शिक्षा विभाग में भारी पड़ रहे हैं केके पाठक, शिक्षा मंत्री और उनके पीएस ने आज भी सचिवालय का रुख नहीं किया

विश्वपति
नव राष्ट्र मीडिया
पटना।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हस्तक्षेप के बाद भी लगता है शिक्षा मंत्री और विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के बीच जारी शीत युद्ध अब तक समाप्त नहीं हुआ है । रामायण की चौपाइयों की बाल की खाल निकालने के बाद प्रायः कई बार विवादों में घिरे रहे मंत्री चंद्रशेखर इस बार कुछ अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं।
कुछ लोगों का तो यह भी आज कहना था संभवत उनको भगवान राम और उनके सेवक हनुमान का श्राप लग गया है । जिसके चलते उनकी आए दिन किरकिरी हो रही है और विभिन्न मुद्दों पर काफी फजीहत उठानी पड़ रही है। शिक्षकों की बहाली तथा नियमावली में परिवर्तन को लेकर भी पूरे राज्य भर के शिक्षक तथा शिक्षक अभ्यर्थी लगातार शिक्षा मंत्री को अपने आक्रोश का निशाना बनाए हुए हैं और इस मुद्दे पर भी उनको काफी अपमान का सामना करना पड़ रहा है।
वैसे आज शुक्रवार की शाम तक आलम यह था कि केके पाठक जहां सुबह से ही जमकर अपने कार्यालय कक्ष में बैठकर सरकारी काम कर रहे थे वहीं दूसरी ओर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने कक्ष में नहीं आए। उनके पीएस भी नहीं आए। वैसे उनके पीएस पर विभाग में आने पर रोक लगी हुई है। यह केके पाठक के आदेश का असर था कि निष्कासित पीएस ने सचिवालय के अंदर ही रुख नहीं किया और उसकी प्रतिष्ठा को लेकर संभवतः शिक्षा मंत्री भी आज नहीं आए।
वहीं, इस मामले पर जदयू नेताओं और मंत्री समर्थकों के बीच बयानबाजी जारी है। राजद के सभी वरिष्ठ नेताओं के यहां तक की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी यही दिखाने की कोशिश की कि मामला सुलझ गया है और अब कोई भी बात नहीं है। लेकिन जमीनी स्तर पर केके पाठक राज्यमंत्री पर भारी पड़ते दिख रहे हैं। नीतीश कुमार पटना के गांधी मैदान में शहीद पीर अली पार्क में श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। लेकिन मुख्यमंत्री इस दौरान मीडिया से दूरी बनाए रखी. इससे यही लगता है कि केके पाठक ने नियमों के मामले में कोई लचीला रुख नहीं अपनाया है । सीएम ने मीडिया से इस मामले में एक शब्द भी नहीं बोला. मंत्री और सचिव प्रकरण को लेकर सत्ता पक्ष ही दो धड़े में बंटा है. जेडीयू अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सही ठहरा रहा. राजद कोटे से मंत्री ललित यादव ने कहा कि सीएम ने इस मसले पर प्रधान सचिव और शिक्षा मंत्री से बात की है। अब सब कुछ ठीक है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारी कैसे बात नहीं सुनेंगे। कुछ लोग सुर्खियों में रहना चाहते हैं। ललित यादव ने कहा कि ऐसी बातें नहीं है।
पीत पत्र को लेकर शिक्षा विभाग के मंत्री चंद्रशेखर और अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच तलवारें खिंची हुई है. सीएम नीतीश की इंट्री के बाद भी विवाद खत्म नहीं हुआ है. केके पाठक ने मंत्री के पीएस को विभाग आने पर ही रोक लगा दी है. जब से चंद्रशेखर के पीएस को शिक्षा विभाग में आने पर रोक लगाई गई है, तभी से न तो शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर सचिवालय पहुंचे हैं और न उनके पीएस. लगातार दूसरे दिन मंत्री का कुनबा विकास भवन स्थित शिक्षा विभाग में नहीं पहुंचा.
इधर, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर विभागीय सचिव केके पाठक प्रकरण पर मुंह खोलने से भी कतरा रहे. लालू प्रसाद से मिलने के बाद कल चंद्रशेखऱ ने कहा था कि लोकतंत्र में मंत्री बड़ा होता है न कि सचिव. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने के बाद अब शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर अपने सचिव के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रहे. शिक्षा मंत्री न दफ्तर पहुंच रहे और न पीत पत्र मसले पर एक शब्द बोल रहे. दूसरी तरफ विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक लगातार विभागीय काम व मीटिंग में जुटे हैं.
उधर भाजपा ने आरोप लगाया है कि चंद्रशेखर हैं ‘बुड़बक’ शिक्षा मंत्री ! मंत्री जी दुःखी हैं कि ट्रांसफर-पोस्टिंग से उगाही-वसूली न करा सके, अब पीएस से पीत पत्र लिखवा कर मामले को सार्वजनिक करा रहे हैं।
कड़क आईएएस अफसर के.के. पाठक के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी संभालने के बाद से ही मंत्री चंद्रशेखर खासे परेशान हैं. हद तो तब हो गई जब शिक्षा मंत्री ने अपने सरकारी आप्त सचिव के माध्यम से विभाग के अपर मुख्य सचिव को पीत पत्र भेज कर कई गंभीर आरोप लगा दिए हैं।
बिहार बीजेपी के प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के पीत पत्र पर जमकर खिल्ली उड़ाया है. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पीत पत्र लिखने के पीछे की असली वजह क्या है. प्रवक्ता ने कहा कि बिहार के बुड़बक शिक्षा मंत्री विभाग के आईएएस सचिव को पीत-पत्र गैर-आधिकारिक पर्सनल सेक्रेटरी से लिखवा रहे हैं। फिर गोपनीय पत्र को मीडिया में सार्वजनिक भी करवा दिया। मंत्री जी दु:खी हैं। जून बीत गया, एक भी ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर पाए। 10-12 करोड़ का उगाही- वसूली रुक गया.
छात्रों का जीवन बर्बाद करने के दोषी हैं शिक्षा मंत्री
‘ बिहार के बड़बोले शिक्षा मंत्री अपनी अक्षमता का ठीकरा आईएएस अफसर पर फोड़ रहे हैं। छात्रों का जीवन बर्बाद कर पल्ला मत झाड़ो। शिक्षा विभाग के हर निर्णय के लिए सीएम, डिप्टी सीएम, शिक्षामंत्री दोषी हैं। यह हरकत बिहार मंत्री परिषद् के सदस्य के पद-गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन नहीं है। पीत पत्र लिखने वाले बिहार के शिक्षा मंत्री को जब विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने करारा जवाब दिया तो चंद्रशेखर मुश्किल में पड़ गए। पहले लालू प्रसाद के पास गए. राजद सुप्रीमो ने सीएम नीतीश को फोन किया. इसके बाद शिक्षा मंत्री मुख्यमंत्री से मिलने पहुंच गए. मुलाकात कर निकले तो कहा कि एसीएस विवाद पर कोई चर्चा नहीं हुई. मुख्यमंत्री से मिलने के बाद शिक्षा मंत्री संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी से बंद कमरे में मुलाकात की. बड़ा सवाल यही है कि क्या शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव के बीच विवाद का समाधान नहीं हो पाया ?
सीएम नीतीश के साथ मीटिंग में नहीं बनी बात
मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद बाहर निकले शिक्षा मंत्री चंद्रशेखऱ ने कहा कि मेरी सुनिए . मुख्यमंत्री जी से केके पाठक विवाद के संबंध में कोई बात नहीं हुई है. मुख्यमंत्री जी से मिलकर विभाग की प्रगति के बाद में बात करने आए थे. जिस विषय के बारे में आप पूछना चाह रहे हैं उस पर बात नहीं हुई है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि एसीएस ने जो आदेश निकाला है उसको हम देख रहे हैं. समीक्षा करेंगे, जो भी उचित कदम होगा उठाएंगे. चंद्रशेखऱ से पूछा गया कि क्या सीएम हाऊस में के के पाठक भी मौजूद थे? इस पर उन्होंने कहा कि यह आप लोगों को पता होगा हमको नहीं. जिनके बारे में आप कह रहे हैं वहां नहीं थे.एसीएस साहब वहां नहीं थे .हम आए थे, हमको बुलाया नहीं गया था।
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर कल सुबह-सुबह लालू यादव से मुलाकात करने राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे थे. इस दौरान चंद्रशेखर ने केके पाठक से हुए विवाद के बारे में राजद सुप्रीमो को बताया था. इसके बाद लालू प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन कर शिक्षा मंत्री से मुलाकात करने को कहा था. लालू के आदेश पर शिक्षा मंत्री नीतीश कुमार से मिलने गए ते. हालांकि नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद चंद्रशेखर वित्त मंत्री विजय चौधरी से बंद कमरे में बातचीत की. बताया जा रहा है कि केके पाठक और चंद्रशेखर के बीच विवाद का खात्मा अब तक नहीं हो सका है. इसी का खुलासा आज हुआ जब मंत्री महोदय अपने कक्ष में नहीं पहुंचे और केके पाठक पूरे दमखम के साथ अपने रुतबे के हिसाब से कार्यालय में बैठकर सबको हांकते रहे।