धूमधाम के साथ संपन्न हुआ 51 जोड़ों का सामूहिक विवाह

मां वैष्णो देवी सेवा समिति की ओर से संपन्न कराया गया विवाह, राज्यपाल ने दिया वर वधू को आशीर्वाद
सभी जोड़ों के मुफ्त कराई गई शादी,विवाह का सारा खर्चा समिति के लोगों ने उठाया
विवाह के बाद नव दंपति जोड़े को उपहार भी दिए गए
कोविड-19 के कारण 3 वर्षों के अंतराल के बाद हुए इस सामूहिक विवाह को देखने उमड़ पड़े हजारों नर नारी
विश्वपति
नवराष्ट्र मीडिया
पटना।
राजधानी पटना में आज 51 जोड़ों की मुफ्त शादी कराई गई। खास बात यह रही कि आर्थिक रूप से कमजोर इन परिवारों के पास अपने बच्चियों की शादी करने की समस्या थी। मां वैष्णो सेवा समिति की ओर से सारा आयोजन किया गया। शादियां मुफ्त कराई गई और उसके बाद नवविवाहित जोड़ों को ढेर सारे उपहार भी दिए गए। इन खास शादियों की आज हर तरफ चर्चा रही. इस शादी में एक साथ 51 दूल्हों की बारात पटना की सड़कों पर निकली। बैंड बाजा और घोड़ों पर सवार दूल्हों की जब बारात निकली तो पूरा शहर फूलों की बारिश करने लगा। बारात के कारण गांधी मैदान के आसपास के इलाकों में जाम की स्थिति पैदा हो गई । शादी को देखने और वर-वधू को आशीर्वाद देने राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, सांसद सुशील मोदी के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद एवं अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। मौके पर सेवा समिति के अध्यक्ष सरदार जगजीवन सिंह बब्लू, सचिव कन्हैया अग्रवाल नंदकिशोर अग्रवाल मुकेश हिसारिया वं अन्य नेता कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। इन लोगों ने पूरे विवाह कार्यक्रम की देखरेख तथा संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
मौके पर राज्यपाल ने कहा कि गरीब लोगों की बच्चियों की शादी सामूहिक तौर पर कराना बहुत अच्छी बात है । इससे समाज की कुरीतियां दूर होती हैं। दहेज रूपी कुरीतियां भी दूर होती हैं। दहेज के खिलाफ अभियान चलाए जाने की जरूरत है । पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी समिति के कार्यों की प्रशंसा की। मौके पर आधा दर्जन लोगों को वैष्णो देवी सेवा सम्मान से सम्मानित भी किया गया।
मां वैष्णो देवी सेवा समिति के प्रयास से कोविड काल के बाद इस बार 51 जोड़ों का सामूहिक विवाह 25 जून को कराया गया. इसके लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया 30 अप्रैल तक चली. इसके बाद शादी की तैयारी शुरू की गई. आपको बता दें कि इस शादी में उन्हीं जोड़ियों को मौका मिलता है, जो आर्थिक रुप से कमजोर होते हैं
सभी जोड़ियों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेने के लिए टीम उनके गांव में जाती है. आर्थिक रुप से कमजोर जोड़ियों के सत्यापन के बाद 15 से 25 मई के बीच कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए जोड़ियों को पटना बुलाया गया. उसके बाद मई महीने में शगुन दे दिया गया.
25 जून को आज शादी के दिन जोड़े 10-10 रिश्तेदारों के साथ महाराण प्रताप भवन में पहुंचे. शादी के दिन की सारी रस्में पूरी होने के बाद शाम 4.00 बजे 51 दूल्हों की बारात निकाली गई. सभी वर की उम्र कम से कम 21 वर्ष और वधू की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. इससे संबंधित प्रमाण-पत्र भी समिति द्वारा लिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता है, बल्कि समिति के सदस्यों की तरफ से दूल्हा-दुल्हन को ढेरों उपहार भी दिया गया.
पिछले 13 साल से हो रहा ‘एक विवाह ऐसा भी’ इस बार भी फिर चर्चा में रहा । इस बार पटना के SK मेमोरियल हॉल में 51 जोड़े शादी हुई। इसमें तीन दिव्यांग जोड़े शादी के बंधन में बंधे। ‘एक विवाह ऐसा भी’ कई मायनों में अलग रहा। यहां पूरे हिंदू रीतियों-रिवाजों के साथ शादी कराई गई।
यहां महज आर्थिक मजबूरी के कारण शादी नहीं कर पा रहे जोड़ों की उनकी रीतियों-रिवाजों के साथ शादी कराई जाती है। इसमें समाज के प्रबुद्ध और सम्मानित विभूतियों के आशीर्वाद के अलावा इन जोड़ों को गृहस्थी आरम्भ करने के लिए महत्वपूर्ण सामग्री भी उपहार स्वरूप प्रदान किए जाते हैं। मां वैष्णो देवी सेवा समिति यह सब करती है। इसी समिति ने बिहार में आम लोगों के प्रयास से आम लोगों के लिए मां ब्लड सेंटर की स्थापना की हैं।
अगर कोई भी ऐसा आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार है, जिन्होंने अपने बेटियों की शादी तय कर दी है या उन्होंने अपने बेटियों के लिए दूल्हा देख लिया है लेकिन पैसे के अभाव में उनकी शादी नहीं हो पा रही है तो वे इस संस्थान से निःशुल्क फॉर्म ले कर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। रजिस्ट्रेशन कराने से पहले यह ध्यान में रखना जरुरी है कि वर की उम्र कम से कम 21 वर्ष और वधु की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। शादी के लिए यहां इससे संबंधित प्रमाण-पत्र भी दिया गया।
एक विवाह ऐसा भी’ के लिए रजिस्ट्रेशन खत्म होने के बाद विभिन्न इलाकों से चयनित जोड़ों को पटना बुलाया जाता है और वहां उनसे शादी के लिए अंतिम सहमति ली जाती है। इस दौरान वर और वधु के परिवार वालों से पूछा जाता है कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से शादी कर रहे हैं, वहीं वर-वधु की भी सहमति ली जाती है। अंतिम चयन के बाद 51 वरों को सूट पीस और 51 वधुओं को शगुन की साड़ी दी जाती है।
आयोजक एवं सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश हिसारिया और जगजीवन सिंह का कहना है कि 2010 से यह मुहिम चल रही है। सिर्फ कोविड-19 कारण 3 वर्षों का अंतराल रहा। यह एक सामूहिक विवाह नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जिसमें लोगों के दिल मिलें और दिल की बात बाकी लोगों तक पहुंचे। इसमें कई तरह के ऐसे मैसेज दिए जाते हैं, जिससे परिवार खुशहाल रहे। जैसे- थैलीसीमिया, हीमोफीलिया, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के बारे में आम लोगों को कम जानकारी थी तो उसपर विस्तार से यहां बताया गया ताकि भविष्य न बिगड़े। जब दो थैलीसीमिया माइनर की शादी होती है तो ऐसे बच्चों का जन्म होता है जिन्हें जिन्दगी भर ब्लड चढ़ाना पड़ सकता है। इस कार्यक्रम के बहाने लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं।