सुबह 9 बजे से 1 बजे तक गुड़गांव स्थित घर पर पार्थिव शरीर का लोग कर सकेंगे अंतिम दर्शन

नवराष्ट्र मीडिया ब्यूरो

नई दिल्ली/गुड़गांव। वरिष्ठ पत्रकार डाॅ. वेदप्रताप वैदिक अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह करीब 78 साल के थे। हृदय गति रुक जाने से मंगलवार सुबह उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वह मंगलवार सुबह नहाने के समय बाथरूम में गिर गए । काफी देर तक बाहर न आने के बाद परिजनों ने दरवाजा तोड़ा और उन्हें बाहर निकाला। तत्काल उन्हें नजदीक में ही प्रतीक्षा अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनका अंतिम संस्कार लोधी क्रेमेटोरियम, नई दिल्ली में बुधवार, शाम 4 बजे होगा। इसके पूर्व बुधवार, 15 मार्च को सुबह 9 बजे से 1 बजे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए उनके निवास स्थान गुड़गांव (242, सेक्टर 55, गुड़गांव) में रखा जाएगा। डाॅ. वेदप्रताप वैदिक का जाना साहित्य जगत को बड़ा झटका है ।दिल्ली से प्रकाशित नवोदय टाइम्स में रोज की तरह आज भी उनका विशेष कालम निकला जिसमें समलैंगिकता पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर छिड़ी बहस पर उनकी कलम चली है जो आज के दिन के हिसाब से देशभर की सबसे बड़ी खबर है । समलैंगिकता पर उनकी त्वरित उनके पत्रकारिता जीवन की अंतिम रिपोर्ट साबित हो गई।

पूरे देश भर के पत्रकारों में आज शोक का दिन है। क्योंकि
डाॅ. वेदप्रताप वैदिक की गणना उन राष्ट्रीय अग्रदूतों में होती है, जिन्होंने हिंदी को मौलिक चिंतन की भाषा बनाया और भारतीय भाषाओं को उनका उचित स्थान दिलवाने के लिए सतत संघर्ष और त्याग किया था। महर्षि दयानंद, महात्मा गांधी और डाॅ. राममनोहर लोहिया की महान परंपरा को आगे बढ़ाने वाले योद्धाओं में वैदिकजी का नाम अग्रणी है। पत्रकारिता, राजनीतिक चिंतन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति, हिंदी के लिए अपूर्व संघर्ष, विश्व यायावरी, प्रभावशाली वक्तृत्व, संगठन-कौशल आदि अनेक क्षेत्रों में एक साथ मूर्धन्यता प्रदर्षित करने वाले अद्वितीय व्यक्त्तिव के धनी थे डाॅ. वेदप्रताप वैदिक । इनका जन्म 30 दिसंबर 1944 को इंदौर में हुआ था। वे सदा प्रथम श्रेणी के छात्र रहे थे। वे रूसी, फारसी, जर्मन और संस्कृत के भी जानकार थे। उन्होंने अपनी पीएच.डी. के शोधकार्य के दौरान न्यूयार्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी, मास्को के ‘इंस्तीतूते नरोदोव आजी’, लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिंयटल एंड एफ्रीकन स्टडीज़’ और अफगानिस्तान के काबुल विश्वविद्यालय में अध्ययन और शोध किया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी। वे भारत के ऐसे पहले विद्वान थे, जिन्होंने अपना अंतरराष्ट्रीय राजनीति का शोध-ग्रंथ हिन्दी में लिखा था।

पिछले 60 वर्षों में हजारों लेख और भाषण! वे लगभग 10 वर्षों तक पीटीआई भाषा (हिन्दी समाचार समिति) के संस्थापक-संपादक और उसके पहले नवभारत टाइम्स के संपादक (विचारक) रहे थे। फिलहाल दिल्ली के राष्ट्रीय समाचार पत्रों तथा प्रदेशों और विदेशों के लगभग 200 समाचार पत्रों में भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर डाॅ. वैदिक के लेख हर सप्ताह प्रकाशित होते रहते थे।

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