बिहार ब्यूरो
पटना। मगध विश्वविद्यालय के कुलपति व वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद के बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक के विभिन्न ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) द्वारा की गई छापेमारी के बाद मिले दो करोड़ कैश और करोड़ों के अचल संपत्ति सहित 30 करोड़ रुपए का घोटाला करने के लगे आरोप पर छात्र जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और बिहार के जाने-माने छात्र नेता कृष्णा पटेल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बिहार के अति-लोकप्रिय मुख्यमंत्री और महामहिम राज्यपाल से बिहार में कुलपति नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि बिहार में योग्य, विद्वान और ईमानदार प्रोफेसरों /प्राचार्यों की एक लंबी कतार है जो कुलपति पद की गरिमा और दायित्व को निर्वहन करने में पूरी तरह से सक्षम हैं।
लेकिन आज बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से संबंध रखते हैं और बिहार में पद का पावर दिखाते हुए विश्वविद्यालय पदाधिकारियों पर अपना रसूख दिखाते हुए अपने पसंद के लोगों को विश्वविद्यालय में पदस्थापित कर बिहार के छात्रों की हकमारी कर अवैध तरीके से मोटी रकम की वसूली करने में लगे हुए हैं। क्योंकि इन पैराशूटिंग कुलपतियों को बिहार के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं के उज्जवल भविष्य और शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार से दूर- दूर तक कोई लेना देना नहीं है। जिसका जीता-जागता उदाहरण कल बुधवार को मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई द्वारा की गई छापेमारी से पुरी तरह से स्पष्ट होती है। ऐसा होना लाजमी इसलिए है कि वैसे सभी पैराशूटी कुलपतियों को बिहार की मिट्टी, अस्मिता और यहां के छात्रों की प्रतिभा की सही पहचान नहीं है।
क्योंकि एक कुलपति के यहां इतनी भारी मात्रा में मोटी रकम कैश के रूप में मिलना और करोड़ों का चल- अचल संपत्ति का कागजात सहित 30 करोड़ रुपए का घोटाला करने का आरोप लगना कुलपति पद को शर्मसार कर देने वाली घटना है।
ऐसे हीं कुकृत्य कार्य पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गुलाब चंद राम जयसवाल के द्वारा की जा रही थी और पर्याप्त साक्ष्य भी मौजूद थीं लेकिन उचित कार्रवाई नहीं होने के पश्चात आज वो बाल- बाल बचे हुए हैं ।
लेकिन कुलपति द्वारा की गई ऐसी शर्मसार घटना के बाद मैं बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री और महामहिम राज्यपाल महोदय से एक पत्र के माध्यम से आग्रह करूंगा कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के कार्यकाल सहित अन्य पड़ोसी राज्यों से आए बिहार में नियुक्त कुलपतियों के कार्यकाल की निष्पक्षता के साथ जांच किया जाए।
क्योंकि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गुलाब चंद राम जयसवाल भी उत्तर पुस्तिका की जांच और उत्तर पुस्तिका की प्रिंटिंग सहित अन्य कार्यों के लिए उत्तर प्रदेश से संबंध रखते थें जैसा कि मगध विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने ऐसा ही कार्य किया है जिन पर आज 30 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगा है। इसीलिए शक की सुई पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गुलाब चंद राम जायसवाल सहित अन्य पैराशूटी कुलपतियों पर फिर से घूमने लगी है।
छात्र नेता कृष्णा पटेल ने आगे कहा की बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति के लिए आरक्षण रोस्टर लागू कर बिहार के वैसे विद्वान, योग्य और इमानदार प्राचार्यों / प्रोफेसरों को कुलपति नियुक्ति में 90% विशेषाधिकार के तहत आरक्षित किया जाए जिनका कार्यकाल पूरी तरह से बेदाग रहा हो । हमें पूरी उम्मीद है की ऐसी व्यवस्था लागू होने के पश्चात बिहार की अस्मिता और पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए ऐसे कुकृत्य कार्यों को अंजाम नहीं देंगे वहीं छात्र-छात्राओं की मान- सम्मान का भी विशेष ख्याल रखते हुए उच्च शिक्षा व्यवस्था में तेज गति से बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।
वहीं छात्र जदयू के पूर्व प्रदेश महासचिव चंदन कुमार चंचल ने आरक्षण रोस्टर लागू करने पर जोर देते हुए कहा कि बिहार के प्राचार्यों / प्रोफेसरों का यह वास्तविक अधिकार है और वर्तमान समय में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा की गई शर्मसार कर देने वाली घटना को ध्यान में रखते हुए आज समय की मांग भी है।