मनरेगा में दो सौ दिन काम तथा 6 सौ रुपए दैनिक मजदूरी देना होगा , डा. विक्रम सिंह

नव राष्ट्र मीडिया
पटना।
बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन द्वारा बिहार राज्य स्तरीय मनरेगा कन्वेंशन जमालरोड पटना में संपन्न हुआ । इस कन्वेंशन का उद्घाटन विधान सभा में माकपा विधायक दल के नेता तथा सचेतक अजय कुमार ने किया ।
मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त सचिव डॉक्टर विक्रम सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की सरकार केंद्र में चल रही है । जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगातार मजदूरों के अधिकारों पर हमले किए जा रहे हैं । 44 श्रम कानून को समाप्त करके चार श्रम संहिता में बदल दिया गया है । बहुत संघर्ष करने के बाद और हमने अपनी ताकत के बल पर मनमोहन सिंह की सरकार से खेत मजदूरों के लिए मनरेगा कानून बनवाया है । जिसमें 100 दिन काम की गारंटी की गई । उन्होंने यह भी वादा किया था कि आने वाले दिनों में हम काम के अधिकार को आगे
बढ़ाएंगे ।
लेकिन 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद परिस्थिति में बदलाव हुआ । उसके बाद कारपोरेट जगत तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ज्यादातर तरजीह दी गई । किसानों को मिलने वाले अनुदानों में भारी कटौती की गई । बीज के दाम भी बढ़ गए । इतना ही नहीं कृषि संकट को और तेजी से बढ़ाने का काम किया गया । किसानों के हाथ से जमीन छीनकर अडानी अंबानी के हाथों में जमीन सौंप देने के लिए तीन काला कृषि कानून बनाए गए । इसके खिलाफ किसानों का जबरदस्त और ऐतिहासिक विरोध हुआ । लगातार 13 महीने तक दिल्ली के बॉर्डर पर चलने वाले किसान आंदोलन से भयभीत होकर नरेंद्र मोदी की सरकार को तीनों काले कृषि कानून को वापस लेना पड़ा था ।
खेतिहर मजदूरों के लिए मोदी सरकार द्वारा कोई भी कानून नहीं बनाए गए । बल्कि पूर्व से मिल रहे मनरेगा के काम में भारी कटौती कर दी गई । उनके सालाना बजट में कटौती कर दिया गया और उनको सीमित करने का लगातार प्रयास जारी है ।
हम सब जानते हैं कि भारत जैसा देश और बिहार जैसा राज्य कृषि प्रधान है ।जिसमें खेतीहर मजदूर की अहम भूमिका है ।मजदूरों के पास काम नहीं रहने से इनको अपना परिवार , अपने बच्चे , अपने घर , अपना समाज को छोड़कर पेट की भूख को शांत करने के लिए बाहर काम करने जाना पड़ता है । लेकिन केंद्र सरकार इन्हें कोई किसी प्रकार की सुविधा देना नहीं चाहती ।आज गरीबों के परिवार के बूढ़े मां , बाप को वृद्धावस्था पेंशन भी नहीं दिया जा रहा और जिनको मिल रहा है वो मात्र 400 रुपए प्रतिमाह ।
इसलिए हम मांग करते हैं कि सभी बुजुर्ग लोगों को 5000 हजार रुपए प्रतिमाह पेंशन दिया जाए । उनके रहने के लिए जमीन सहित मकान की गारंटी किया जाए तथा उनके परिवार के खाने के गारंटी , स्वास्थ्य , शिक्षा तथा रोजगार की गारंटी किया जाए।
डॉ विक्रम सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं करने पर अब खेत मजदूर बैठने वाले नहीं ।बल्कि खेत मजदूर जग गए हैं। हमने देश के हर राज्यों में मोदी सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ लगातार संघर्ष किया है।हमने पिछले पांच अप्रैल 23 को रामलीला मैदान नई दिल्ली में अपनी एकजुट ताकत का इजहार केंद्र सरकार के सामने किया है । हम लगातार गांव में खेत मजदूर के संगठन को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं । इसके बाद भी मजदूरों पर मोदी सरकार अगर दमनात्मक कारवाइयां करती है । तो 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में हम नरेंद्र मोदी की सरकार को देश से उखाड़ फेंकेंगे । हमने नारा दिया है मोदी हटाओ , खेत मजदूर बचाओ , संविधान बचाओ । हम अपने संगठन को किसान सभा तथा ट्रेड यूनियनों से जोड़कर एकजुट संघर्ष करने के रास्ते पर लगातार चल रहे हैं और निश्चित रूप से हम मजदूर किसान विरोधी तानाशाह नरेंद्र मोदी की सरकार को गद्दी से हटाने के लिए हम सड़कों पर उतरेंगे और आह्वान करेंगे कि देश के सारे खेत मजदूर एक होकर विपक्षी दलों की एकता इंडिया को भारी बहुमत से जीता कर संघ और भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी की सरकार को परास्त किया जाए ।
इस कन्वेंशन में बिहार प्रांतीय खेतिहर मजदूर यूनियन के महासचिव भोला प्रसाद दिवाकर ने भी अपने विचार को रखा । उन्होंने कहा कि हमें अपने संगठन को और मजबूत बनाना है। उन्होंने मांग किया कि मनरेगा की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय मनरेगा कल्याण बोर्ड का गठन किया जाय । पंचायत स्तर पर इसकी निगरानी एवं जांच किया जाय । सभी इच्छुक जॉब कार्ड धारियों को काम दिया जाय।
कन्वेंशन की अध्यक्षता प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र चौरसिया ने की ।