खेल पत्रकार शैलेंद्र कुमार का गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार, भतीजा अमृतांशु ने दी मुखाग्नि
विजय शंकर
पटना। बिहार खेल जगत के लिए आज बड़ी क्षति हुई है । जानेमाने पत्रकार और खेल विशेषज्ञ शैलेंद कुमार के आकस्मिक निधन से सब सदमे में हैं। वह मंगलवार की रात 11.20 पटना के आईजीआईएमएस अस्पताल में बीमारी से लड़ते-लड़ते सभी को रोता हुआ छोड़ गये। उनका अंतिम संस्कार पटना के गुलबी घाट पर बुधवार को किया गया। मुखाग्नि भतीजा अमृतांशु ने दी।
64 वर्षीय शैलेंद्र कुमार की पिछले लगभग 20 दिन पहले तबीयत खराब हुई थी और वह उससे उबर चुके थे। लेकिन, अचानतक तबीयत फिर खराब हो गयी और उन्हें राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन एक निजी हॉस्पीटल में भर्ती कराया गया । वहां भी उनकी हालत बिगड़ती देख आईजीएमएस ले जाया गया जहां उन्होंने सात सितम्बर की रात 11.20 में अंतिम सांस ली। रात में ही यह खबर खेल प्रेमियों व संघों के बीच आग की तरह फैल गयी।
कदमकुंआ के डोमन शाह भगत लेन निवासी स्व. शैलेंद्र कुमार ने खेल पत्रकारिता की शुरुआत पाटलिपुत्र टाइम्स से की थी। उन्होंने संध्या प्रहरी में कुछ दिन काम किया । इसके अलावा उनके आलेख पटना से प्रकाशित होने वाले कई हिंदी दैनिक अखबारों में लगातार छपते रहे। वे रेडियो और दूरदर्शन से भी जुड़े रहे हैं। वे स्पोट्र्स जर्नलिस्ट असोसियेशन ऑफ बिहार के कार्यालय सचिव पद पर थे।
खेल पत्रकार शैलेन्द्र कुमार के निधन पर आकाशवाणी-दूरदर्शन से जुड़े वरिष्ठ खेल पत्रकार और खेल पत्रकारों के बद्री भैया , बद्री प्रसाद यादव ने गहरा शोक व्यक्त किया है और कहा है कि बिहार के खेल संघों व खिलाडियों को ऊँचाईयाँ दिलाने में शैलेन्द्र की जो भूमिका रही, उसे बिहार के खिलाडी व खेल संघ कभी भी भूल नहीं पाएंगे ।
हिन्दुस्थान अखबार में लम्बे समय तक वरिष्ठ खेल संपादक रहे ज्ञानेंद्र नाथ ने अपने शोक सन्देश में कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है क्योंकि उसके जाने का उम्र अभी नहीं था । हर खेल के मैदान में वह नजर आता था और हर खेल संघों के लिए वह पहचान बन गया था । उसके निधन से बड़ा गैप हो गया है जिसे पाटना मुश्किल है । पिछले 25 सालों में लोकल खेल को उसने अपने प्रयास से बढाया जिसे कोई भूल नहीं पायेगा ।
उनके निधन से आज हिन्दी दैनिक के स्थानीय सम्पादक दीपक पांडेय ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जाना बड़ी क्षति है। उन्होंने शोक सन्देश में कहा कि शैलेन्द्र सच्चे खेल प्रेमी और कुशल खेल पत्रकार थे । हर खेल की बारीकियों को वे समझते थे और पूरा मैच देखकर ऐसा रिपोर्टिंग कर देते थे कि खेल पत्रकारों को मैच देखने की कमी महशूस नहीं होती थी ।
वहीँ नवराष्ट्र मीडिया के मुख्य संपादक और साथ काम कर चुके वरिष्ठ खेल पत्रकार विजय शंकर ने शोक जताते हुए कहा कि उनके साथ बिताये दिन को भूलना मुश्किल है । अखबार की मुख्य धारा से विमुख होने के बाद उसने नौकरी नहीं की और खेलों के विकास में जीवन लगा दिया । चाहे आयोजन क्रिकेट का हो या टेबुल टेनिस का या फिर फ़ुटबाल , हाकी या बालीबाल का हो या कोई अन्य खेल , मैदान में शैलेन्द्र कुमार नजर आते थे । खेलों को देखना, प्रेस रिलीज बनाना और अपने पत्रकार मित्र को देना , अखबारों तक पहुँचाना जैसा बड़ा दायित्व वह निभाते थे । जब से शैलेन्द्र कुमार ने यह काम संभाला , मीडिया में स्थानीय खेलों को स्थान मिलने लगा, तस्वीरें लगने लगी , क्योंकि प्रेस रिलीज बनाना खेल संघों के लिए मुश्किल था जिसे शैलेन्द्र जी ने सुलभ व आसान बना दिया ।
हिंदुस्तान टाईम्स अंग्रेजी के वरिष्ठ खेल पत्रकार और अभी लोकमत टाईम्स नागपुर के वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप मोदक ने कहा कि शैलेन्द्र कुमार का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है । जब मैं और मेरा पूरा परिवार गंभीर कोविड बीमारी से जूझ रहा था तो शैलेन्द्र कुमार लगातार फोन करके मेरा हाल ले रहे थे । उनकी इस संवेदना को मैं आजीवन भूल नहीं पाउँगा । उन्होंने कहा कि जबतक डॉ विजय प्रकाश के यहाँ वे इलाजरत थे मैं लगातार उनसे संपर्क में रहा मगर आईजीआईएमएस में भर्ती होने के बाद अगले ही दिन ICU में शिफ्ट होने से बात नहीं हो सकी इसका दुःख मुझे हमेशा रहेगा । भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।
पीटीआई न्यूज एजेंसी के लिए लम्बे समय तक खेल की रिपोर्टिंग करने वाले वाले वरिष्ठ खेल पत्रकार अभिजित विश्वास ने कहा कि शैलेन्द्र कुमार के निधन ने खेल पत्रकारों को झकझोर दिया है और इतनी जल्दी हम सबों को वह छोड़ जायेंगे इसका आभाष नहीं था । खेल पत्रकारों के साथ साथ उन खेल संघों को अनाथ कर गए हैं जिसको उठाने में वे सदैव लगे रहे । क्रिकेट हो या फिर कोई अप्रसिद्ध खेल , शैलेन्द्र ने अपने प्रयास से उसे उठा दिया जिसका ऋण वैसे खेल संघ शायद ही चुका पाएंगे ।
उल्लेखनीय है कि पिता स्व. हरिहर प्रसाद सिन्हा और माता स्व. शांति देवी के गुजरने के बाद बड़े भाई होने के नाते शैलेंद्र ही परिवार के मुखिया की भूमिका निभा रहे थे। वे अपने पीछे चार भाई नरेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, संजीव कुमार, राजीव कुमार, बहन सुधा देवी समेत भतीता-भतीजी को रोता-बिलखता छोड़ गये।
बुधवार को उनके आवास पर जाकर और दाह संस्कार कार्यक्रम में शामिल होकर बिहार ओलंपिक संघ के सचिव मुश्ताक अहमद, पटना जिला क्रिकेट संघ के सचिव अजय नारायण शर्मा, बिहार टेबुल टेनिस संघ के सचिव मुकेश राय, बीटीटीए के कोषाध्यक्ष दिलीप गांधी, बिहार राज्य कबड्डी संघ के सचिव कुमार विजय, बिहार फुटबॉल संघ के सचिव सैयद इम्तियाज हुसैन, स्क्वैश रैकेट संघ के सचिव डा. कौशल किशोर सिंह, एथलेटिक्स के एनआईएस कोच अभिषेक कुमार, मोइनुल हक स्टेडियम प्रबंधक अरुण कुमार सिन्हा, सॉफ्ट टेनिस एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव धर्मवीर कुमार, समाजसेवी मुकेश हिसारिया, पूर्व खेल पदाधिकारी बैजनाथ प्रसाद, शिक्षक नेता राजीव रंजन मिश्रा, राष्ट्रीय उदघोषक शैलेश कुमार, सरदार पटेल स्पोट्र्स फाउंडेशन के महासचिव संतोष तिवारी, बॉल बैडमिंटन के सचिव गौरी शंकर, समाजसेवी राजेंद्र कुमार यादव, बॉलिंग एसोसिएशन के मुख्तार, सॉफ्ट टेनिस प्लेयर रवि मेहता, विनोद कुमार चंद्रवंशी, डॉक्टर अभिषेक, डॉक्टर सुनील, बबलू, पूर्वा रणजी प्लेयर आशीष सिन्हा ने दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी।