उदय मिश्र

तकरीबन 60 साल पहले की बात है। प्यासा, कागज़ के फूल और साहिब बीवी और गुलाम जैसी कालजई फ़िल्में देने वाले गुरुदत्त ने ‘बहारें फिर भी आएंगी’ लांच की। हीरो वो खुद थे। निर्देशन के लिए दिलीप कुमार-कामिनी कौशल की 1948 की ‘आरज़ू’ वाले शाहिद लतीफ़ को चुना।
संगीत के लिए ओपी नैय्यर को बुलाया, जिन्हें उस वक्त एक फिल्म की सख्त ज़रूरत थी।
गुरू और नैय्यर का साथ बहुत पुराना था। आमतौर पर धारणा थी नैय्यर को एक बार लेने के बाद विरले निर्माता ही दोबारा साइन करते थे। गुरू ने नैय्यर को सबसे पहले ‘बाज़’ (1953) में लिया था। ये फिल्म फ्लॉप हुई थी। नैय्यर का कैरियर अभी शुरू ही हुआ था। ‘बाज़’ से पहले भी तीन-चार फ़िल्में पिट चुकी थीं।
पूरी तरह से निराश नैय्यर बोरिया बिस्तर समेट ही चुके थे कि गुरू ने उन्हें ‘आर-पार’ (1954) के लिए मौका दिया। गुरू को मालूम था कि टैलेंट कहां है और उसे कैसे निकालना है। इस फिल्म के सारे गाने हिट हुए थे। ख़ासतौर पर ‘बाबू जी धीरे चलना…’
इसके बाद ‘mr. & mrs. 55’ (1955)और फिर ‘सीआईडी'(1956) – लेके पहला पहला प्यार जादूनगरी से आया है कोई जादूगर…
सुपर डुपर हिट के बावजूद गुरू ने ‘प्यासा’ के लिए नैय्यर को नहीं चुना। नैय्यर को भी कोई गम नही हुआ। उनकी पतंग सातवें आसमान पर उड़ रही थी।
लेकिन जब गुरू ने देखा कि नैय्यर के सितारे गर्दिश में जाने वाले हैं तो ‘बहारें…’ के लिए उन्हें बुला लिया।
लेकिन फिल्म अभी शुरू ही हुई थी कि गुरू का असामयिक निधन हो गया। हालाँकि गुरू के छोटे भाई आत्माराम ने फ़ौरन एलान कर दिया था कि फिल्म ज़रूर पूरी होगी। जब कुछ वक़्त तक कुछ न हुआ तो लगा फिल्म खटाई में पड़ गई। मगर आत्माराम ने अपना वादा याद रखा और गुरू की याद में गुरुदत्त फिल्म कंबाइनस के बैनर तले ‘बहारें… ‘ फिर शुरू कर दी। गुरुदत्त की जगह धर्मेंद्र आ गए।
एक बार क्या हुआ कि गाने की रिकॉर्डिंग पर कई म्यूजिशियन टाइम पर नहीं आये। उस दिन ‘आपके हसीं रुख पे आज नया नूर है.…की फुल ऑर्केस्ट्रा के साथ रिकॉर्डिंग होनी थी।
नैय्यर जितने अनुशासन प्रिय थे उतने ही सनकी भी। लेट आने वाले सभी म्यूजिशियन को बाहर का रास्ता दिखाया। बहुत छोटे ऑर्केस्ट्रा के साथ पियानो का इस्तेमाल करते हुए गाना रेकॉर्ड किया। 1966 में ये फिल्म रिलीज़ हुई तो न सिर्फ ये फिल्म बल्कि गाना भी सुपर डुपर हिट हुआ। आज के सुप्रसिद्ध गीतकार समीर के पिता अनजान ने इसे लिखा था और रफ़ी ने आवाज़ दी। धर्मेंद्र, माला सिन्हा और तनूजा पर फिल्माया गया था इसे।

आपके हसीं रुख पे आज नया नूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या क़सूर है
आपकी निगाह ने कहा तो कुछ ज़रूर है
मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या क़सूर है.…
खुली लटों की छांव खिला खिला ये रूप है
घटा से जैसे छन रही सुबह सुबह की धूप है
जिधर नज़र मुड़ी उधर सुरूर ही सुरूर है.…
झुकी झुकी निगाह में भी हैं बला की शोखियां
दबी दबी हंसीं में भी तड़प रहीं हैं बिजलियां
शबाब आपका नशे में खुद ही चूर चूर है.…
जहां जहां पड़े कदम वहां फ़िज़ां बदल गई
के जैसे सरबसर बहार आप ही में ढल गई
किसी में ये कशिश कहां जो आपमें हुज़ूर है.…

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