विजय शंकर
पटना । प्रतिवर्ष 8 मार्च को होने वाले विश्व महिला दिवस के परिपेक्ष्य में बिहार इण्डस्ट्रीज एसोसिएशन के Women’s Empowerment Sub-Committee द्वारा आज एसोसिएशन प्रांगण में “Role of Women’s Farmers and Farm Labourers in Strengthening Agricultural & Rural Economy” पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ता के रूप में Development Management Institute ds Prof. Dr. Rajeshwaram Selvarajan, Prof. Amrita Dhiman, ICAR शामिल हुए । मुख्य वैज्ञानिक डॉ रंजीत कुमार, अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान के श्रीमती सुगंधा मुंशी आदि ने भाग लिया तथा अपने अनुभव एवं विचारों को इस अवसर पर साझा किया।
कार्यक्रम के आरम्भ में एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओ. पी. सिंह ने वक्ता, प्रतिभागियों तथा अन्या लोगों का स्वागत किया। उन्होंने अपने स्वागत संबोधन में नारी की स्थिति एवं महत्ता पर अपने विचारों को रखते हुए कहा कि भारत की संस्कृति में नारी का दर्जा काफी ऊंचा रहा है। हमारे आदि ग्रंथों में शक्ति, विद्या, धन के स्वामी के रूप में नारी को ही प्रदर्शित किया गया है। आदि काल में नारी को स्वंर के माध्यम से अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार दिया गया था जो इस बात का द्योतक है कि नारी को समाज में कितना महत्त्व दिया गया था। लेकिन भारत पर विदेशियों के शासन के साथ हमारे संस्कृति को छिन्न-भिन्न किया गया। हमारी सामाजिक एवं पारिवारिक व्यवस्था में भेद भाव उत्पन्न कर के कमजोर कर दिया गया, उसी का प्रभाव है कि आज नारी समानता की बात करनी पड़ रही है। पुरूष एवं नारी को समान अधिकार दे कर ही प्रगति एवं खुशहाली प्राप्त की जा सकती है। यदि आर्थिक उन्नति एवं प्रगति हासील करनी है तो हमें महिलाओं को भी सशक्त एवं सजग बनाना होगा।
एसोसिएशन के Women’s Empowerment Sub-Committee ds Chairperson Smt. Sandhya Sinha ने कार्यक्रम के आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यद्यपि महिलाऐं कृषि कार्य में योगदान दे रही है, लेकिन कृषि कार्य से जुड़े कौशल नहीं रहने के कारण उनका योगदान को बहुत ज्यादा पहचान नहीं प्राप्त हुई है। महिलाएं खेतो में निकाई-गुड़ाई, जुताई, आदि कर रही है। यदि उन्हें इन बातों के लिए प्रशिक्षित कर कौशल विकसित कर दिया जाय तो निश्चित रूप से उत्पादन उत्पादकत्ता में बढ़ोतरी होगी। आज के सेमिनार के आयोजन का उद्देश्य है कि हम कृषि कार्य में जुड़े महिला किसानों तथा महिला श्रमिकों के बीच उनके कौशल को कैसे विकसित कर सकें।
Development Management Institute ds Prof. Dr. Rajeshwaram Selvarajan ने अपने विचारों को रखते हुए कहा कि बिहार के परिपेक्ष्य में यह कहना कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागिदारी कम है, यह सत्य नहीं है। यदि सूक्ष्मता से देखा जाय तो गांव के अधिकतर पुरूष रोजगार के तलाश में बाहर अन्य प्रदेशों में जाकर काम कर रहे हैं। कृषि कार्य में अब मुख्य रूप से महिलाऐं ही जुड़ी हुई है। यदि कृषि क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाना है तो निश्चित रूप से यह आवश्यक है कि उनको प्रशिक्षित कर उनके काम करने के क्षमता को बढ़ाने के लिए उनके कौशल विकसित किया जाय। उनके द्वारा यह भी सुझाव रखा गया कि कौशल विकास उनकी आवश्यकता के अनुरूप हो न कि हम जो जानते हैं वही सिखा दें। पुनः कौशल विकास का प्रशिक्षण जिस क्षेत्र में दे रहे हों वहां के स्थानीय भाषा में तथा व्यवहारिक रूप में दिया जाय।
मुख्य वैज्ञानिक डॉ रंजीत कुमार ने संबोधन में यह बात रखी कि बिहार का प्रति व्यक्ति आय सबसे कम है। इसका एक कारण यह भी है कि हम अर्थ व्यवस्था में महिलाओं के क्षमता का उपयोग वास्तविक रूप में नहीं कर रहे हैं। पंजाव आदि राज्यों में प्रति व्यक्ति आय ज्यादा होना इस बात को स्वयं साबित करता है। उन्होंने आगे कहा कि कृषि के क्षेत्र में विकास की राज्य में असीम सम्भावनाएं हैं। यदि हम महिलाओं को शिक्षित प्रशिक्षित कर उनके श्रम शक्ति तथा कौशल का उपयोग करें तो निश्चित रूप से हमारी कृषि क्षेत्र के उत्पादकता में वृद्धि होगी जो हमारे अर्थ व्यवस्था को महबूती प्रदान करेगी।
श्रीमती सुगंधा मुंशी ने महिला सशक्तिकरण के लिए किए जाने वाले विभिन्न कार्यों एवं आयामों पर चर्चा की तथा इस विषय पर बताया कि महिलाओं में क्षमता विकास ज्ञानवर्धन, आजीविका तथा नेतृत्व आदि विषय पर सशक्तिकरण किए जाने की आवश्यकता है।
Floriculturist Ms. Dipti Rai ने संबोधन में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वो विभिन्न प्रकार के फूलों एवं उच्च प्रभेद के विभिन्न प्रकार के फलों की खेती कर रही है। जिसमें महिलाओं का श्रम एवं भागिदारी ज्यादा है। प्रारम्भ में अपने उत्पादों के विपणन में काफी अधिक समस्या का सामना करना पड़ा अतः आवश्यक है कि आजीविका के लिए काम कर रही महिलाओं के उत्पादों के विपणन में सरकार का तथा अन्य लोगों का सहयोग प्राप्त हो।

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