विजय शंकर
पटना ; राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि किसानों को लेकर एनडीए नेताओं द्वारा लम्बी-चौड़ी बातें खूब की जाती है पर जमीनी हकीकत ठीक इसके विपरीत है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा गेहूँ का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एम एस पी ) 1975 रूपया प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है और एक लाख मैट्रिक टन गेहूँ खरीदने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है ।साथ हीं यह भी कहा गया है कि आवश्यकता पड़ने पर लक्ष्य की सीमा बढ़ाई भी जा सकती है। सरकारी घोषणा के अनुसार गत 20 अप्रैल से हीं राज्य में पैक्स एवं विभिन्न माध्यमों के द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूँ की खरीद शुरू है, लेकिन हकीकत इससे उलट है। सरकार के लचर व्यवस्था का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। वास्तविक स्थिति यह है कि पैक्स या अन्य किसी भी माध्यम से घोषित एमएसपी ( 1975 रूपये प्रति क्विंटल ) पर किसानों से गेहूँ की खरीद नहीं हो रही है। इस कारण किसानों को अपना गेहूँ बिचौलियों को औने-पौने दामों पर बेचने को विवश होना पड़ रहा है। इसी के भरोसे किसान अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करते हैं।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि पैक्स अथवा किसी भी सरकारी एजेंसी के माध्यम से गेहूँ की खरीद शुरू नहीं होने से किसान अगली फसल की खेती करने, बैंक व महाजनों का कर्ज चुकाने के लिए उत्पादित गेहूँ को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हो रहे हैं। दूसरी ओर, शादी-विवाह को लेकर भी किसान सरकारी दर से कम कीमत पर गेहूँ बेचने को मजबूर हैं। किसानों के सामने भंडारण की भी समस्या है। चूंकि कुछ दिनों के बाद जब वर्षा शुरू हो जायेगी तो गेहूँ मे कीड़ा लगने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए भी किसान वर्षा ऋतु के पहले उसे बेच देना चाहते हैं। स्थानीय आढ़तिया व बिचौलिए 1200 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल तक जरूरतमंद किसानों से गेहूँ ले रहे हैं, वह भी 15 से 20 दिन के बाद भुगतान करने की शर्त पर। जबकि सरकारी स्तर पर गेहूँ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति क्विंटल घोषित है।
राजद नेता ने कहा कि सरकार यदि तत्काल गंभीर नहीं होती है तो गेहूँ खरीद के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला होने की संभावना है। अभी किसानों से बिचौलिया खरीद लेंगे और बाद में एमएसपी पर सरकारी एजेंसियों को बेच देंगे। जैसा की पहले भी होता आया है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि मैं खुद किसान हूँ। वैशाली जिला के प्रगतिशील किसान के रूप में मेरी पहचान है और मै पिछले बीस दिनों से जिला और प्रखंड से लेकर पैक्स तक सम्पर्क कर थक चुका हूँ, कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि वास्तव में गेहूँ किस एजेंसी द्वारा कब और कहाँ खरीदा जायेगा।

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