पूर्णिया की रैली में भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य का संबोधन
नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो
पुर्णिया : पूर्णिया की धरती महान साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु, नक्षत्र मालाकार और अजित सरकार की धरती है. आज महात्मा गांधी का शहादत दिवस है. आजादी के महज 6 महीने बाद जिस विचारधारा के लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी, वही ताकतें आज देश में राज कर रही हैं. ऐसे में, देश को बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा.
राहुल गांधी जी ने नफरत के खिलाफ मोहब्बत का संदेश लेकर कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा की और इस बार की यात्रा मणिपुर से शुरू की है, जहां पिछले कई महीनो से भाजपा के शासन में राज्य संरक्षित हिंसा हो रही है. वहां के पीड़ितों के न्याय के पक्ष में यात्रा शुरू करने के लिए राहुल जी को बहुत-बहुत शुक्रिया. हम उनकी यात्रा की सफलता की कामना करते हैं और यहां उसके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए आए हैं. यह यात्रा जहां-जहां जाएगी हमारे पार्टी के नेता विधायक और कार्यकर्ता हर तरीके से मदद करेंगे.
एक ऐसे दौर में हम यहां आए हैं जब देश के संविधान पर हर रोज हमला हो रहा है. संविधान एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और समाजवादी भारत के निर्माण की बात करता है , लेकिन आज उसके हर एक पहलू की हत्या की जा रही है. 22 जनवरी को पूरे देश ने धर्म व राजनीति का घालमेल देखा. संसद भवन का उद्घाटन एक राजनीतिक कार्यक्रम था, उसे धार्मिक बना दिया गया और मंदिर का उद्घाटन एक धार्मिक कार्यक्रम था उसे राजनीतिक बना दिया गया. इस स्थिति में संविधान को हमें अपने पैरों पर फिर से खड़ा करना होगा और सामाजिक न्याय व लोकतंत्र के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा.
पिछली 25 फरवरी को पूर्णिया में ही महागठबंधन की एक बड़ी सभा हुई थी. उस समय नीतीश जी हमारे साथ थे, लेकिन 17 महीने होते-होते उस तरफ चले गए. क्यों गए यह तो समय बताएगा. लेकिन दो चीज स्पष्ट हैं.
पहली, भाजपा हिंदुस्तान की पूरी सत्ता पर कब्जा चाहती है. वह किसी भी राज्य में विपक्ष की सरकार को चलने नहीं देना चाहती. पहले महाराष्ट्र में खेल हुआ और अब बिहार में सत्ता का हड़प हुआ. झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल हर कहीं, जहां विपक्ष की सरकार है उसे परेशान करने में भाजपा लगी हुई है.
दूसरी, बिहार की 17 महीना की महागठबंधन सरकार ने एक एजेंडा सेट किया था. यहां जातिगत सर्वेक्षण हुआ. युवाओं को पक्की नौकरी मिली. 75% आरक्षण का विस्तार हुआ. जाति सर्वेक्षण ने बिहार की भयंकर गरीबी को भी उजागर किया. पूरे देश में जाति सर्वेक्षण की मांग उठ रही थी. बिहार की लगभग दो तिहाई आबादी भयानक गरीबी से गुजर रही है. लगभग यही हाल पूरे देश का है. जो एजेंडा उठ रहा था उसे इस सत्ता हड़प के जरिए खत्म करने की कोशिश की गई.
24 से 30 जनवरी तक यानी कि कर्पूरी जी के जन्मदिन से गांधी जी के शहादत दिवस तक हमारी पार्टी की ओर से भी बिहार में संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ अभियान चलाया गया. कर्पूरी जी दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन बेहद अल्पकाल के लिए. कम समय में भी उन्होंने वंचित समुदाय को आरक्षण देने का काम किया उसमें महिलाओं को भागीदारी दी, राजनीतिक बंदियों की रिहाई करवाई और कभी भी अपने विचारों से समझौता नहीं किया. दूसरी ओर, आज नीतीश कुमार सबसे अधिक नौ बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन उन्होंने कर्पूरी जी की विरासत से घोर विश्वासघात काम करने का काम किया है. कर्पूरी जी सत्ता के नहीं बल्कि संघर्षों के प्रतीक थे. इसलिए भूमि सुधार, सामाजिक न्याय और अन्य पहलुओं को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है.
आज का दौर बिल्कुल आजादी की लड़ाई के समय का दौर है. हमें देश और संविधान को बर्बाद करने की भाजपाई साजिश को चकनाचूर करना है. बिहार में महागठबंधन पहले से था और है. इंडिया गठबंधन मजबूती से आगे बढ़ रहा है. आज की सभा में हम 24 के लोकसभा चुनाव में भाजपा पर पूरी तरह नकल करने का संकल्प लेते हैं.