राज्य के विभिन्न आयोगों में मनोनयन के मामले में भी सिख समाज की हुई भारी उपेक्षा
नव राष्ट्र मीडिया
पटना।
आज दिनांक 26 जुलाई को सिख समाज की बैठक हुई, जिसमें राज्य सरकार द्वारा विभिन्न आयोगों की बहाली में सिख समाज के उपेक्षा पर गहरी नाराजगी और चिंता व्यक्त की गई। सिख समाज के मामले पर हुई बैठक में गहरा रोष भी प्रकट किया गया। कहा गया कि राज्य अल्पसंख्यक आयोग के गठन के मामले में भी सिख समाज की उपेक्षा हुई है और इस समाज से एक भी व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया है। इससे आयोग में सभी अल्पसंख्यक समाज की का पूर्व प्रतिनिधित्व भी नहीं हो पाया है।
सरकार की एक पक्षीय और भेदभाव पूर्ण नीति के कारण सिख समाज बहुत ही चिंतित है। सिखों के साथ बिहार में अनदेखी होती है। सिख समाज अभी जिस पार्टी का कार्यकर्ता है और जो जिस पार्टी का झंडा ढोता है उसे उस में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए। लेकिन सिखों के साथ बिहार में हमेशा अनदेखी होती है।
अभी सिख समाज पूरी तरह जदयू और राजद के नेतृत्व वाले दल धर्म निरपेक्ष सरकार को सहयोग कर रहा है । मदद कर रहा है । सिख समाज भी बिहार की मिट्टी में ही जन्मे हैं और इसी मिट्टी में मरेंगे भी।
लेकिन सिखों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों । सिख समाज को बिहार झारखंड का जब बंटवारा हो गया तो कभी भी विधान सभा , विधान परिषद की भागीदारी नहीं मिली । जब बिहार झारखंड एक था तो बिहार सरकार में लालू जी ने अपने मंत्रिमंडल में इंदर सिंह नामधारी को भूमि सुधार राजस्व मंत्री बनाया था ।
जब से झारखंड अलग हो गया, सिखों को आज तक कोई भी हिस्सेदारी नहीं मिली। झारखंड राज्य 2000 में बना था। आज 2023 है लेकिन सिख समाज को कोई भागीदारी नहीं मिली।जिससे सिख समाज बहुत पीड़ा महसूस कर रहा है ।
आज बैठक में इंदरजीत सिंह, लखबीर सिंह, जगजीवन सिंह ,बंटू जी, गुरभेज जी ,लखबीर सिंह लक्खा और राजद के प्रदेश सचिव सरदार रंजीत सिंह आदि दर्जनों और नेता मौजूद थे । मौके पर उन्होंने कहा कि सरकार के ताजा मनोनयन के बाद या फिर स्पष्ट हो गया कि सिख समाज की उपेक्षा हुई है इससे पूरा बिहार का सिख समाज एकदम आज बहुत दुखी है। उन्होंने कहा कि अफसरशाही और शीर्ष नेतृत्व से है अगर मनोनयन में चूक हुई है तो अभी भी समय है, सिख समाज को तुरंत उसका वाजिब हक देना चाहिए और उसे भिन्न आयोग में प्रतिनिधित्व इस समाज के लोगों को देना चाहिए। आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी अल्पसंख्यक समाज की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए।