डीएम ने की जिला समन्वय समिति की बैठक, पदाधिकारियों को जनहित के मामलों को तत्परता से हल करने का दिया निदेश

योजनाओं के सफल क्रियान्वयन में संबंधित विभागों के पदाधिकारी आपस में समन्वय स्थापित कर करें काम: डीएम

विजय शंकर

पटना, 14 दिसम्बर । जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आज समाहरणालय स्थित सभागार में जिला समन्वय समिति की बैठक आयोजित हुई। पदाधिकारियों को आम जनता की समस्याओं का पूरी संवेदनशीलता के साथ त्वरित गति से समाधान करने का निदेश दिया। सरकार के विकासात्मक एवं लोक-कल्याणकारी योजनाओं का गुणवत्तापूर्ण तथा समयबद्ध तरीके से सफल क्रियान्वयन करने का निदेश दिया गया।

समाहरणालय स्थित सभागार में आयोजित इस बैठक में विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी तथा अन्य भी उपस्थित थे।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि अधिकारीगण स्व-उतरदायित्व एवं स्व-अनुशासन की भावना से काम करें। सभी क्षेत्रीय पदाधिकारी यह सुनिश्चित करंे कि आम जनता को अपनी समस्याओं को लेकर कार्यालयों का दौर न लगाना पड़े। छोटे-छोटे कार्यों को लेकर भी लोगों को जिला मुख्यालय एवं अनुमंडल मुख्यालयों में न आना पडे़ यह क्षेत्रों में पदस्थापित अधिकारीगण सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी ने कहा कि इसके लिए हर स्तर पर पदाधिकारियों को रिस्पाँसिव होना पड़ेगा। कार्य-संस्कृति को सुदृढ़ रखना होगा। इसके लिए कार्यालयों में सभी कर्मियों तथा अधिकारियों की ससमय उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य है।

जिलाधिकारी ने कहा कि जिला, अनुमंडल एवं प्रखंड-स्तरीय सभी विभागों के पदाधिकारियों के साथ समन्वय समिति की नियमित बैठक आयोजित की जा रही है। इसका मूल उद्देश्य पदाधिकारियों एवं कर्मियों की कार्यालय में कर्तव्य पर मुस्तैदी सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि यह बेहतर कार्यालय संस्कृति की पहली शर्त है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस बैठक का उद्देश्य अतंर्विभागीय समन्वय भी सुनिश्चित करना है ताकि जनहित के कार्यों को तत्परता से क्रियान्वित किया जा सके। जो भी समस्याएं आती है उसका संबंधित विभागों के पदाधिकारी आपस में संवाद एवं समन्वय स्थापित करते हुए तेजी से समाधान करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह की बैठकों का काफी महत्व है। विकास, राजस्व, कल्याण, ग्रामीण विकास, अभियंत्रण सहित सभी विभागों के अधिकारियों के बीच भूमि उपलब्धता, सीमांकन, भवन निर्माण इत्यादि के लंबित मामलों का आपसी समन्वय के द्वारा निपटारा किया जाता है।

जिलाधिकारी ने कहा कि पदाधिकारीगण आवश्यकतानुसार अन्तर्विभागीय समन्वय स्थापित कर पूर्ण पारदर्शिता, उत्तरदायित्व एवं संवेदनशीलता के साथ कार्य करें।

इस बैठक में जिलाधिकारी द्वारा लोक शिकायत निवारण तथा लोक सेवा के अधिकार से संबंधित मामलों, माननीय न्यायालय, मानवाधिकार, लोकायुक्त से संबंधित मामलों, पंचायत सरकार भवन, सोलर स्ट्रीट लाइट, हर घर नल का जल, हर खेत को सिंचाई का पानी, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, आँगनबाड़ी केन्द्रों का भवन निर्माण, कल्याण विभाग के छात्रावासों का निर्माण सहित विभिन्न योजनाओं में प्रगति की समीक्षा की गई तथा अद्यतन स्थिति का जायजा लिया गया। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सरकार के विकासात्मक एवं लोक-कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन जिला प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। इसके लिए सभी पदाधिकारी सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। विभिन्न विभागों के जिन-जिन कार्यों तथा योजनाओं के लिए जमीन की उपलब्धता, अनापति प्रमाण-पत्र, सीमांकन, अतिक्रमण हटाने इत्यादि का मामला लंबित है उसके लिए प्रखंड-स्तरीय विभागीय पदाधिकारी एवं संबंधित अंचल अधिकारी समन्वय स्थापित कर कार्यों में तेज़ी लायें तथा मामले का समाधान करते हुए प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं। संबंधित अनुमंडल पदाधिकारी इसका पर्यवेक्षण करेंगे तथा अपर समाहर्ता, पटना इसका अनुश्रवण करेंगे। जिलाधिकारी ने सभी पदाधिकारियों को माननीय न्यायालयों, लोकायुक्त एवं मानवाधिकार आयोग में लंबित मामलों को समय सीमा के अंदर निष्पादन करने का निदेश दिया।

आईसीडीएस एवं कल्याण विभाग से संबंधित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा

जिलाधिकारी, पटना द्वारा आईसीडीएस एवं कल्याण विभाग से संबंधित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। उन्होंने इन विभागों के जिला में अद्यतन प्रगति का जायजा लिया।

कल्याण विभाग की समीक्षा में पाया गया कि पटना जिला में 112 सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि 52 नए टोले ऐसे चिह्नित किए गए हैं जहां महादलित समुदाय की बहुलता है। वहाँ भी सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड का निर्माण हेतु प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया। मनेर प्रखंड में एक भी सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड नहीं है। वहाँ भी सामुदायिक भवन-सह-वर्कशेड का निर्माण हेतु प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया। सरकार के निदेश के आलोक में पटना जिला में अनुसूचित जाति की 30 हजार से अधिक आबादी वाले 13 प्रखंडों में छात्रावास का निर्माण किया जाना है। जिलाधिकारी द्वारा अपर समाहर्ता को चिन्हित जमीन के लिए एनओसी निर्गत करने, हस्तांतरण आदि की लंबित प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का निदेश दिया गया। डीएम डॉ. सिंह ने अपर समाहर्ता को निदेश दिया कि प्राथमिकता के आधार पर भूमि उपलब्ध करने के कार्य का अनुश्रवण करें। चिन्हित भूमियों का अनापŸिा प्रमाण-पत्र अंचलाधिकारियों द्वारा शीघ्र उपस्थापित कराएँ। अनुमंडल पदाधिकारियों एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारियों को आ रही समस्याओं का समाधान करने का निदेश दिया गया।

जिला प्रोग्राम कार्यालय, आईसीडीएस के कार्यों की समीक्षा की गई। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि सभी आँगनबाड़ी केन्द्रों पर पेयजल एवं शौचालय की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में पटना जिला की स्थिति यद्यपि अन्य जिलों से बेहतर है फिर भी काम करने की ज़रूरत है। प्रतिवेदन के अनुसार 611 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शौचालय की बेहतर सुविधा तथा 387 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पेयजल की अच्छी सुविधा उपलब्ध कराई जानी है। उन्होंने कहा कि जिला माइनिंग फंड से शौचालयों का निर्माण कराया जाएगा। पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए डीडीसी तथा पीएचईडी के इंजीनियर को निर्देश दिया गया है। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में जिला की अच्छी प्रगति है। प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना में भी पटना जिला की बेहतर स्थिति है। मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना में वित्तीय वर्ष 2024-25 में एक से दो वर्ष के लाभुकों के मामले में प्रगति लाने का निदेश दिया गया । जिलाधिकारी ने आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अन्नप्राशन, गोदभराई एवं वीएचएसएनडी का प्रावधानों के अनुसार सफलतापूर्वक आयोजन करने का निदेश दिया। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन निर्माण हेतु भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपर समाहर्ता को नियमित अनुश्रवण करने का निदेश दिया है। डीएम डॉ. सिंह ने जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आईसीडीएस को रिक्तियों के अनुरूप विधिवत ढंग से चयन प्रक्रिया का संचालन करने का निदेश दिया।

जिलाधिकारी द्वारा डीपीओ आईसीडीएस को आँगनबाड़ी केन्द्रों का लगातार निरीक्षण करने तथा योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का निदेश दिया गया।

लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस की समीक्षा 

जिलाधिकारी द्वारा लोक शिकायत निवारण एवं आरटीपीएस से संबंधित मामलों की समीक्षा की गयी। सभी लोक प्राधिकारों एवं अधिकारियों को आवेदनों का त्वरित निष्पादन करने का निदेश दिया गया।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। लोक शिकायतों की सुनवाई में लोक प्राधिकारों की हर हाल में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित रहनी चाहिए।

ज़िलाधिकारी ने निदेश दिया कि अगर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण पाया जाए तो अतिक्रमणवाद प्रारंभ करते हुए 90 कार्य दिवस के अंदर मुखर आदेश पारित करते हुए मामले को नियमानुसार निष्पादित करें। अंचल अधिकारियों को निदेश दिया गया कि 90 दिन से अधिक से लंबित अतिक्रमण के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निष्पादित करें।

अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों की संयुक्त बैठक में समीक्षा

बैठक में अंचलाधिकारियों एवं थानाध्यक्षों की संयुक्त बैठक की समीक्षा की गई।जिलाधिकारी ने कहा कि संयुक्त शनिवारीय बैठक का भूमि विवादों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निदेश दिया कि नियमित तौर पर अंचलाधिकारी एवं थानाध्यक्ष का हरएक शनिवार को संयुक्त शनिवारीय बैठक आयोजित हो। साथ ही इसे भू-समाधान पोर्टल पर भी अपलोड किया जाए।

ज़िलाधिकारी द्वारा आरटीपीएस में प्रगति की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि एक्सपायर्ड मामलों की संख्या हर हाल में शून्य रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आरटीपीएस अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप समय-सीमा के अंदर आवेदनों का गुणवत्तापूर्ण निष्पादन सुनिश्चित करें। आम जनता को सेवा प्रदान करने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

ज़िलाधिकारी ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 तथा बिहार लोक सेवाओं का अधिकार अधिनियम, 2011 का सफल क्रियान्वयन सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध रहें। योजनाओं के क्रियान्वयन में शिथिलता, अनियमितता एवं लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जिलाधिकारी ने कहा कि आरटीपीएस के मामलों में जिन-जिन अंचलों/प्रखंडों में शिथिलता बरती जा रही है वहाँ संबंधित अपीलीय प्राधिकार अनुमंडल पदाधिकारी समीक्षा करते हुए मामलों की स्वतः सुनवाई करेंगे तथा लापरवाह अधिकारियों के विरूद्ध नियमानुसार दंड अध्यारोपित करेंगे। यही नियम लोक शिकायत निवारण के मामलों में भी लागू किया जाएगा।

जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निदेश दिया कि ‘‘जनता के दरबार में माननीय मुख्यमंत्री’’, सीपीग्राम, जिला जनता दरबार सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आवेदनों को त्वरित गति से निष्पादित करें।

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