जनता का फैसला मेरे पक्ष में,  मगर निर्णय एनडीए के पक्ष में हो गया  
मात्र 0.1 फीसदी वोट महागठबंधन को एनडीए से कम मिले

विजय शंकर
पटना । पुन: निर्वाचित प्रतिपक्ष के नेता और राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव ने आज संवाददाता सम्मेलन में स्पष्ट किया कि बिहार की जनता का जनादेश महागठबंधन के पक्ष में मिला है, हम हारे नहीं हैं । जनता ने फैसला मेरे पक्ष में किया है मगर निर्णय एनडीए के पक्ष में हो गया है । भाजपा ने इस पूरे चुनाव परिणाम को हाईजैक कर लिया है । मैंने अपनी सभाओं में नौकरी, शिक्षा, चिकित्सा, दवाई व अस्थाई सेवाओं में मानदेय ठीक करने जैसे जितने मुद्दे उठाए थे, उस पर जनता ने अपना सकारात्मक संदेश, वोट दिया है । देश के युवा, मजदूर, किसान, आशा कार्यकर्ता, जीविका से जुड़े लोग, विकास मित्र, श्रम मित्र सभी में वर्तमान सरकार के प्रति आक्रोश है जो मिले जनादेश में साफ झलक गया है । एक तरफ धन बल, श्रम बल और बहुत ही शक्तिशाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तमाम पूंजीपति लगे थे और दूसरी तरफ 31 साल का नौजवान था और बिहार के नौजवान भाजपा को रोकने में नाकाम रहे ।

उन्होंने कहा कि इन सब के बावजूद राष्ट्रीय जनता दल सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनकर उभरी और उसे कोई रोक नहीं पाया । उन्होंने कहा कि मुद्दे पर लोगों ने असमर्थता दिखाई जिसके कारण राजद को पूरा जनादेश नहीं मिल पाया । उन्होंने सवाल उठाया कि चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों में यह स्पष्ट है कि पहले पोस्टल बैलट की गिनती की जाए और उसके बाद ईवीएम की गिनती होनी चाहिए, मगर ढेर सारे जगहों पर उन चीजों का ख्याल नहीं रखा गया । साथ ही पोस्टल बैलट जो भी आए उनका वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए था, वीडियो ग्राफी होनी चाहिए थी मगर यह पूरी तरह पारदर्शिता के साथ नहीं हुआ । आयोग के दिशा निर्देश में यह भी स्पष्ट है कि 40 दिन तक नतीजे के बाद भी पोस्टल बैलट को सील रखना चाहिए और जब तक कोई उम्मीदवार परिणाम से संतुष्ट ना हो जाए, तब तक उसकी रिकाउन्टिंग , फिर से गणना कराई जानी चाहिए, जो नहीं हुआ ।

तेजस्वी यादव ने कहा कि पोस्टल बैलट से वोट देने वाले लोग पढ़े लिखे और समझदार तथा नौकरी पेशे वाले होते हैं, ऐसे में उनसे गड़बड़ियों की उम्मीद नहीं होती, फिर भी 900 पोस्टल वोट रद्द किए गए जो नहीं होना चाहिए था ।
उन्होंने कहा कि जो वोटों के आंकड़े चुनाव आयोग से मिले हैं उसमें स्पष्ट है कि एनडीए को एक करोड़ 57 लाख 728 वोट मिले जबकि वोटों का प्रतिशत एनडीए का 37.3 फीसदी रहा । दूसरी तरफ महागठबंधन को एक करोड़ 56 लाख 88 हजार 458 वोट बिहार की जनता ने दिया है और वोटों का प्रतिशत एनडीए से मात्र 0.1% कम रहा है । मतलब महागठबंधन को 37.2% वोट मिले हैं । ऐसे में मात्र 12270 वोट महागठबंधन को एनडीए से कम मिले हैं मगर उन्हीं 12 हजार वोटों में एनडीए 15 सीटें जीत गया है जो एक आश्चर्यजनक सीटों के परिणाम है ।

उन्होंने कहा कि यह सरकार बन जाती है तो भी बहुत ज्यादा दिन चल नहीं पाएगी क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बिहार की जनता नाराज हैं और इसलिए नीतीश को जनादेश भी कम मिला मिला है । भाजपा के लोग भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं हैं मगर भाजपा के शीर्ष नेताओं के वादों के बीच वे विवश हो गए हैं ।

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