विजय शंकर
पटना : जनता दल यूनाइटेड के पूर्व विधान पार्षद व प्रदेश प्रवक्ता प्रो. रणबीर नंदन ने शराबबंदी को लेकर कमियां गिनाने वालों पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने उन तमाम लोगों पर करारा वार किया है, जो सरकार की शराबबंदी नीति को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रो. नंदन ने साफ किया है कि शराबबंदी का फैसला सोच-समझकर प्रदेश की आम जनता के हित में लिया गया निर्णय है। इसको पूरी तरह कड़ाई से लागू करने के लिए सरकार के साथ-साथ बिहार का युवा वर्ग भी कृत संकल्पित है।प्रो.नंदन नें बिहार के सभी विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों के छात्रों एवं छात्राओं से अपील की है,कि शराबबंदी को कड़ाई से लागू कराने हेतू कैंपस में सघन जागरूकता अभियान चलावें
प्रो. नंदन ने कहा कि शराबबंदी कानून बनाए जाने के बाद से प्रदेश में घरेलू हिंसा के मामलों में काफी कमी आई है। सड़क दुर्घटनाएं कम हो गई हैं। सड़क पर शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले अक्सर संतुलन खोकर अपनी और अन्य लोगों की जान को जोखिम में डालते थे।शराबबंदी के कारण अब दुर्घटनाएं नगण्य हैं। माननीय मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि शराबबंदी की सफलताओं पर लोगों को गौर करना चाहिए। देखना चाहिए कि शराबबंदी लागू होने से पहले सड़क दुर्घटना के मामलों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की तादाद कितनी होती थी और अब स्थिति में बड़ा बदलाव आया है।
प्रो. रणबीर नंदन ने कहा कि शराब को लेकर विश्व बैंक की जो रिपोर्ट आई है, वह चौंकाने वाली है। वर्ष 2016 में विश्वभर में शराब के कारण 30 लाख लोगों की मौत हुई। यह विश्व में हुई कुल मौत का 5.3 फीसदी है। शराब के सेवन से युवाओं में मौत की दर वृद्ध लोगों से अधिक है। 20 से 39 वर्ष के आयु वर्ग में होने वाली कुल मौत का 13.5 फीसदी केवल शराब के सेवन से होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टीबी, एचआईवी एड्स, डायबिटीज जैसी बीमारियों के कारण होने वाली मौत से अधिक शराब पीने से मौत होती है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, शराब 200 बीमारियों को बढ़ाता है।इसीलिए प्रदेश के युवा वर्ग का कर्तब्य है,शराबबंदी हेतू सघन अभियान चलायें।
प्रो. नंदन ने कहा कि आत्महत्या के 18 फीसदी मामले शराब के सेवन के बाद मानसिक स्थिति बिगड़ने के बाद आते हैं। इसके अलावा 18 फीसदी आपसी झगड़ों का कारण शराब होती है। सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं के 27 फीसदी मामले शराब के सेवन से होते हैं। वहीं, 13 फीसदी मिर्गी का मामला शराब सेवन के बाद आता है। प्रदेश ने शराबबंदी के साथ इन पर काफी हद तक रोक लगाई है। जन जागरूकता से ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। इसके लिए हम सब मिलकर प्रयास करेंगे। इसमें कोई शक नहीं है कि हम सफल होंगे।
प्रो. नंदन ने तेजस्वी यादव,चिराग पासवान जैसे नेता पुत्रों पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि उन्हें जो कुछ भी हासिल हुआ,वह उनके पारिवारिक अनुकंपा पर मिला।अतः वे बिहार के युवाओं के आदर्श नहीं हो सकते। इन लोगों में अनुभव की कमी है। वे राजनीति में तो आ गए हैं, लेकिन उनके पास विजन का अभाव साफ दिखता है। उनको जानना चाहिए कि लीवर कैंसर के 48 फीसदी मामले केवल शराब के सेवन से आते हैं। ऐसे लोगों को समझना होगा कि शराबबंदी का फैसला प्रदेश के संस्कार को बढ़ाने के लिए लिया गया फैसला है। आज युवाओं को जरूरत है, सही दिशा देने की। शराबबंदी का समर्थन कर बिहार के युवा सक्रिय राजनीति में अपना योगदान कर बिहार को और वैभव शाली बना कर नीतीश जी के स्वस्थ,सुखी, सम्पन्न बिहार के सपनों को साकार करें।