयास समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।इस शिविर के सफल आयोजन से समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति जागरूकता और सहानुभूति बढ़ी है, जिससे उन्हें जीवन में नई उम्मीद और आत्मनिर्भरता का संबल मिला है।