डॉ. विनय कर्ण
बनगाँव, सहरसा : 18वीं सदी के वरदानी और लब्ध प्रतिष्ठित आशुकवि पं. छत्रनाथ झा द्वारा करीब दो – ढाई सौ वर्ष पूर्व रचित तथा उनके यशस्वी वंशज पं. शुभ नारायण झा द्वारा संकलित काव्य संकलन ”छत्रनाथ रचनावली” का लोकार्पण कल सम्पन्न हुआ। करीब 128 पृष्ठ की इस बहुमूल्य पुस्तक को कवीश्वर छत्रनाथ झा ‘छत्रपति’ के वंशज और शिक्षाविद पं. गणेश झा ‘सुरेश’, पुस्तक के सम्पादक पं. हरिश्चन्द्र मिश्र और सह सम्पादक डॉ. विनय कर्ण के अथक परिश्रम और लगभग 8 वर्ष के निरन्तर प्रयास से उग्राद्या रिसर्च एण्ड डेवेलपमेंट सेंटर, पटना द्वारा प्रकाशित किया गया है। सामग्री-संकलन, परिमार्जन और पुस्तक के प्रकाशन में भोलन झा, कमल नयन, अश्विनी झा आदि कवीश्वर छत्रनाथ झा के वंशजों के अतिरिक्त पूर्व सरपंच विश्वनाथ मिश्र (बीकन बाबू) का सराहनीय योगदान रहा।
इस पुस्तक लोकार्पण समारोह का, जिसकी अध्यक्षता बनगाँव के प्रख्यात शिक्षाविद और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक विक्रमादित्य खाँ ने की, शुभारम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ। आगत सम्मानित अतिथियों का स्वागत मिथिला की परंपरानुसार पाग और दोपटा से किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जन शिक्षण संस्थान, गया के पूर्व निदेशक और सुप्रतिष्ठित शिक्षाविद डॉ. नरेश झा ने बनगाँव के दो महान और समकालीन विभूतियों पं. छत्रनाथ झा और परमहंस बलक्ष्मीनाथ गोसाईं (बाबा जी) के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विद्वतापूर्ण व्याख्यान दिया, जिसे सुनकर उपस्थित ग्रामीण और प्रबुद्ध श्रोतागण अभिभूत हो गये। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो. ललितेश मिश्र ने मिथिला की ज्ञान परम्परा पर विस्तृत चर्चा करते हुए छत्रनाथ रचनावली पुस्तक की विशिष्टता पर भी प्रकाश डाला।
समारोह में पं. हरिश्चन्द्र मिश्र, विश्वनाथ मिश्र, डॉ. शिशिर कुमार मिश्र, अंग्रेज़ी विभाग, सहरसा कॉलेज, सहरसा, प्रो. ललितेश मिश्र, पं. रघुवंश खाँ, पं. सुप्रसन्न मिश्र ने भी छत्रनाथ झा की रचनाओं के सम्बंध में अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर पुस्तक के संपादक पं. गणेश झा ‘सुरेश’ धनबाद से तथा सुजीत कुमार नई दिल्ली से गूगल लिंक के माध्यम से अपने उद्गार व्यक्त किये तथा अपनी ओर से शुभकामनाएँ दीं। प्रत्यक्ष रूप से इस समारोह में उपस्थित में होकर हीरा जी झा, पूर्व मुखिया धनंजय कुमार झा , शशिधर ठाकुर, राहुल झा बिल्टू, राम नारायण मिश्र, गणेश जनगण, सुमित सौरभ आदि ने समारोह की गरिमा को बढ़ाया।
अध्यक्ष विक्रमादित्य खाँ ने अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि स्व. छत्रनाथ झा रचित इस काव्य संग्रह के संकलन, प्रकाशन और सम्पादन से जुड़े सभी लोग अति धन्यवाद के पात्र हैं। समारोह का संचालन डॉ. विनय कर्ण ने किया। समारोह के अंत में धन्यवाद ज्ञापन गणेश ‘जनगण’ द्वारा किया गया। इस महत्वपूर्ण समारोह की समाप्ति के उपरांत भोलन झा ने अपने परिवार और समस्त ग्रामवासियों की ओर से इस पुस्तक के प्रकाशन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रकाशक उग्राद्या रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेन्टर तथा इसके निदेशक डॉ. विनय कर्ण की भूरि भूरि प्रशंसा की।