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संजय श्रीवास्तव

आरा।श्रीसनातन शक्तिपीठ संस्थानम् तथा सनातन-सुरसरि सेवा न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में न्यू कॉलोनी पकड़ी में धर्मसम्राट् स्वामी करपात्री जी महाराज की ११७ वीं जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता प्रो बलिराज ठाकुर ने की। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए प्रो नन्दजी दूबे ने कहा कि एक उच्च कोटि के संन्यासी और आचार्य होकर स्वामी करपात्री जी महाराज ने अखिल भारतवर्षीय धर्म संघ और रामराज्य परिषद् जैसे संगठनों के द्वारा पूरे भारतवर्ष को आलोकित किया। गोवंश की रक्षा तथा सांस्कृतिक चेतना के द्वारा आर्यावर्त की एकता के लिए उनके द्वारा किए गए कार्य हमें प्रेरणा देते रहेंगे।मुख्य-वक्ता के रूप में बोलते हुए आचार्य (डॉ) भारतभूषण पाण्डेय ने कहा कि स्वामी जी को अभिनव शंकराचार्य और अभिनव शुकावतार माना जाता है। आधुनिक युग में उन्होंने वैदिक सनातन धर्म तथा संस्कृति को न केवल प्रकाशित किया है बल्कि इसके प्रहरी के रूप में भी खड़े रहकर इनकी रक्षा की है। एक साथ उतनी ऊंची साधना, तपस्या, प्रवचन, शास्त्रार्थ,ग्रंथलेखन, संगठन, आंदोलन आदि एक सामान्य मानव नहीं कर सकता जो पूज्य स्वामी जी ने किया है। आचार्य ने कहा कि उनके द्वारा आयोजित यज्ञों तथा सम्मेलनों द्वारा स्वतंत्रता-संग्राम में बृहत्तर योगदान किया गया।भारत विभाजन का विरोध वायसराय के बंगले के सामने जाकर धर्मसंघ के कार्यकर्ताओं व संन्यासियों ने किया था। विशिष्ट वक्ता डॉ गौरी शंकर तिवारी ने कहा कि स्वामी जी ने धर्मसंघ के द्वारा जो विद्यालय संचालित किए उनका संस्कृत और वैदिक शिक्षा में उल्लेखनीय योगदान है। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो बलिराज ठाकुर ने कहा कि स्वामी करपात्री जी महाराज सनातन धर्म के सूर्य थे।उनका चिंतन और उनकी प्रेरणा आने वाली सहस्त्राब्दियों तक विश्व का पाथेय बनी रहेंगी। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के चिंतन के अनुरूप धर्म और संस्कृति की सेवा हमारे क्षेत्र में उनके प्रशिष्य आचार्य भारतभूषण जी द्वारा की जा रही है जिसपर हम गौरवान्वित हैं। स्वागत भाषण ब्रह्मेश्वर दसौंधी, संचालन मधेश्वर नाथ पाण्डेय तथा धन्यवाद-ज्ञापन डॉ सत्यनारायण उपाध्याय ने किया।इस अवसर पर प्रो दिवाकर पांडेय, नर्मदेश्वर उपाध्याय, जनार्दन मिश्र,धनजी दूबे, अशोक संहोर्त्रा,मनीष राय समेत तमाम लोगों ने स्वामी करपात्री जी महाराज को युगपुरुष बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।

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