पटना जिलाधिकारी डॉ चन्द्रशेखर सिंह ने मिली शिकायतों के बाद की कार्यवायी

Vijay shankar

पटना। समाहर्ता-सह-जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा एक राजस्व कर्मचारी एवं एक अंचल लिपिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। पटना सदर अंचल के राजस्व कर्मचारी शशि शंकर तथा लिपिक श्संजीत कुमार को जनकार्यों के प्रति असंवेदनशीलता, स्वेच्छाचारिता एवं लापरवाही के आरोप में निलंबित किया गया है।

*राजस्व कर्मचारी श्री शशि शंकर के विरूद्ध आरोप*

2. जिलाधिकारी ने कहा कि पटना सदर अंचल अन्तर्गत ऑनलाईन दाखिल-खारिज वादों के निष्पादन में अनियमितता बरतने के संदर्भ में सूचना प्राप्त हुई थी। जाँच के क्रम में पाया गया कि पटना सदर अंचलान्तर्गत मौजा-संदलपुर, थाना नं0-2/11, वार्ड सं0-16/22, म्यू0 प्लॉट नं0-34 एवं 36 से संबंधित दाखिल-खारिज सं0-15324/2020-21 एवं 116178/2022-23 में क्रमषः दिनांक-20.07.2021 एवं 14.09.2023 को आवेदक के पक्ष में संदर्भित भूखण्ड के दाखिल-खारिज की स्वीकृति दी गयी है। पुनः उपरोक्त वर्णित म्यूनिसिपल प्लॉट नं0-34 एवं 36 से संदर्भित भूखण्ड के दाखिल-खारिज हेतु आवेदिका श्रीमती रूणा देवी द्वारा दाखिल-खारिज वाद सं0-114063/2022-23 दाखिल किया गया था, जिसे संबंधित राजस्व कर्मचारी शशि शंकर के द्वारा यह उल्लेखित करते हुए कि ‘‘आवेदित भूमि गैरमजरूआ आम खाते की है’’ अस्वीकृति हेतु अनुषंसा की गयी, जिसके आलोक में दिनांक-23.05.2023 को दाखिल-खारिज वाद सं0-114063/2022-23 को अस्वीकृत कर दिया गया।

3. उक्त के आलोक में प्रष्नगत मामले की विस्तृत अभिलेखीय जाँच हेतु अंचलाधिकारी, पटना सदर को निदेषित किया गया। अंचलाधिकारी, पटना सदर द्वारा अभिलेखीय जाँचोपरान्त प्रतिवेदित किया गया है कि दाखिल-खारिज वाद सं0-114063/2022-23 के निष्पादन में  शषि शंकर, राजस्व कर्मचारी द्वारा म्युनिसिपल खेसरा का सत्यापन खतियान से नहीं किया बल्कि म्युनिसिपल खेसरा को CS खेसरा मानते हुए उसका गलत प्रतिवेदन दिया गया है। सरकारी भूमि के संबंध में भी स्पष्ट जाँच नहीं गई है तथा अस्वीकृति हेतु अनुषंसित किया गया है।

4. पुनः आवेदक अभिषेक सिंह एवं अन्य द्वारा शषि शंकर, राजस्व कर्मचारी, पटना सदर के विरूद्ध दाखिल-खारिज एवं परिमार्जन संबंधी मामलों के निष्पादन में मनमानी एवं लापरवाही बरतने संबंधी आवेदन प्राप्त हुआ, जिसके आलोक में दिनांक-28.06.2024 को जिलाधिकारी द्वारा अपर समाहर्त्ता, अंचलाधिकारी, पटना सदर एवं राजस्व कर्मचारी शषि शंकर की उपस्थिति में आवेदन पत्र में वर्णित मामले की जाँच की गयी। जाँचोपरान्त पाया गया कि:-

(i) आवेदक भोला प्रसाद के द्वारा दिनांक 04.02.2021 को छुटी हुई जमाबंदी को ऑनलाईन किये जाने संबंधी आवेदन समर्पित किया गया था, जिसमें वांछित प्रस्ताव अंचलाधिकारी, पटना सदर द्वारा दिनांक 28.11.2023 को भूमि सुधार उप समाहर्त्ता, पटना सदर को अनुंषसा के साथ अग्रसारित किया गया। तदोपरान्त भूमि सुधार उप समाहर्त्ता, पटना सदर द्वारा उक्त प्रस्ताव दिनांक 06.03.2024 को अग्रेतर कार्रवाई हेतु अंचल कार्यालय को वापस किया गया, परन्तु शषि शंकर द्वारा चार माह बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

(ii) आवेदक सुधीर कुमार राय द्वारा दिनांक 03.11.2023 को परिमार्जन हेतु आवेदन समर्पित किया गया था, जिसका निष्पादन अबतक संबंधित राजस्व कर्मचारी शषि शंकर द्वारा नहीं किया गया है।

(iii) आवेदक मीना प्रसाद द्वारा दिनांक 01.04.2024 को दाखिल-खारिज हेतु ऑनलाईन दाखिल-खारिज वाद समर्पित किया गया था, जिसमें अबतक संबंधित राजस्व कर्मचारी शषि शंकर द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

(iv) आवेदिका उषा कुमारी द्वारा मापी हेतु आवेदन समर्पित किया गया था, जिसके आलोक में अंचल कार्यालय, पटना सदर में मापी वाद सं0-08/2023-24 संधारित किया गया था, परन्तु संबंधित राजस्व कर्मचारी शषि शंकर द्वारा प्रतिवेदन समर्पित नहीं किये जाने के कारण उक्त मापी वाद को अबतक निष्पादित नहीं किया जा सका है।

5. जिलाधिकारी ने कहा कि उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में श्री शषि शंकर, राजस्व कर्मचारी, पटना सदर को बिहार सरकारी सेवक आचारण नियमावली-1976 के नियम 3(i)(ii)(iii) के तहत लापरवाही, कर्त्तव्यहीनता, स्वेच्छाचारिता एवं अनुशासनहीनता का दोषी पाते हुए बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के नियम-9(i) मे निहित प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।

*लिपिक संजीत कुमार के विरूद्ध आरोप*

दिनांक 03.04.2024 को अपर समाहर्त्ता, पटना द्वारा अंचल कार्यालय, पटना सदर का निरीक्षण किया गया। तदोपरान्त उनके द्वारा निम्न तथ्यों को उल्लेखित करते हुए श्संजीत कुमार, लिपिक, अंचल कार्यालय, पटना सदर के विरूद्ध अनुषासनिक कार्रवाई की अनुषंसा की गयी:-

1. श्री संजीत कुमार, लिपिक, अंचल कार्यालय, पटना सदर, जिन्हें जमाबंदी प्रविष्टि/जमाबंदी पुनर्गठन संबंधी कार्य आवंटित है, के द्वारा अपने कर्मपुस्तिका का विधिवत संधारण नहीं किया जा रहा था। श्री संजीत कुमार की कर्मपुस्तिका में जमाबंदी प्रविष्टि संबंधी वाद सं0-11/2023-24, 75/2023-24, 96/2023-24, 97/2023-24, 102/2023-24 एवं अन्य 30-40 वाद संबंधित भूमि सुधार उप समाहर्त्ता के स्वीकृत्योपरान्त उन्हें माह-फरवरी, 2024 में प्राप्त हुआ है। परन्तु उनके द्वारा 30-40 दिन बीत जाने के बाद भी उक्त वादों में पारित आदेष का अनुपालन अबतक नहीं कराया गया है, जबकि उक्त वादो में पारित आदेष के अनुपालन हेतु संबंधित राजस्व कर्मचारी को मात्र प्रतिलिपि लगाकर हस्तगत कराना था। साथ ही जमाबंदी प्रविष्टि/जमाबंदी पुनर्गठन संबंधी कई प्रस्ताव त्रुटि निराकरण हेतु श्री संजीत कुमार के कर्मपुस्तिका में लंबित पाये गये।

2. जाँच के समय उपस्थित परिवादी एवं अन्य लोगों द्वारा बताया गया कि जो व्यक्ति इनसे व्यक्तिगत सम्पर्क करते हैं, उनका काम होता है तथा जिनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क नहीं किया जाता है, उनका कार्य वे निजी स्वार्थ में लंबित रखते हैं। पूछ-ताछ के क्रम में श्री संजीत कुमार द्वारा बताया गया कि जमाबंदी प्रविष्टि संबंधी वाद जब स्वीकृत्योपरान्त प्राप्त होता है, तो उनके द्वारा मात्र प्रतिलिपि लगाकर संबंधित राजस्व कर्मचारी को अनुपालन हेतु हस्तगत करा दिया जाता है, परन्तु जाँच में पाया गया कि अधिकांष वाद उनके द्वारा किसी भी राजस्व कर्मचारी को अनुपालन हेतु प्रतिलिपि लगाकर प्रेषित नहीं की गयी है, फिर भी उक्त वाद में पारित आदेष का अनुपालन हो गया है।

3. जिलाधिकारी ने कहा कि श्री कुमार का यह कृत्य उनकी गलत मंषा, सरकारी कार्याें के प्रति लापरवाही, कर्त्तव्यहीनता, स्वेच्छाचारिता को दर्षाता है।

4. उपर्युक्त तथ्यों के आलोक में श्री संजीत कुमार, लिपिक, अंचल कार्यालय, पटना सदर को बिहार सरकारी सेवक आचरण नियमावली-1976 के नियम 3(i)(ii)(iii) के तहत लापरवाही, कर्त्तव्यहीनता, स्वेच्छाचारिता एवं अनुशासनहीनता का दोषी पाते हुए बिहार सरकारी सेवक (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियमावली, 2005 के नियम 9(i) मे निहित प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकारी कार्यों के निर्वहन में किसी भी प्रकार की शिथिलता, लापरवाही या अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसा करने वाले पदाधिकारियों एवं कर्मियों के विरूद्ध जिम्मेदारी निर्धारित करते हुए विधि-सम्मत सख्त कार्रवाई की जाएगी। सभी पदाधिकारी जनहित के कार्यों के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित करें। पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्व के साथ आधिकारिक दायित्वों का निर्वहन करें।

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